गुरुवार, सितंबर 21, 2006

माइक्रोसॉफ़्ट के नये फ़ॉनेटिक इनपुट औज़ार

नारद के लिये टकटकी लगाये साथी लोग ने लिखना स्थगित करके इंतजार शुरू कर दिया है कि नारद जी आयें तो लिखा जाय.यह कुछ ऐसे ही को फोटोग्राफर आये तब काम किया जाये तकि सनद रहे.ऐसे आपाधापी में नियमित है तो केवल चिट्ठाचर्चा जिसको लिखने के लिये ब्लाग-दर-ब्लाग टहलना पड़ता है क्योंकि साथी लोग लिख के लिंक चिट्ठाचर्चा में देने में संकोच करते हैं.बहरहाल.

सिनेमा के बारे में तमाम लोग तमाम जानकारी रखते हैं.आपको भी होगी .आपकी कुछ पसंदीदा फिल्में भी होंगी .विनय की भी हैं.विनय अपनी १०० पसंदीदा फिल्मों के बारे उनके निर्देशक के नाम के जानकारी देते हैं.अब यह जानकारी हम आपको दे दें कि विनय नियमित रूप से देसीपंडित में हिंदी की अच्छी पोस्ट की जानकारी देते हैं.

सिनेमा की बात चली तो अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र के बारे में भी जानिये.इन महानायकों के शुरुआती दिनों के बारे में जानकारी दे रहे हैं जी.के.अवधिया.

बात सनीमा से शुरू हुयी तो मीडिया गिरी भी जरूरी है.बालेंदु शर्मा यूनीवार्ता खबर एजेंसी के गलत हिंदी अनुवाद के बारे में जानकारी दे रहे हैं जिसके चलतेदुनिया भर के सारे टेलीविजन चैनेल दूरदर्शन हो गये.

इंडिया गेट बड़ा गेट है.आज इंडिया गेट से दो लेख निकले.पहले में बात की गयी है आतंकवाद पर सरकार की स्थिति के बारे में और दूसरे में सरकार के कार्यकलापों को शान्ति वार्ता और आतंकवाद के सहअस्तित्व के बनाये रखने जैसा प्रयास बता रहे हैं.इंडिया गेट की पूरी पोस्ट चाहे दस शब्द की हो या द्स हजार शब्द की लेकिन वाक्य एक ही रहता है.यह होती है शब्द की एकता की भावना.रहना एक ही वाक्य में है.

इसी क्रम में भारत-पाकस शान्ति वार्ता का जायजा लेते हुये अमिताभ त्रिपाठी का मानना है:-

भारत को पाकिस्तान के सम्बन्ध में अल्पकालिक नीतियों का परित्याग कर दीर्घगामी नीति का अनुपालन करते हुये पाकिस्तान के लोकतान्त्रीकरण का प्रयास करना चाहिये और इसके लिये पाकिस्तान की लोकतन्त्र समर्थक शक्तियों को नैतिक, सामरिक और आर्थिक हर प्रकार की सहायता देने का प्रयास करना चाहिये, अन्यथा महाशक्तियों के दबाव में पाकिस्तान को छूट देते हुये हम पाकिस्तान के इस्लामी साम्राज्यवादी एजेण्डे से घिर जायेंगे.


रिश्तों के रसायन में डूबा हुआ है आज का दिल्ली ब्लाग जिसमें तैरते हुये दिल्ली के ही मनीष फरमाते हैं:-
सही कहा आपने ! रिश्तों को बनाने से ज्यादा कठिन उन्हें निभाना है खासकर तब जब पीछे का परिदृश्य मीठे ख्वाबों से बदल दौड़ती भागती जिम्मेवारियों वाली जिंदगी में तब्दील हो जाए ।


लगभग दो साल पहले पहले रची कविता में शैलेश प्रेम में डूबे हुये अपनी कथा बता रहे हैं:-

बस इतना जान लो
नहीं रहा कुछ भी मेरा
छोड़ दिया है सबकुछ
लम्हों के आसरे।
शायद सिमट गया है
सम्पूर्ण अस्तित्व तुम्हारे में ही
बढ़ गया है श्वासों का त्वरण
घटने लगी है दर्शन की गहराई।
देखने लगा हूँ सपने
करने लगा हूँ प्रयत्न
कि कर सकूँ साकार।
हटा दिया है प्रत्येक आवरण
खोल दी है दिल की किताब
सालों की मैल थी उनपर
फेरने लगा हूँ उँगलियाँ।

वंदेमातरम में चाचा लालबुझक्कड़ ने कल पूछे हुये सवाल का जवाब विस्तार से बताया:-
कलरिप्पयट् के तीन स्वरूप हैं- दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय और मध्य भारतीय. लगभग सात वर्ष की छोटी उम्र से ही इच्छुक विद्यार्थी को गुरुकुल में प्रशिक्षित करना शुरू कर देते हैं. यथावत विधि-विधान के साथ शिष्य गुरु से दीक्षा लेता है. इस प्रशिक्षण के चार मुख्य अंग हैं- मीतरी, कोलतरी, अनकतरी, और वेरमकई. इनके साथ मर्म तथा मालिश का ज्ञान भी दिया जाता है. मर्म के ज्ञाता अपने शत्रुओं के मर्म के स्पर्श मात्र से उनके प्राण ले सकते हैं अत: यह कला धैर्यवान तथा समझदार लोगों को ही सिखाई जाती है.


रवि रतलामी माइक्रोसॉफ़्ट का नये, भारतीय-बहुभाषी फ़ॉनेटिक इनपुट औज़ार के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.यह संस्थापना में सरल है,प्रयोग में आसान है,इसमें इनस्क्रिप्ट भी उपलब्ध है,और इस औजार के जरिए हिन्दी और अंग्रेज़ी के अलावा बारह अन्य भारतीय भाषाओं में काम किया जा सकता है.इसकी बड़ी खासियत यह है कि इसमें एक से दूसरी भाषा में आसानी से परिवर्तन किया जा सकता है.

खास कड़ी:-इसमें देखिये चिट्ठाचर्चा की पहली पोस्ट .क्या इरादे थे और किन परिस्थितियों में यह निकलना शुरू हुआ.उन दिनों यह मासिक था.चिट्ठाचर्चा में लिखने के दौरान एक ब्लाग के बारे में जानकारी मिली थी जिसमें एक वेश्या अपने ग्राहकों से संबंध और व्यवहार की नियमित जानकारी देती थी . एक ब्लाग , पोस्ट सीक्रेट ,में हर रविवार को लोगों अपने मन के रहस्य प्रकाशित होते हैं. उनमें ज्यादातर तो यौनजीवन से संबंधित रहस्य रहते हैं लेकिन अन्य पहलुऒं के भी मजेदार उदघाटन भी रहते हैं. आप भी देखें और मन करे तो अपना भी मन खोलें. मन की बात पर ही पहली पोस्ट में कवि महेश सक्सेना की यह कविता फिर से देखिये:-
पुन: तपेगी वात
झरेंगे पीले-पीले पात
सहेंगे मौसम के आघात

बता दो पात-पात
पर लिखे गये
संबंधों का क्या होगा

धूप छांव में लिखे गये
अनुबंधों का क्या होगा.



आज की टिप्पणी


१.अपने मनमोहन सिहंजी अमेरिका से प्रभावित भद्र पुरूष हैं, जबकी मुशरर्फ से निपटने के लिए वाजपायी जैसे कुटनितीज्ञ चाहिए.अच्छा हो कोई कुटिल विदेशमंत्री की नियुक्ति कर दी जाए.
संजय बेंगानी

आज की फोटो



आज की फोटो सुनील दीपक के फोटो ब्लागछायाचित्रकार से से .

 मछुआरे

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4 टिप्‍पणियां:

  1. क्षमा करं अनूप जी, मैं चाहते हुए भी अपनी नई पोस्ट की जानकारी यहाँ नही भेज सकी,मुझे नही पता ये कैसे करना है.और आपको बहुत साधुवाद,इतने सारे हिन्दी चिट्ठे पढकर उनकी जानकारी यहाँ पर
    रूचिकर रूप मे देने के लिये.फिर से धन्यवाद.

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  2. कोई बात नहीं रचनाजी आपकी पोस्ट के बारे में कल अतुल चर्चा करेंगे.

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  3. अनूप भैया हम तो एक छोटे मोटे शहर राँची के निवासी हैं, महानगर दिल्ली से हमारा कोई नाता नहीं !

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  4. चलो अब पता चल गया कि मनीष रांची में हैं!

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