यूँ अपने आप मे यह लेखक का सनसनी पैदा करने का फार्मूला भी है कि वह वर्जिन खूबसूरत लड़कियों की हत्या से कहानी मे एक अजीब सी थरथराहट लाता है,उसकी आलोचना अलग से की जाएगी।पर फिलहाल मुझे यह याद आया उसका कारण बनी मनुष्यों के काँख की गन्ध ,मनुष्य शरीर की गन्ध जिसे छिपाने और खत्म कर डालने के उपक्रम मे हम सभी सभ्य लोग जुटे है।वे पछताने वाले हैं सुन लीजिए और इस पोस्ट से हमें यह नतीजा निकालने मे सुविधा हुई कि रावण दर असल एक बैक्टीरिया था जो बालि की काँख मे 6 महीने तक दबता घुटता रहा था :-)
नास्तिक होना संसार की सबसे आनंददायी प्रक्रियाओं में से एक है और बातों के बीच की लम्बी छलाँगें उसी विद्रोह का हिस्सा हैं। बेशर्म होना, बाग़ी होने की तरह एक सकारात्मक विचार है। इसलिए गौरव सोलंकी कहते हैं - " ईश्वरीय न्याय को ठोकर मारते हुए मैं घोषित करता हूं कि तुम्हें क्षमा नहीं किया जा सकता। यह तुम्हें सुनाई देता है तो तुम्हें डरना चाहिए।"
हिन्दी ब्लॉगिंग ने तमाम तरह की अभिव्यक्तियों को मुखर और प्रबल बनाया है यह मानने मे कोई संकोच नही होना चाहिए ।ब्लॉग और उसके समाजिक सरोकारों पर राकेश का यह आलेख पढें तो लगता है ब्लॉगिंग वाकई हिट है जी !
मदिरापान के तौर तरीकों और तकनीकी जानकारियों से अनजान हमें अब नही कहा जा सकेगा ।अब हम दिल्ली हाट मे फ्रूट बियर पीते हुए पहले पूछ लेंगे कि इसका अल्कोहॉलिक प्रूफ बताइए :-)
कथन - मृत्यु जिजीविषा से बहुत डरती है :
प्रमाण - मौत का सर्टिफिकेट जारी होते ही जिन्दा हुई महिला
वन लाइनर
आज के दस सत्य - पता होने के बाद भी मेरे ही शेयर क्यों पिट रहे हैं :-(
भोपाल का ताल - हाल-बेहाल !
आमने -सामने
मानव शरीर किसलिए है ? - करिए ज़रा विचार
ब्लॉगरों के लिए अनोखी दवा का फार्मूला - काम के साथ आराम भी ज़रूरी है
बीस साल बाद दिल्ली मे एक रविवार - जिनकी जुस्तजू अभी बाकी है
सिर्फ तुमसे प्यार है - बधाई हो राजू , लिस्ट मे अब तुम भी शामिल हो गए !!
और अंतत: एक अ-सुर स-सुर हो ही गया ,ढेरों बधाइयाँ !!ससुर और कवि का कॉम्बी ऑफर कैसा लगा अनुभव शेयर किये जाएंगे उम्मीद है।मिठाइयाँ अकेले अकेले पचा पाने के लिए शुभकामनाएँ भी (आप चाहें तो सारी मिठाइयाँ निबटाने मे हम मदद कर सकते हैं -मिलें या लिखें )
अब आप और कोई भी बहाना बनाए बिना तुरंत इस चिट्ठाचर्चा को पसन्द करने के लिए चट्कों पे चटके लगाएँ ।ऐसा न हो कि सिर्फ टिप्पणी मे वाह , बढिया ,उत्तम लिख के चलते बने।
आते हैं पसंद करके !
जवाब देंहटाएंलेकिन यहाँ तो वो सुविधा है ही नहीं !
जवाब देंहटाएंहम तो इस चिट्ठाचर्चा को पसंद करने के लिए चटखा लगाने यहाँ वहाँ देखते रहे. एक ठो चटखे का इन्तजाम इंहा भी किया जाये. मिठाई खाने चले आईये तुरंत.
जवाब देंहटाएंयहाँ तो वो सुविधा है ही नहीं !
जवाब देंहटाएंब्लागवाणी पर पढ़ने से पहले पसंद बनाये हैं चाहे तो आइ.पी. चेक करवा लो नोट पैड!
जवाब देंहटाएं---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम
दिखाई नही दी तो पसंद नही करेंगे.. लेकिन अगर पसंद नही क़ी तो???
जवाब देंहटाएंक्या देखते रहेंगे??
वाह , बढिया ,उत्तम!
जवाब देंहटाएंbahut bdia
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंचर्चा अच्छी थी मगर छोटी थी, पढ़ना शुरू ही किया था की ख़तम हो गया| :)
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जवाब देंहटाएंसुजाता जी, देखिये.. जरा ऊपर देखिये तो, देखा ? जब अभी गुरुवर ज्ञानदत्त जी ' वाह , बढिया ,उत्तम ! ' लिखकर निकल लिये .. तो भला मैं चेला उनसे आगे जाकर यहाँ-इहाँ-उहाँ-जहाँ-तहाँ चटका कइसे लगा दें ? अभी समीर भाई भी कतार में हैं.. अउर तो अउर हमारे सारथी भी अपनी ज्वाइनिंग-रिपोर्ट अबतक नहीं दीए हँय !
चलिए गंध महात्म्य ने आपको प्रभावित किया !
जवाब देंहटाएंराकेशजी का आलेख पढा। वे सही कह रहे हैं कि यह 'स्वान्त: सुखाय' वाला मामला नहीं है। जो भी ऐसा कहता है, खुद से झूठ बोलता है या फिर अतिशय विनम्र होने का पाखण्ड करता है।
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लाग अभी उस दशा में नहीं आया है जहां इसके लिए कोई फतवा दिया जाए। यह अवश्य है कि इससे जुडे लोगों की संख्या आनुपातिक रूप से भरपूर आश्वस्त करती है और आशा जगाती है।
व्यक्तिगत स्तर मैं ब्लाग को, राजनीतिक और सामाजिक बदलवा के लिए धारदार औजार के रूप में देख रहा हूं।
कोई ताज्जुब नहीं कि आने वाले दिनो में हमारे 'राज नेता', ब्लाग विधा के नियमन की मांग करें और तत्सम्बन्धी कोई कानून लाने की चेष्टा करें क्योंकि ब्लाग की व्यंजना अन्तत: जन साधारण के क्षोभ को व्यक्त करती अनुभव हो रही है जो हमारे नेताओं को अत्यधिक असुविधाजनक लगेगी।
बडी दुर्गन्ध आरही है . यहाँ ठहरना मुश्किल हो रहा है . पसंद पर चटका कैसे लगाएं . जाते हैं थोडा स्वर्ग की गंध लेने :)
जवाब देंहटाएंअनूप जी
जवाब देंहटाएंमुझे तो ये चर्चा ही दिखाई देती है
बताइये तो सही ,ये किसे चर्चा नहीं लगती ?
समीर जी की पोस्ट और वन लाइनर अच्छे लगे.
भाई यहाँ आकर एक साथ सारे साथियों का
साहित्यिक हाल चाल भी पता चल जाता है
और आपके एक लाइनाओं में पूरक जवाब लाजवाब होते हैं
बधाई
आपका
विजय
नास्तिक होना संसार की सबसे आनंददायी प्रक्रियाओं में से एक है-
जवाब देंहटाएंविचारणीय।
पढ़ने के चक्कर में पसंद करना तो भूल ही गये। सुन्दर!
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