मंगलवार, फ़रवरी 24, 2009

जब नोंचोगे तुम बाल सखा, हम मिलकर मौज मनाएंगे

नमस्कार ! मंगलमयी चर्चा में आपका स्वागत है !

अगर आप अभी तक नहाए नहीं हैं तो कृपया पहले जाकर ठण्डे पानी से स्नान कर लें तत्पश्चात यह चर्चा पढें । आदित्य ने फतवा जारी कर दिया है कि ठण्डे ठण्डे पानी से नहाना चाहिए । इसलिए अगर आपको ठण्डे पानी से नहाने से कोई समस्या हुई तो इसकी जिम्मेदारी आदित्य के पापा की होगी हमारी नहीं ।

वैसे आप न भी नहाएं तो हम आपका क्या कर लेंगे ? हम तो खुद नहीं नहाए आज । बस मुफ्त की सलाह दे रहे थे । अब नहाने का जमाना गया । देखिए तो कितने बडे बडे हीरो नहाते नहाते और जुल्फों में तेल लगाते लगाते बुड्ढे हो गए पर ऑस्कर नहीं ला पाए । ऑस्कर मिला तो गन्दगी को । ऐसा पता होता तो अब तक कितने ऑस्कर आ जाते और नहाने धोने का खर्चा बचता वह अलग । ऑस्कर पर इतनी पोस्ट लिखी जारहीं हैं कि दो चार फुरसतिया विमर्श इन्हीं पोस्ट को लेकर आराम से हो जाएं । पर हम चूँकि फुरसतिया नहीं हैं इसलिए ऐसा नहीं करेंगे और ऐसी पोस्ट्स के लिंक देकर पल्ला झाड लेंगे ।

  1. ऑस्कर में भारत का जादू चल गया है। - सुशील कुमार।
  2. क्या कोई इण्डियन slumdog millioare फिल्म बनाता तो उन्हें भी ऑस्कर अवार्ड्स मिल पाता
  3. अब तो हम भी आस्कर वाले हो गए हैं
  4. ‘स्माइल पिंकी’ की जय हो
  5. तमिल में बोलने के लिए रहमान को बधाई !
  6. "आस्कार" जितने का अर्थ है भारत कि गरिबी का जश्न मनाने का समय
  7. गर्व है कि हम स्लमडॉग से बेहतर फिल्में बनाते हैं
  8. स्लमडॉग तमाचा! स्माईल इंडिया स्माईल
  9. स्लमडॉग मिलियनेयर : इन खुशियों को साझा करें
  10. अल्ला रक्खा रहमान के दिल से--- जय हो....शिवमणी.
  11. "जय हो"- रहमान,गुलज़ार साहब ,और रेसुल...
  12. मुझे तो इस पुरस्कार से कोई खुशी नहीं हुई. दुख हुआ, शर्म आई...
  13. आस्कर ने भी कहा, भारत की जय हो
  14. विरोध करने वालो! आओ ख़ुशी मनाते हैं
  15. स्लम को सलाम

स्लमडॉग से सम्बन्धित कुछ टिप्पणियाँ उल्लेखनीय हैं :

योगेश समदर्शी : मुझे तो इस पुरस्कार से कोई खुशी नहीं हुई. दुख हुआ, शर्म आई. अंग्रेज पहले हमें ब्लैक डाग कहते थे अब एक और अंग्रेज ने स्लम डोग कह दिया और वह आज के दौर मै आजाद भारत के लोगों को पूरी दुनिया के सामने ऐसा कह पाया इस लिये उसे विदेश में ईनाम मिलना तय था...

अनाम : सभी पुरस्कारों की हकीकत हर किसी को भी मालूम है साहब, चाहे वो हिन्दुस्तानी
हों या विदेशी, चाहे पहले रायबहादुरी के खिताब होते थे या आज के पदमश्री, चाहे गली
मोहल्ले के सिनेमा रतन हों या देशी फिल्मफेयर या अमरीकी आस्कर, सभी तो जोड तोड
जुगाड से मिलते हैं, क्यों भाव देते हो इन पर लिखकर .

Suresh Chiplunkar : खुशी का मौका? किसके लिये, और क्यों? श्याम बेनेगल या गोविन्द निहलानी बनाते तो कोई फ़िल्म देखने भी नहीं जाता… सिर्फ़ एक ही गर्व किया जा सकता है रहमान और गुलज़ार, हालांकि उन दोनों के भी सैकड़ों बेहतरीन गीत हैं जबकि पुरस्कार मिला है "जय हो" को… अब और क्या कहें… बस जय हो…

Udan Tashtari : मुख्य मुद्दा भारत और भारतियों का ऑस्कर मंच
पर सम्मान है, जो कि निर्विवाद विश्व स्तरीय सम्मान है. बहुत अच्छा लगा देख कर एवं
गर्व की अनुभूति हुई.भविष्य के लिए भी शुभकामनाऐं.

सीमा जी की सलाह मानें तो किसी की मुफ्त की सलाह नहीं माननी चाहिए । मजे की बात यह है कि यह सलाह सीमा जी स्वयं मुफ्त में दे रही हैं । अब बताइए मानेंगे ?
देखिए किसके मन में क्या चल रहा है यह तो हम जान नहीं सकते ना . फिर भी अनुमान लगा सकते हैं कि गुरु जी और शास्त्री जी के दिमाग में फुरसतिया को बाल नुचवाने का षडयंत्र पनप रहा है :

Shastri JC Philip : पुनश्च: शिव भईया सही कहते हैं. जल्दी ही आप से एक शास्त्रार्थ करना पडेगा! आप को बाल नोचते देखना बडा आनंददायक होगा!!

इधर फुरसतिया के मित्र ऐसे हैं और उधर अविनाश दास के मित्र कैसे हैं :

लेकिन सिर्फ चर्चाओं के आधार पर किसी को दोषी करार देने की किसी की इच्छा का आदर करने के लिए मैं तैयार नहीं हूं। किसी व्यक्ति को सिर्फ इस आधार पर मैं खारिज करने को भी तैयार नहीं हूं, कि कुछ लोग ऐसा कह रहे हैं। आप ये नहीं भूल सकते कि देश में बाढ़ की रिपोर्टिंग की चर्चा हो तो जिस एक शख्स का नाम आप नहीं भूला सकते, वो नाम अविनाश का है। अविनाश पर आरोप लगे तो, साबित न होने तक उन्हें दोषी करार दीजिए। लेकिन उससे पहले उन्हें खारिज मत कीजिए। कोई दमदार व्यक्ति इतने भर से खारिज होता भी नहीं है। आपका जीवन अनुभव क्या कहता है इस बारे में? -दिलीप मंडल

मित्रों की बात चली है तो कुछ लुढकने मित्रों की की बात भी हो जाय :

मनमोहन से है नहीं उन्हें तनिक परहेज .

फिर भी शरद पवार की चले सजाने सेज .

चले सजाने सेज अगर पाएं परधानी .

सपा समर्थन करे अमर की साफ बयानी .

दिव्यदृष्टि जोकर को तो है नाच दिखाना .

जो दे हलवा-पुड़ी उसका साथ निभाना .

अब कुछ ताजा समाचार :

फुरसतिया चाहे हमें लाख कॉपीराइट की धमकी दें पर हम आज एक लाइना पार हाथ साफ करके ही रहेंगे । आप लोग साथ देना कोई बात आ पडे तो ।

एक लाइना

  1. आओ जानें मुहब्बत में ऐसा भी होता है : हमें पहिले से ही मालूम है जी
  2. बेवफाई जुर्म क्यों नहीं ? : हमारी सरकार तो बनने दो , फिर देखना !
  3. शायद... मेरी लॉटरी लग गई है : पक्का बताओ तो रिस्क भी लिया जाय
  4. गीत चलो हम सूरज उगायें : आप कष्ट न करो सुबह खुद ही उगेगा, हमने कह दिया है
  5. रांची में संभावनाओं को तलाशने जुटे ब्लागर : संभावना की तलाशी तो नारी ब्लॉगर्स ने ली होगी
  6. ब्लोगर परिवार से आशीर्वाद की उम्मीद मे : आप भी ?
  7. बच्चन साब...अब तो ऑस्कर भी मिल गया...! : और कोई नहीं मिला चिढाने को ?
  8. प्रत्येक संबंध एक नाजुक खिलौना है : सँभलकर खेलिए
  9. अविनाश और नीति-नैतिकता पर कुछ फुटकर विचार : थोक के रेट में देने हों तो बोलो
  10. मजहब कभी भी नफ़रत के बीज बोना नही सिखाता : फिर कौन सिखाता है ?
  11. यह कार्टून नहीं, इंसानियत का सवाल है!! : पर हमें तो कार्टून जैसा ही लग रहा है
  12. कुत्ता, मंदी....एक्सेक्ट्रा...! : लॉक किया जाय ? बाद में मत कहना कि जल्दी में लिख दिया था
  13. प्रेम चाहिए कि गर्म बिस्तर? : गर्म बिस्तर, अगले जाडों में
  14. हिन्दी ब्लोगिंग की क्लास : है या पोल खोल सेंटर है ?
  15. जुगाड़ को कानूनी मान्यता क्यों नहीं : वकील आप हो कि हम ? कुछ जुगाड करिए ना
  16. बनारस से तो नही दिख रहा लूलिन ! : आप यहाँ भी फेल हो गए ?


चलते-चलते



अनूप शुक्ल
जब नोंचोगे तुम बाल सखा हम मिलकर मौज मनाएंगे ।

जब त्राहि माम तुम बोलोगे तब हम यूरेका गाएंगे ॥

ले लो जितनी ले सको मौज आजकल तुम्हारी चलती है ।

इस समय कोई तुमसे उलझे उसकी ही सारी गलती है ॥

लेकिन हल्के में मत लेना हम भी शास्त्रों के ज्ञाता हैं ।

हमको मालुम हैं सभी यार जो अगली पिछली गाथा हैं ॥

आओ मिलकर हम सभी आज फिर शुरू नया शास्त्रार्थ करें ।

अगले मंगल फिर आएंगे अब जाएं समय न व्यर्थ करें ॥

कल कविता जी स्वस्थ होकर चर्चा में लौटीं । और धाँसू चर्चा कर डाली ! न पढ सके हों तो पढ लें । आने वाले कल की चर्चा कुश की होगी । पेश करेंगे अनूप शुक्ल । धन्यवाद !

Post Comment

Post Comment

26 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी मंगलमयी चर्चा बड़ी जानदार रहती है ...आपका चलते चलते बहुत अच्छा लगा

    जवाब देंहटाएं
  2. इस चर्चा का धन्यवाद. काफ़ी कुछ समेट लेने की उत्सुकता रहती है आपको इस चर्चा में .
    हां, आजकल आप मेरी प्रविष्टियां नहीं पढ़ते क्या?

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही अच्‍छभ्‍ चर्चा रही...

    जवाब देंहटाएं
  4. जिस तरह मंगल को बंदर की तलाश रहती है उसी तरह मंगल को चिटठा चर्चा मे तुम्हारी आस रहती है . स्वप्नलोक आँख खुलते ही गुम हो गया . लेकिन तुम्हरी यादे याद करने को छोड़ गया

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी भावनाओं में शामिल हैं।
    मंगल ही मंगल हो।
    आमीन।

    जवाब देंहटाएं
  6. नहीं विवेक लूलिन अरविन्द मिश्रा को देखने में असफल हो गया है -सच सच बोलो न भाई !

    जवाब देंहटाएं
  7. हम भी चर्चा बिना नहाए ही पढ़ रहे है..

    आने वाले कल की चर्चा कुश की होगी । पेश करेंगे अनूप शुक्ल

    इस लाइन के लिए तो आपके 100 नंबर..

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रणाम
    बहुत अच्छी चर्चा , आप बस लिखते जाइये हम आप के पीछे हैं .
    धन्यवाद
    "हम मिलकर मौज मनायेगे "

    जवाब देंहटाएं
  9. यानी आपने स्लमडॉग को ऑस्कर मिलने के बाद वाली पोस्टों को शामिल किया है, लेकिन अवार्ड मिलने से पहले ही भविष्यवाणी की गई हमारी पोस्ट को नहीं लिया… कोई बात नहीं अगली बार नहा-धोकर ही पोस्ट लिखेंगे… वैसे चर्चाकार मंडली आजकल ज्यादा ही व्यस्त रहती है… क्योंकि चिठ्ठों की संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है…

    जवाब देंहटाएं
  10. चर्चा दा जवाब नै :)
    >शास्त्री जी के शास्त्रार्थ में जो शब्दार्थ छुपा है उसे कभी फुर्सत से फुर्सतिया जी ही बता पाएंगे।
    >कल की चर्चा पेश करने के समाचार से ऐसा लगता है जैसे ‘रामस्वरूप ने चोरी की और फलस्वरूप पकडा गया।’:))

    जवाब देंहटाएं
  11. लेकिन हल्के में मत लेना हम भी शास्त्रों के ज्ञाता हैं ।

    हमको मालुम हैं सभी यार जो अगली पिछली गाथा हैं ॥


    बहुत अच्छी चर्चा ...

    Regards

    जवाब देंहटाएं
  12. अच्छी रही ये मंगलमयी चर्चा.. चर्चा में आपकी उपस्थिती अच्छी लगती है..

    जवाब देंहटाएं
  13. गर ऐसे ही चलता रहा तो कोई न कोई इस फ़िल्म पर भी PhD कर बैठेगा... :)

    जवाब देंहटाएं
  14. मंगलवारी चर्चा बहुत अच्छी रही |

    जवाब देंहटाएं
  15. प्रिय विवेक,

    तुम्हारी कलम से हमेशा कुछ न कुछ नयेपन का इंतजार रहता है. आज भी ऐसा ही इंतजार लेकर आया तो नयापन कुछ ऐसा था कि बिन शास्त्रार्थ के ही मैं चारों खाने चित हो गया. (टिप्पणी बाक्स तक पहुचने के लिये अब खडा हो गया हूँ -- नहीं, कुर्सी पर बैठ गया हूँ. इस की चूले कल अनूप ने ढीली करवा दी थीं, अत: पता नहीं इस मुद्रा में कितना समय मिल पायगा).

    जिस तरह 5-स्टार होटल का शेफ विविध सामग्री के मिश्रण से आनंददायक भोजन तय्यार करता है, उसी तरह है आज की चर्चा. वैविध्य बहुत सुंदर रहा.

    शास्त्रार्थ पर शास्त्रार्थ एवं काव्य ने तो सोने में सुहागा कर दिया. हां अब भय सताने लगा है कि सारे चर्चाकार एक साथ मुझ से शास्त्रार्थ पर उतर आयेंगे तो मेरा फ्यूज उडते देर नहीं लगेगी.

    जय शास्त्रार्थ !!

    सस्नेह -- शास्त्री

    जवाब देंहटाएं
  16. जितने ज्यादा लिंक उतनी गहन चर्चा!

    जवाब देंहटाएं
  17. गज़ब कर दिया रे भाई...खूब लिखा...
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  18. आप copyright की चिंता क्यों करते हैं, दुनिया भर में लोग इंस्पिरेशन का नाम देकर पूरी पूरी रचना उड़ा ले जाते हैं, फिल्म को फ्रेम बाई फ्रेम डायलोग के साथ कॉपी कर लेते हैं कोई कुछ नहीं कह सकता...प्रेरणा लेना कहते हैं इसे :) मंगलमयी चर्चा आज औस्करमयी हो गयी.

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत उम्दा चर्चा है.
    मैं बाल नोचूँगा और आपलोग मिलकर मौज मनाएंगे? शास्त्री जी ने बाल नोचावाने की धमकी दे दी है. एक शास्त्रार्थ बाल नोचने पर हो जायेगा.

    जवाब देंहटाएं
  20. आप सभी का धन्यवाद !

    @ हिमांशु , आपको तो पता होगा कि हम हिमालय की कन्दराओं में पडे हैं . वहीं से चर्चा करते हैं आपका ब्लॉग न पढ सके क्षमा करें :)

    @ dhiru singh {धीरू सिंह}, हम दूर नहीं तुमसे , कहने को जुदाई है :)

    @ Arvind Mishra , आपको तो पता ही है मैं आजकल ऐडा बेडा चलता हूँ :)

    @ कुश , एक तो चर्चा बिना नहाए पढ ली आपने , ऊपर से बता और रहे हो सबको :)

    @ आलोक सिंह , आप पीछे क्यों रहेंगे आगे चलिए जी पीछे हम रहेंगे :)

    @ Suresh Chiplunkar , हम बिना गलती के ही आपसे क्षमा चाहते हैं आपका चिट्ठा हमने बाद में पढा तो पाया कि हमारी रैंज से बाहर था यानी 22 को लिखा गया था . आगे से ध्यान रखेंगे .

    @ cmpershad , हमने इशारा कर दिया है अब फुरसतिया जानें और उनका काम जाने , नहीं मानेंगे तो फलस्वरूप पकडा जाएगा :)

    @ काजल कुमार Kajal Kumar , अच्छा है किसी का भला हो जाएगा तो :)

    @ Shastri , आप भयभीत न हों सभी चर्चाकार एक साथ लिखें ऐसी चर्चा अभी संभव नही :)

    @ ज्ञानदत्त । GD Pandey , बडी गहन टिप्पणी लगती है :)

    @ poemsnpuja , आप कहती हैं तो हम प्रेरणा ले ही लेते हैं :)

    @ Shiv Kumar Mishra , गुरु जी कुछ धुँधली सी टिप्पणी रही , बेनिफिट ऑफ डाउट चाहते हैं क्या ? :)

    जवाब देंहटाएं

चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Google Analytics Alternative