हँसगुल्ले।
मैं भी कल छोले भटूरे खा के आया था लेकिन कलकत्ता से नहीं।
एक छुटंकी अपनी गाड़ी की सर्विस कराने की सोच रही हैं।
सोने के भाव - १९२५ से २००९ तक - है दिलचस्प। लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा की परिभाषा क्या हो?
कंप्यूटर प्रोग्रामिंग बच्चों को सिखाने के लिए कुछ नुस्खे।
दो सौ कदम की दूरी कम हुई कि बढ़ी? आगे पढ़ें। नहीं तो वो के बारे में जानें।
विष्णु बैरागी जी ने अपने चैंकने का कारण बताया है -
बचपन को जल्दी से जल्दी
बड़ा करने की होड़ में हैं।
उसे एक चूहा दौड़ में
शामिल कर देने की तेज होती दौड़ में हैं।
राजस्थानी में एक कहावत की व्याख्या।
वो न पसंद आए तो बुंदेली पढ़ लेओ।
आजकल बच्चों ने छद्म लेखन बहुत शुरू कर दिया है। उदाहरण के लिए यह आदित्य महोदय।
और ये भाई बहन।
और ये बोतल की लती।
झारखंड में पहला ब्लागर मीट हुआ, पर शाकाहारी क्या करेंगे?
और कुछ बुजुर्गों की भी बात हो जाए, जिन्हें २० किलोमीटर चल कर भी थकान नहीं होती थी, और बेटी को दहेज में चरखा देते थे।
चरैवेति, चरैवेति।
बहुत अच्छी लगी चिटठा चर्चा .....लेकिन थोडी छोटी रही लेकिन फिर भी काम के लिंक मिल गये
जवाब देंहटाएंक्या बात है आज बहुत छॊटी चर्चा ......? लेकिन अच्छी है।
जवाब देंहटाएंचर्चा लघु है, लेकिन मुझे खुशी है कि आप नियमित रूप से हमें कुछ न कुछ मानसिक भोजन पहुंचा देते है. ईश्वर आपकी कलम को शतायु करें.
जवाब देंहटाएंकल की चर्चा भी अभी देख पाया हूँ. प्रत्युत्तर का प्रत-प्रत्युत्तर उस के अंत में देख लें.
सस्नेह -- शास्त्री
आज की कारस्तानी--और फिर नौ दो ग्यारह..फिर भी मजेदार. :)
जवाब देंहटाएंछोटी ही सही लेकिन शानदार रही चर्चा !
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया जी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
प्रणाम
जवाब देंहटाएंचिट्ठा-चर्चा थोडी छोटी है पर अच्छी है .
गागर में सागर प्रस्तुत किया है आपने .
धन्याद
झारखंड में पहला ब्लागर मीट हुआ, पर शाकाहारी क्या करेंगे?
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!
विविधता बढ़ती जा रही है पोस्टोँ में और चर्चा में भीं।
जवाब देंहटाएंएक निवेदन है कि कृपया आप लिंक्स को न्यू विण्डो में ओपन करने का कोड लगाये. हमें जरा सहूलियत हो जायेगी. अब क्या होता है कि जैसे ही किसी लिंक पर क्लिक करते है वो इसी पेज पर ओपन होता है. इससे हम आपके पेज से दूर हो जाते है.
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जवाब देंहटाएं9-2-11
सुन्दर चिट्ठाचर्चा. संक्षिप्तता यदि सारगर्भित हो तो ठीक. यहां संक्षिप्त ही पर बहुत पाया.
जवाब देंहटाएंनयी विण्डो में खुलने का विकल्प तो होना ही चाहिये.
छो्टी सी.. प्यारी चर्चा..
जवाब देंहटाएंआदि को चर्चा में स्थान देने के लिये आभार..
प्याली प्याली छुन्दर छुन्दर चल्चा पलवाने का छुकलिया :)
जवाब देंहटाएंजमाए रहिए जी। लिंक वाली बात मान ली जाय।
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