ये चिट्ठाजगत वाले बहुत गड़बड़ करते हैं। जहां कोई अच्छी सी खुशफ़ुस दिखी फ़ट से उसका कार्टून बना के पेश कर दिया। अब देखिये जी, आप खुद देखिये कि सबेरे विवेक ने कहा कि शाम को एकलाइनर पेश कर दिये जायें। हमने कहा जो हुकुम भाई। अब देखो इत्ती घणी आपसी गुफ़्तगू का कार्टून बना दिया। फ़ोटॊ भी ऐसी खूबसूरत बनाई हैं कि कोई भी फ़िदा हो जाये। अभिषेक ओझा सोच रहे होंगे कि जब गड़बड़ाये सौंन्दर्य अनुपात में विवेक-फ़ुरसतिया जोड़ी इत्ती स्मार्ट लग रही है तो सच में कित्ते स्मार्ट होंगें ये ब्लागर हीरो।
असल में विवेक इस लिये शाम तक एक लाइना पेश करने की बात कह रहे थे कि कल की चर्चा उनको करनी है। उनको अंदाज है कि कौन से चिट्ठे उनको छोड़ने हैं और कौन से हमें ताकि वे आराम से चर्चा-वर्चा कर सकें। ऐसा न हों कि गलतफ़हमी में वे और हम एक ही चिट्ठों को छोड़ दें और जिनके चिट्ठों की चर्चा हो जाये लोग कहें शुक्रिया।
लेकिन विवेक ने अभी तक बताया नहीं कि कल उनकॊ हड़काया किसने। हमने कहा भी बताओ जिसने हड़काया हो उसके ब्लाग पर टिपियाने के लिये अपने डा.अमर कुमार भेज दूं या फ़िर ताऊ की कोई पहेली उससे बूझने को कह दूं। एक घंटे में दिमाग ठिकाने लग जायेगा- अगर होगा।
लेकिन विवेक ने बता के न दिया। बल्कि वे आज हड़काई से दुखी होकर हंसने भी लगे। देखिये क्या हाल हुये उनके:
लग गई शर्त हम भूल गए ,
वे जोक सुनाते रहे हमें ।
हम हँसते थे बिल बढता था ,
इसका कुछ भान न था मन में ॥
जब घर आने का समय हुआ ,
तब हमको बिल दे दिया गया ।
मित्रों को हमको ठगने का ,
यह खूब तरीका मिला नया ॥
ले गए एक सौ का पत्ता ,
पूरे दस बार हँसे थे हम ।
तौबा तौबा गम्भीरपना ,
भई खुलकर खूब हँसेंगे हम ॥
नये साल में ई-गुरु राजीव ब्लागिंग की नयी तकनीक G8 से परिचित करा रहे हैं।
सामयिकी में हर रविवार को एक स्तंभ शुरू हुआ है- कड़ी की झड़ी। इसमें बताया जाता है कि अंतर्जाल बोले तो इंटरनेट पर कहां, क्या गुल कैसे खिल रहे हैं। इस बार देखिये क्या हो रहा है दुनिया में।
ये लो हम भी तो भूले जा रहे हैं कि हमें वायदा निभाना है एकलाइना लिखने का। सो पेश है जी चंद एकलाइना:
एक लाइना
- तौबा तौबा गम्भीरपना ! : इतनैं में तोबा बोल गये!
- फ़ुरसतों में .............. (बवाल) : कैसे तो संतुलन साधे हैं!
- जबलपुरिया ब्लागर 'मीट' में इलाहाबादी 'तड़का' : लगाने से बाज आओ!
- नाड़े और इज़ारबंद, लटकाने, दिखाने, इतराने और कविता कहने के :सब समेट के वकील साहब अपने बस्ते पर ले आये
- बादलों के महल में सोया है सूरज : अरे उठाओ उसे रात के दस बज गये जी!
- ये बातें झूठी बातें हैं: सच कहते हो जी!
- प्रेम जिसे कहते हैं.....!! : वो कविता तो लिखवा के ही मानता है
- तु मेरी सांसों में समाया बहुत है. :लेकिन तू समझ मेरी सांसों का किराया भी बहुत है
- एक मैं: मैं तो हमेशा एक ही होता है
- प्यार के बदले दुत्कार ,क्या कहें व्यवहार या संस्कार :क्या संस्कार? अरे कॊई और बात करो यार!
- शब्दों की मौत: अर्थी कब उठेगी?
- सिंह इज़ किंग-सिद्धू इज़ बुद्धू : ई सच काहे दोहरा रहे हो पंकज दद्दू?
- ओ मेरे आदर्शवादी मन, ओ मेरे सिद्धान्तवादी मन, अब तक क्या किया? जीवन क्या जिया!! : ४५ साल में नहीं बताया त अब का बतायें?
- रात को शोर मचाता कुचकुचवा: लगता है ससुरे के अंदर किसी ब्लागर की आत्मा आ गयी है! झाड़-फ़ूंक करानी पड़ेगी।
- मनमोहन का डीएल :ई सब राजकाज है यार!
- हारे हुये शब्दों का मोल : क्या होगा? बोल रे ब्लागर बोल!
- खड़े आज किए इतिहास के पहिये और लुढ़का दिए वापस : और कह दिया डांट के-हिरन अब किसी भी रूप में शिकार नहीं होंगे।
- आखिर ये 17 निर्दोष लोगो की मौत का सवाल है? :अरे वो ’लोग’ नहीं है अनिल भाई! आदिवासी हैं। आप उनकी मौत का सवाल उठा रहे हैं! हद है यार!
- सौराष्ट्र में किसान लौट रहे हैं :क्या सोच के?
- घमंडी धनुर्धर : एक ब्लाग पर दिखा!
- फ़ैसला:भगवान बनना है तो एक अच्छा इन्सान तो बनना ही पड़ेगा । बोलो क्या बनोगे? :
- सपना :देखे पड़े हैं काहे से कि आंख अभी खुली नहीं!
- जन्म जन्मान्तर परमात्मा ऐसी माता दें :आमीन!
- एक ख़ास ख़बर का खास असर : सन्दर्भ जबलपुर ब्लागर्स मीट : समझदार लोग ’खास’ की जगह ’खाक’ पढ़ने के लिये स्वतंत्र हैं।
- आखिर मोदी इतने करिश्माई क्यॊं हैं? :बूझो तो जानें
- आठ साल की लड़की ने रचाई मेंढक से शादी :बेचारा मेढक अन्दर हो जायेगा बाल विवाह कानून के उल्लंघन में
- सौ करोड़ का नोट :गुरू एक मिल जाये तो क्या बात है!
- मुश्किलें :ब्लागिंग में भी बहुत हैं यार!
- शान्ति एवं सदभावना पर राष्ट्रीय अधिवेशन:तो बुला लिये लेकिन न कहीं शान्ति चाची का पता है न सद्भावना भौजी का!
- मेरे दिल में अनेको घाव हैं :अरे तो गिनो बैठ के भाई!
- विश्वविद्यालय- चेहरे बदल गए सपने वही हैं : सही है। सपने दलबदलू नहीं होते न!
- मंदी के लोगो और केतली में तूफ़ान : जरा केतली में पत्ती डाल के चाय बनाओ भाई जान!
- कौड़ी के दाम वफा-व्यंग्य शायरी : के साथ यही होता है जी!
- बुश का कार्यकाल उनकी तस्वीरों में :ही रहेगा अब तो जी!
- गांधी जी ने मरते वक्त कहा था- हे राम : हाय राम क्या इसीलिये मर गये?
- मत करना विश्वास : कि सिर्फ़ तुम्हारा हूँ मैं
- ऊँ चिट्ठाचर्चा नम: स्वाहा:क्या बात है आहा!
- हमें इनपर गर्व है, ये है भावी देख के खेवनहार :इसीलिये तो मिला है इन्हें वीरता पुरस्कार!
- अपने गेसुओ के साए में गुलो की छाँव को दिल से बनाए रखना : अब गेसू कहां बचे? बिग लगाती हैं वो जी! दिल का भी बाईपास हो चुका!
- इदं न मम : आपका नही है तो हम ही रखे लेते हैं
- मेरे हिस्से की धूप :हमें भी गुनगुनी लग रही है!
- कचनार की कविता : दिल देह में भी दाखिल हो गयी!
- मोदी को बनाओ परधानमंत्री :कौन जिले का?
- नदी घर से गायब है परेशान हूँ मैं : कहीं डूब न जाये शहर में बेचारी
- ये कबतक अंडा देगा? :जब तक आप बातों के आमलेट बनाते रहोगे!
- फ़ूल और पत्थर : ने मिलकर ये पोस्ट लिखवा ली
- क्या खोकर वापस आ जाते हैं??? : पता करना पड़ेगा? गूगल में सर्च करते हैं जी!
- सब तो खेल रहे हैं, फिर धोनी क्यों नहीं : अरे उसको माडलिंग और फ़टफ़टिया चलाने से फ़ुरसत मिले तब न खेले
- ख़त्म हुआ इंतज़ार :४५ दिनों के इंतज़ार के बाद
- "तेरी बांहों में मर जाएं हम" :हम तो चले जायेंगे फ़ंसे फ़िरोगे तुम
- तुम मेरे बनो या ना बनो :लेकिन कम से कम मुझे बनाओ तो नहीं
और अंत में
वायदे कम पर फ़रमाइश ज्यादा के चलते ये कुछ पेश किया गया। एक लाइना ज्यादा हैं। अब तो आ झेल ही लिये।
जबलपुर में अभी अभी बड़ा हल्ला मच गया। तमाम ब्लागर समीरलाल के साथ मिलकर एक होटल में मीट कर रहे हैं और बता रहे हैं मामला शाकाहारी है। पता चला कि समीरलाल डूबे से कह रहे हैं जो अद्धी मिली है उसको तो निकालो। कोई बबाल से पूछ रहा है कि बवाल भाई ये संतुलन साधना कैसे सीखे। समीरलाल लोगों की इस बात से इंकार कर रहे थे कि उनकी शादी की सालगिरह नहीं है लेकिन ब्लागरों के दबाब में उनको मानना पड़ा। अभी ब्लागर मीट चल रही है। उसके सच्चे-झूठे किस्से कल-परसों पर लोग पेश करेंगे। नहीं किये तो हम आपको सुनायेंगे सच्चे किस्से।
फ़िलहाल इत्ता ही। आप टिपिया के सो जाइये। सबेरे विवेक की धांसू चर्चा देखियेगा। शुभरात्रि।
ये भी सही है- पार्ट वन, पार्ट टू :)
जवाब देंहटाएंलगता है चिट्ठाजगत् वालों को आप से ज्यादा कार्टूजेनिक( फ़ोटोजेनिक की तर्ज़ पर) लोगों की भरती का इश्तिहार जारी करना चाहिए। वरना तो कितने एक्स्पेरीमेंट कर कर के वे आप को ये रूप(?)(हा-हा-हा)दे पाए होंगे,हिटलर और बेबी का कोम्बीनेशन.....। एक ही झटके में उम्र के किस पायदान पर पहुँचा दिया दोनों को।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंवह टीप ही क्या, जो देर तक न कल्लाये ?
मेरी टीप " इंज़ेक्शन लगावें घड़ी घड़ी " टाइप ऎटोमैटिक बन जाती हैंगी, जी !
आपई दस्स देयो.. हुण की कराँ, फ़ुरसतिया भाई साहब ?
उल्लू जी के दर्शन हो गए तो लक्ष्मी जी भी आसपास ही होंगी !
जवाब देंहटाएंफ़ुरसतों में .............. (बवाल) : कैसे तो संतुलन साधे हैं!
जवाब देंहटाएंजबलपुरिया ब्लागर 'मीट' में इलाहाबादी 'तड़का' : लगाने से बाज आओ!
--वन लाईना तो पूरी पूरी पोस्ट पर भारी पड़ती हैं.
कल ब्लॉगर मीट में आपकी टेलिफोनी शिरकत ने उसे शहर की सीमाओं के परे राष्ट्रीय सम्मेलन बना दिया. महाशक्ति परमेन्द्र ने भी टेलिफोनी शिरकत की. बहुत आनन्द आया. आज कोई न कोई तो रिपोर्ट लिखेगा ही. हम जरा रुक कर लिखते हैं. सबको देख तो लें कि उन्होंने इस मीट के बारे में क्या सोचा. फिर पटाखे फोड़ने का मजा अलग रहेगा. :)
लीजिए भाई साहब, रात में तो देर हो गयी थी। लेकिन सुबहिए में टिपिया देते हैं। एक लाइना के क्या कहने। धाँसू च फाँसू। लेकिन डॉ. अमर जी की बात देर तक मजा लगाने वाली है।
जवाब देंहटाएं“वह टीप ही क्या, जो देर तक न कल्लाये ?” वाह जी!
लगे रहिए विवेक बाबू
जवाब देंहटाएं---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम
बहुत बढ़िया चर्चा है . देखते है जबलपुरी मीट में कितना तड़का लगा है . वैसे हम जबलपुरी बाहरी तड़का पसंद नही करते है जिन्हें पसंद है वे जायका लेने गए होंगे. भाई बाहर होने के कारण मै उपस्थित नही हो सका .
जवाब देंहटाएंकैसे तो संतुलन साधे हैं ?
जवाब देंहटाएंये तो सिर्फ़ अभ्यास हो रहा है फ़ुर्सतिया जी, ताकि आगे चल कर हम, आप जैसे शब्दों के शानदार नट की अंगुलियों पर, न सिर्फ़ बैलेंस बना सकें बल्कि नाच भी सकें । हा हा।
आपका बहुत बहुत आभार इस पोस्ट की एक लाइना के लिंकों के माध्यम से सभी ब्ला॓गर्स की बेहतरीन रचनाएँ पढ़वाने का।
सादर सम्मन माफ़ कीजिएगा सम्मान सहित
आपका अपने ही बवाल (ना॓ट बबाल, कृपया सनद रखिएगा जी)
(उपरोक्त श्वान साहब का चित्र हमने उनके लाल कमीज़ वाले बच्चन मदारी के साथ अपने पूना स्थित निवास कुबेर संकुल के गेट के बाहर सन २००७ में, और जबलपुर की मदन महल पहाड़ी स्थित मशहूर संतुलन शिला जिसे "जबले-मीज़ान" का ख़िताब हासिल है, का चित्र उसके वास्तविक रूप और एंगल से सन २००८ में, अपने मोबाइल कैमरे से फ़ुरसत के पलों में लिया था। शुक्रिया)
बढ़िया चर्चा-ek lina bahut achcha hai.
जवाब देंहटाएंरात को शोर मचाता कुचकुचवा: लगता है ससुरे के अंदर किसी ब्लागर की आत्मा आ गयी है! झाड़-फ़ूंक करानी पड़ेगी।
जवाब देंहटाएं--------
बहुत से ब्लॉगर हैं कुचकुचवा! बहुत सही कहा।
झाड़-फूंक की बजाय कुचकुचवा का भी ब्लॉग बनवा दिया जाये - कम्यूनिटी ब्लॉग!
दिनों बाद आया है ये एक लाइनवा
जवाब देंहटाएंताक-ताक के साधा है अनूप ने निशनवा
अब तो ख्वाब इस तरह बेतरह मचलने लगा
जवाब देंहटाएंअरे क्या साँस का भी किराया चलने लगा