ब्लॉगर ऑफ द डे
अनिल पुसदकर जी है आज के ब्लोगर ऑफ़ द डे..
खबरिया चैनलो पर दिखाए जाने वाले प्रोग्रामो के गिरते स्तर पर उन्होने ये लेख लिखा है.. उनके लेख का कुछ अंश..एक दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ मे ये राष्ट्र हित से भी आगे निकल जाते हैं और जब बात बिगड़ती है तो फ़िर अभिव्यक़्ति का हित दिखने लगता है।पता नही ये होड़ कंहा ले जाएगी न्यूज़ चैनलो को।एक ने लाया लश्कर का आतंक तो दूसरा ले आया तालिबान का तमाशा।चौंका देने वाली बात तो ये कि दोनो ही दावा कर रहे थे कि उनका कैमरा पहली बार वंहा पहुंचा।हां एक बात तो माननी पडेगी चैनल वालो की उन्हे कुछ और पता हो न हो दूसरे चैनल पर रात को क्या आने वाला है,पता रहता है। पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए यहा क्लिक करे
दूसरी उम्दा पोस्ट आपको साईब्लाग पर मिलेगी...
अरविंद मिश्रा जी डार्विन की द्विशती पर एक सीरिज की प्रस्तुति दे रहे है.. इस बार उन्होने कुछ बहुत ही रोचक जानकारिया हमारे साथ बांटी है.. पोस्ट का एक अंश यहा देखिए..
इस पुस्तक के कारण ही डार्विन के बारे में प्राय: यह गलत उद्धरण दिया जाता है कि उन्होंने यह कहा था कि `मनुष्य बन्दर की संतान हैं´ । डार्विन ने वस्तुत: ऐसा कुछ भी नहीं कहा था बल्कि उनका यह मत है कि मनुष्य और कपि दरअसल एक ही समान प्रागैतिहासिक पशु पूर्वज से विकसित हुए हैं जो लुप्त हो गया है- इस `लुप्त कड़ी´ की खोज होनी चाहिए। आज के कपि-वानर हमारे सीधे-पूर्वज परम्परा में थोड़े ही हैं। वे हमारे दूर के मानवेतर स्तनपोषी, बन्धु-बान्धव भले ही हो सकते हैं। पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए यहा क्लिक करे
जहाँ एक और अरविंद जी साईब्लाग पर विज्ञान से जुड़ी बाते बता रहे है... वही शामख फ़राज़ साहब विज्ञान के प्रति घटते रुझान को देखकर चिंतित लगे.. वे लिखते है..
भारत में आज फिर से विज्ञानं के प्रसार प्रचार की आवश्यकता है. वर्त्तमान में विज्ञानं अपनी पहचान खो रहा है. विज्ञानं के पहचान खोने का प्रमुख कारण प्रोफेशनल कोर्सेस का बढ़ता प्रचलन है. आज कल हर छात्र की मानसिकता यह है कि वह कैसे कम से कम समय में रुपय और नाम कमाए. प्रोफेशनल कोर्सेस के सलेरी पकेज छात्रों को रातों रात अमीर बना रहें हैं.पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए यहा क्लिक करे..
संजय तिवारी 'संजू' ने प्रयास किया है एक कहानी लिखने का.. वे अपने ब्लॉग पर लिखते है..
नोट: यह मेरी प्रथम कहानी लेखन का प्रयास है, कृप्या अपनी प्रतिक्रिया दें और मुझे क्या सुधार करना चाहिये, सलाह दें.
कहानी पर सुझाव देने एवं कहानी पढ़ने के लिए यहा क्लिक करे..
अनुजा जी अपने ब्लॉग " मत विमत " पर हमेशा सामाजिक मुड़ो पर लेख लिखती आई है.. इस बार उनके लेख का शीर्षक है धर्म, ईश्वर और विचार के बीच.
इस लेख में वे लिखती है..
हम अक्सर यह दावा करते हैं कि हमने अपनी सोच को बदल लिया है। हम आधुनिक हो गए हैं। हम पबों में जाते हैं। रात-बे-रात घर लौटते हैं। वैंलेटाइन डे मनाते हैं। मॉल जाते हैं। वहां से खरीददारी करते हैं। जब मिलती है एक-दूसरे को 'हग' करते हैं। पानी की जगह बीयर पीने लगे हैं। हम दिन-प्रति-दिन अति-आधुनिक होते-बनते जा रहे हैं।
मुझे लगता है, ये तथाकथित बदलाव ऊपर से देखने-सुनने में तो बेहद अच्छे लगते हैं मगर इनकी जड़ें 'खोखली' हैं। रहन-सहन व पहने-ओढ़ने में बदलाव, निश्चित ही अलग है, हमारी वैचारिक सोच-समझ से। मुझे यह कहने में जरा भी आपत्ति नहीं होगी कि हमारी जड़ें आज भी यथास्थितिवाद और धार्मिकता की शिकार हैं।क्या यह हैरानी का विषय नहीं है कि 21वीं सदी में इतने सारे भौतिक और भागौलिक बदलावों के होने के बावजूद भी हम आज तक धर्म और ईश्वर की अवधारणा से अपना पिंड नहीं छुड़ा पाए हैं? मुझे लगता है तमाम बीती सदियों से कहीं ज्यादा धार्मिक और ईश्वर-प्रेमी 21वीं सदी है। पूरा लेख पढ़ने के लिए यहा क्लिक करे॥
ब्लॉग ऑफ़ द डे
आज का ब्लॉग ऑफ़ द डे का खिताब जाता है.. डॉक्टर अमर कुमार जी द्वारा संचालित ब्लॉग काकोरी षड्यंत्र को.. अमर कुमार जी, अमर शहीद रामप्रसाद 'बिस्मिल' जी कि आत्मकथा हमे अंतरजाल पर इतनी सुलभता से उपलब्ध करवा रहे है. जिसके लिए वे बधाई के पात्र है.. इस ब्लॉग में उनका टंकण सहयोग किया है अमिता श्रीवास्तव जी ने तथा तकनीकी सहयोग है रवि रतलामी जी का.. ब्लॉग कि ताज़ा पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे..
ब्लॉग अमृता प्रीतम की याद में...
यूँ तो इस ब्लॉग के बारे में कई बार चर्चा हो चुकी है.. मगर आज कि पोस्ट इस ब्लॉग कि सार्थकता में एक अध्याय और जोड़ती है.. इस ब्लॉग कि ताज़ा पोस्ट का शीर्षक है.. यह कर्ण और कविता का जन्म है..
कर्ण और एक कविता में किस प्रकार समानता है.. वे आप पढ़ सकते है.. प्रस्तुत है इस पोस्ट के कुछ अंश..
कर्ण और एक कविता में किस प्रकार समानता है.. वे आप पढ़ सकते है.. प्रस्तुत है इस पोस्ट के कुछ अंश..
कविता कभी कागज को देखे
और कभी नजर को चुरा ले जैसे कागज कोई पराया मर्द होता है ...यहाँ कुंती को कर्ण अपनी कोख में लिए हुए अपना सा लगता है पर जब उस एहसास को वह दुनिया के हवाले करती है तो वह उसको पराया लगता है .उसी तरह जब तक कविता अपने दिल में है वह अपनी है पर कागज के हवाले होते ही वह कागज पराया लगने लगता है . पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए यहा क्लिक करे..
नन्हे ब्लॉगर..
ब्लॉग जगत में ख़ासा लोक प्रिय छोटू आदित्य, ने भी वेलेनटाईन डे मनाया.. वो भी पिज़्ज़ा खाते हुए..
जैसे आपका सबका वेलेनटाईन डे मना वैसा मेरा भी मना १४ फरवरी को ही... हाँ पर साइज के हिसाब के... छोटा सा.
हमारी दूसरी ब्लॉगर है.. नन्ही सी प्यारी सी लवीज़ा.. और मज़े कि बात ये है कि वो भी हमारे शहर से है.. कल तो लवी बिटिया ने राजस्थानी पोशाक पहनने का लुत्फ़ उठाया.. लवी बिटिया ने आपसे पूछा भी है..
मैं नई राजस्थानी ड्रेस में कैसी लग रही हूँ, आप जरूर बताएं.
अब बताने के लिए तो आपको यहा क्लिक करना ही पड़ेगा..
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"जिंदगी का कोई बैकअप नहीं होता, सपनों, दोस्तों, परिजनों का कोई बेकअप नहीं रखाजाता और न जाने कितनी चीजें, बल्कि कहो जीवन की अधिकांश हरकतें बिना बेकअप कीहैं।"
उपरोक्त पंक्तिया जो आप पढ़ रहे है.. वे मसिजीवी जी के ब्लॉग से ली गयी है.. कल शाम वे हिन्दी की कुछ किताबे खरीद लाए.. इसमे क्या ख़ास बात है.? अजी पहले से पड़ी किताबो कि दूसरी प्रतिया खरीदी गयी जी..
जब भी एकबार खरीदी गई किताब को दोबारा या तिबारा खरीदना खुद को ही अजीब लगता है। अक्सर किताब इसलिए फिर से खरीदनी पड़ती है कि किसी विद्यार्थी या मित्र के पास गई किताब लौटती नहीं और ऐसा भी होता है कि हम खुद ही भूल गए होते हैं कि किताब है किसके पास। पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए यहा क्लिक करे..
काजल कुमार जी के कार्टून से तो आप सभी परिचित है.. देखिए इस बार वे क्या लाए है..
ज्ञान दत्त जी पूछ रहे है.. क्या वाकई उनका ब्लॉग नाम के अनुरूप कोई मानसिक हलचल पैदा करता है या नही.. उनकी नयी पोस्ट पुरानी कुछ पोस्ट से हटकर नज़र आती है.. वे लिखते है..
समाज में ओल्डीज बढ़ेंगे। इन सबको बड़े बुजुर्ग की तरह कुटुम्ब में दरवाजे के पास तख्त पर सम्मानित स्थान नहीं मिलने वाला। ये पिछवाड़े के कमरे या आउटहाउस में ठेले जाने को अन्तत: अभिशप्त होंगे शायद। पर अपने लिये अगर ब्लॉगजगत में स्थान बना लेते हैं तो ये न केवल लम्बा जियेंगे, वरन समाज को सकारात्मक योगदान भी कर सकेंगे। पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए यहा क्लिक करे..
ब्लॉग परमवाणी पर लिखा गया..
दो दिन पहले एक ख़बर काफी चर्चा में रही थी। ब्रिटेन में एक तेरह साल का बच्चा बाप बन गया था। चाय की दुकान पर जब किसी ने चर्चा छेड़ी तो एक मित्र ने जमकर ठहाका लगाया। पता नहीं क्यों, मैं ठहाका नहीं लगा सका क्योंकि दिमाग में ख्याल उस बच्चे का आया, जिसकी मां पंद्रह साल की और पिता तेरह साल का है। सोचा, अगर इनके परिवार ने साथ नहीं दिया तो क्या भविष्य होगा, उस बच्चे का ?
तरुण जी कि नयी पोस्ट.. परम जी कि शंका के निवारण के रूप में आती हुई प्रतीत हुई.. उन्होने लिखा..
आप सोच रहे होंगे इसमें छोटी सी आशा कहाँ से है, तो वो यूँ है कि सन् 1999 में 12 साल का एक लड़का जेमी सूटन भी ऐसे ही एक बच्चे का पिता बना था और एक दशक बाद भी वो और उसकी गर्लफ्रेंड साथ रहते हैं, यही नही उसके पास एक जॉब भी है और तीन बेडरूम का घर। आशा की ये खबर दी है टाइम्स ने। पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे॥
जब ब्रिटेन में एक १३ वषॆ के किशोर के पिता बनने की खबर को चैनल लगातार टीआरपी के लिए दिखा रहे थे, तो एक तमाचा खुलेपन के समथॆकों के मुंह पर भी लग रहा था। क्योंकि पश्चिमी देशों की नकल को ही हम शायद खुलेपन का नाम देते हैं। एक बड़ा सवाल है कि किस स्तर का खुलापन। खुलापन बातों में, विचारों में या उन सभी बातों में, जिन्हें हमारी संस्कृति नकारती है। पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे..
पूजा देखकर आई अपना पहला एयर शो.. पूजा लिखती है..
अब हमने देखा कि विमान भी उड़ने लगे हैं....सुखोई जब हवा में उड़ा तो हमारा सारा इंतज़ार सफल हो गया। सीधा ऊँचा उठता गया और ऊंचाई पर जा कर बिल्कुल रुक गया...बीच आसमान में..वो इतना रोमांचक था...भीड़ में सारे लोग तालियाँ बजाने लगे। सुखोई के करतब कमाल के थे...नोस्डाइव करते हुए बिल्कुल जमीन की तरफ़ ऐसे आ रहा था की मुझे लगा सीधे मुझपर गिर जायेगा...और फ़िर बिल्कुल नजदीक आकर फ़िर से ऊपर उठ जाना. मुझे बहुत अच्छा लगा वह प्रदर्शन.
चलते है कविताओ की गलियो में..
ओम आर्य कहते है.. एक पुनर्वास की जरूरत सभी को है
हिमांशु जी पढ़वा रहे है.. छोटी सी कविता..
डा. शैलजा सक्सेना ने बाँटे कुछ सांझे पल..
सुरेश जी पूछ रहे है.. कभी सोचा है तुमने?
मनीषा की एक ख़ासियत है. कि वे कम शब्दो में भाव को पिरो देती है.. उनकी पिछली कुछ रचनाए.. दो या टीन पंक्तियो की थी.. मगर उनमे कही गयी बात स्वयं में बहुत कुछ समेटे हुए थी.. दो दिन पूर्व ही रवींद्र व्यास जी उनके ब्लॉग कि चर्चा वेब दुनिया के ब्लॉग चर्चा स्तंभ में कर चुके है.. इस बार मनीषा पढ़वा रही है..चलन ज़माने का इसने अपनाया,
अपने से ऊपर वाले से हाथ मिलाया
पहले ठोकरे खाता था, करता था फरियाद,
अब सब देते हैं समझदारी की दाद।...दिल ने आख़िर दिमाग से दोस्ती कर ली....!!!!
अरुणा रॉय जी कह रही है.. उसने कहा था
प्रीति टेलर जी कह रही है.. चलो प्यार का खुमार था उतर गया...
रश्मि प्रभा जी बता रही है... खानदानी पृष्ठभूमि !
महक लेकर आई है एक महकती हुई कविता.. इश्क़ में जब
वंदना जी लाई है.. जब दोस्त की जरूरत थी
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क्या आपको लगता है.. आपको किसी कि नज़र लग गयी है.. क्या वाकई नज़र लग सकती है..? इन्ही बातो पर प्रकाश डालती हुई संगीता पूरी जी कि अगली पोस्ट देखिए.. जिसमे वे कहती है..
यदि आप ऋणात्मक ग्रहों के प्रभाव में हैं , तो निश्चित तौर पर किसी न किसी विपत्ति में फंस सकते हैं , जिस तरह किसी असामाजिक तत्वों के हत्थे चढ़ सकते हैं। अब इसे आप किसी भी शक्ति का हाथ समझ सकते हैं। जैसे ही आपके जीवन में धनात्मक ग्रहों का प्रभाव आरंभ होगा , आप जिस भी समस्या से प्रभावित हो रहे हों , अवश्य जीत पाएंगे। इसलिए चिंता न करें , निराशा से बचें और दृष्टिकोण सकारात्मक बनाए रखें।
ग़ज़लो का गुल दान
ग़ज़ल कि बात हो और नीरज गोस्वामी जी का ज़िक्र ना हो ऐसा कैसे हो सकता है.. नवजोत सिंह सिद्धू को ठहाको कि सप्लाई करने वाले नीरज जी.. ग़ज़ल के मामले में अपने दोनो हाथ खोल देते है.. इस बार वो अपनी एक और दिलकश ग़ज़ल लेकर आए है..
जिसका एक शेर कुछ यू है..रखा महफूज़ अपने ही, लिये तो खाक है जीवन
बहुत अनमोल है मिट कर, किसी के काम गर आये
जुनैद मुनकीर लाए है.. कहीं हैं हरम की हुकूमतें, कहीं हुक्मरानी-ऐ-दैर है,
विनय अपनी ग़ज़ल में कह रहे है.. तुमको ज़िन्दगी की हर ख़ुशी मिले
सरीता जी लक्ष्मीनारायण पयोधि की चुनिंदा ग़ज़लों से लाई है एक ग़ज़ल.. मैं तो बेचैन
प्रताप लेकर आए है.. एक ग़ज़ल
पोस्ट ऑफ द डे
पोस्ट ऑफ द डे.. का खिताब जाता है.. प्रेमलता पांडे जी के ब्लॉग "पसंद" पर आई इस पोस्ट का.. प्रेमलता जी कहती है...
बुराई सबके लिए बुराई है फिर उसी राह पर चलना कहाँ की भलाई है। सामना करने की ताक़त समझ बढ़ाने और एकता बनाने से मिलती है न कि पतनशील रास्ते जाने से।
मेरठ में ब्लॉगिंग पर एक सेमिनार सफलतापूर्वक संपन्न हुआ.. इस सेमिनार में इरशाद जी द्वारा ब्लॉगिंग पर लिखी गयी पुस्तक का विमोचन भी हुआ.. तस्वीरे आप यहाँ क्लिक करके देख सकते है..
ममता जी अपने ब्लॉग पर बता रही है..टैटू से ब्लड शुगर लेवल को चेक किया जा सकेगा .
यूँ तो आजकल लोग फैशन के लिए खूब टैटू बनवाते है कभी हाथ पर तो कभी गले और पीठ और पेट पर ।पर क्या कभी सोचा है की हम टैटू से अपना ब्लड शुगर भी चेक कर सकते है । नही ना । पर शायद भविष्य मे ऐसा हो सकेगा । पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
पिछले दिनो चोखेर बाली का डोमेन चोखेरबाली डॉट इन हो गया था.. वही अब इस ब्लॉग कि डिज़ाइन को भी नया रूप दिया गया है.. नये कलेवर में देखिए चोखेर बाली पर सुजाता जी कि ये नवीन पोस्ट..
आज सीमा गुप्ता जी कि प्यारी बिटिया 'आयुषी' का जन्म दिन है.. बिटिया को जन्म दिवस कि बहुत शुभकामनाए.. बधाई देने एवं पार्टी लेने के लिए आप स्वय सीमा जी के ब्लॉग पर जाकर संपर्क कर सकते है...
साल गिरह तो आज एक और है.. जी हाँ.. सुशील कुमार छौक्कर जी के ब्लॉग ने एक साल पूरा कर लिया है.. इस उपलक्ष में वे अपने ब्लॉग कि पहली ही पोस्ट को नये रंगो से सजाकर दोबारा लाए है.. हमारी और से उन्हे बहुत बहुत बधाई..
चलते चलते..
संसार में अब तक जितनी भी बोध कथाए या प्रेरक प्रसंग हुए है.. वे कभी भी राम सेना कि तरह लाठिया लेकर पीछे नही पड़ते कि हमसे शिक्षा लो.. शिक्षा लेना ना लेना हमारे उपर है.. कि हम अच्छी बात की शिक्षा ले या नही .. शायद यही सोचकर अनुराग जी ने पिछली चर्चा पर टिप्पणी के रूप में एक बोध कथा भी लिखी है. हालाँकि इस से शिक्षा लेना ना लेना हम पर निर्भर करता है..
आपको एक बोध कथा सुनाता हूँ...
जिसमे दो युवा सन्यासी नदी पार कर रहे होते है तो उन्हें रास्ते में एक युवती मिलती है जो आग्रह करती है की उसे भी नदी पार करा दी जाये .एक सन्यासी उसे अपनी पीठ पार बैठा कर नदी पार कराता है ...कुछ दूर चलने के बाद आश्रम के निकट पहुँचने पार दूसरा सन्यासी उसे कहता है "मै गुरु जी तुम्हारी शिकायत करूँगा तुम ने एक जवान स्त्री को छूआ ...तो पहला सन्यासी कहता है ...अरे तुम अभी भी उसे पीठ पार लादे घूम रहे हो मै तो उसे मीलो पीछे छोड़ आया "....
(चर्चा में सम्मिलित सभी चित्र, जिन ब्लोगों की चर्चा हुई उन्ही में से लिए गए है , फूलो का चित्र गूगल से लिया गया है..)
कविता जी जल्द ही स्वस्थ होकर चर्चा करे यही हमारी कामना है... अभी के लिए बस इतना ही. समय मिलते ही अगली चर्चा के साथ फिर से हाज़िर होंगे.. तब तक के लिए दसविदानिया..
इसलिये हम तुम्हारे मुरीद है.. बिल्कुल रंग बिरंगी चर्चा करते है... न्युज पेपर के supplement जैसी... मजा आ गया..
जवाब देंहटाएंआज की हर पोस्ट को आपने इस चर्चा में बखूबी समेट लिया बहुत मेहनत के साथ ...कुश आपके द्वारा की गई चर्चा सबसे अलग और अदभुत होती है ..बहुत बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंआपके माध्यम से कई अच्छी पोस्ट जानकारी में आती हैं। आभार आपका।
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा बिल्कुल सप्तरंगी है जी. अब सबको बधाई भी देनी हैं. बहुत सारी खबरें हैं. सो जा रहे हैं.
जवाब देंहटाएंचलते चलते :- अनुराग जी की बोधकथा का स्मरण करवाने के लिये धन्यवाद. पर कुछ लोगो को बोझ पीठ पर लिये घूमना ही अच्छा लगता है, उनका क्या किया जा सकता है?
रामराम.
अरे वाह !
जवाब देंहटाएंक्या खूब चरचा की है आपने ।
सभी कुछ इस चरचा मे समां लिया है ।
और वो भी इतने interesting अंदाज मे ।
आज तो दो -दो चिटठा चरचा पढने को मिली । सुबह की शुरुआत अनूप जी से और अभी शाम की शुरुआत आपकी चरचा पढ़ कर कर रहे है ।
बहुते बढ़िया ! कहाँ से समय निकाल लेते हो भाई?
जवाब देंहटाएंकुश जी
जवाब देंहटाएंजब भी आपकी लिखी चिठ्ठा चर्चा पढता हूँ मुझे लगता है ये ग़ज़ल लिखने से लाख गुना मुश्किल काम है...कितनी मेहनत लगती है इसमें...बाप रे बाप....बहुत धांसू लिखे हैं आप...बहुत ही धांसू....
मेरे बार में आप के उदगार पढने के बाद..."आज कल पावं जमी पर नहीं पढ़ते मेरे....."
नीरज
नवीन शैली।
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्यता टपक टपक पढ़ रही है, आप जैसे चर्चाकारों के साथ गड़बड़ यहीए है कि आप अपेक्षाओं की बार उठाकर आसमान पर ले जा धरते हैं, अब हम जैसे अकिंचन चर्चाकार का दम तो इसे देखकर ही फूल जाता है, इन अपेक्षाओं पर खरा उतरने की तो खैर कोशिश भी कैसे करें :)
क्या गजब कवरेज की है..एकदम लगा अवार्ड समारोह में बैठे हैं..उम्दा!!
जवाब देंहटाएंसामान्य से हट कर, वाकई में, एक सप्तरंगी चर्चा !! बधाई!
जवाब देंहटाएंसस्नेह -- शास्त्री
शानदार चिट्ठाचर्चा.
जवाब देंहटाएंऐसी चर्चा कुश ही कर सकते हैं. बहुत दिनों बाद कुश की चर्चा पढ़कर बहुत अच्छा लगा. मसिजीवी जी से सहमत हूँ. हमसब के ऊपर प्रेशर आ जाता है.
विविधताओं से सरोबार चर्चा पढ़कर मजा आ गया ! धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजबाब चर्चा की है. बधाई कुश जी.
जवाब देंहटाएंthanks kush!
जवाब देंहटाएंyour jest of making your prsentation "the best" will help you in a long way to take forward your career . charcha or any other presentation you score above the excellence level
जवाब देंहटाएंtoo good and very nicely done
hats off
दो ब्लॉग शायद हम लोगो को हमेशा आइना दिखाते रहेगे ... अपनी मासूमियत लिये.... आदित्य ओर लविजा ....
जवाब देंहटाएंफिर एक नई पहल . एक नया अंदाज़, कमाल है . आपकी यह चर्चा चिट्ठो मे गुडवत्ता को बढावा देगी
जवाब देंहटाएंवाह........सही माध्यम है एक स्वस्थ माहौल को देखने का....
जवाब देंहटाएंकुश बड़े दिनों बाद आये और आते ही छा गये, नया अंदाज बहुत जबरदस्त लेकिन यही गुजारिश करूँगा चाहे इसे डे की जगह वीक कर दो लेकिन इसे जारी रखना। ये जरूरी है इस हिंदी ब्लोगजगत को अच्छा और सयंम से लिखने की प्रेरणा देने के लिये और एक दूसरे की भावनाओं, विचारों और तर्कों की कदर के लिये और आपस में सौहार्दय बनाये रखने के लिये। ये तभी संभव होगा जब ऐसे ब्लोगरस, ब्लोग और पोस्ट को बाकियों के मुकाबले तरजीह दी जायेगी वरना कहीं अच्छाई और अच्छा लेखन टी आर पी की भेंट ना चढ़ जाये।
जवाब देंहटाएंभरपूर चर्चा कुश ,शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंबहुत मेहनत लगी होगी। और बहुत जंच भी रही है ये चर्चा।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद कुश भाई.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंतारीफ़ें तो बहुत बटोर लीं,
मसिजीवी से प्रेरित हो मुझे एक चिन्ता सताने लगी है..
आने वाली ब्लागर पीढ़ियाँ सहज ही विश्वास न करेंगी कि,
कुश नामक एक मानव अकेले और मैन्यूअली ऎसी ब्लाग-रिव्यू किया करता था !
संभवतः तब तक ऎसे कार्यों में सहायता करने के लिये साफ़्टवेयर उपलब्ध हों जायें, तो आश्चर्य न होगा ।
आज का आश्चर्य तो, इतनी विशद एवं विषयवार चर्चा ही है..
यह टिप्पणी बक्सा बन्द होने के क्लेश में मेरी दो पोस्ट आउट-डेटेड हुई जा रहीं हैं,
क्या कहता है, कुश ?
pichli chittha charcha par aakhiri comment tumhein manane ke liye tha...hamne to socha kahin yahan bhi comment ka baksa gayab na mile...par ganimat hai...charcha to wakai sabrangi hai. maza aa gaya padhkar.
जवाब देंहटाएंएक गाना याद आ रहा है - इक रात में दो दो चांद खिले....
जवाब देंहटाएंआज दो बढिया चर्चाएं पढने को मिली। कविताजी, समझ लें ..आप की चर्चा न होने के कारण दो लोगों की जुगाड:)
>बढिया पुरस्कार भी बांटे- DESERVING , OFCOURSE
>जब यह पढा कि पढी हुई वही दो दो किताबें खरीदी गई तो लगा यह तो कोई सरदारजी ही कर सकते हैं कि पहली किताब समझ में नहीं आई तो एक और नई खरीद लें, शायद समझ में आए! पर नहीं, यह तो मास्टरजी है जिन्हें विद्यार्थी या मित्र लूट ले गए:)
>सीमाजी की बिटिया आयुषी और श्री छौक्करजी को जन्मदिन की बधाई।
धन्यवाद कुश भाई अभी भुसावल से वापस अमरावती लौटा हूं और लौटते ही चर्चा खोलकर देख रहा हूं।ब्लोगर आफ़ डे कौन होगा ईस उत्सुकता से देखा था लेकिन अपना ही नाम देख कर चौंक भी गया और खुश भी हुआ,आपका दिया हुआ ये सम्मान मुझे ब्लोग लिखते रहने की प्रेरणा देता रहेगा।कोशिश करूंगा आप जितनी तो नही कर पाऊंगा लेकिन थोड़ा ज्यादा मेहनत करूंगा।वैसे आज की चर्चा मे मेरा नाम नही होता तो भी यही कहता,गागर मे सागर्।
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा। नियमित करा करो न जी। कित्ता अच्छा लगेगा। कल की तुम्हारी चर्चा के बाद दोगुने पाठक आये जी!
जवाब देंहटाएंशानदार चिट्ठाचर्चा रंग बिरंगे शब्दों से सजी.....मेहनत कामयाब हुई सराहनीय...."
जवाब देंहटाएंRegards
ेअच््छी बात है
जवाब देंहटाएंसबका अपना अपना तरीका है
जवाब देंहटाएंसबका अपना अपना सलीका है
कौन खलीफा है, खलीफा है
अनिल पुसदकर को वजीफा
बेहतरीन चर्चा. धन्यवाद
जवाब देंहटाएं