कंप्यूटर में कई चीजें तकलीफ देती हैं मसलन ब्राउजर में हिस्ट्री का औजार जो न केवल ये चुगली कर देता है कि हम नेट पर कहॉं कहॉं मुँह मार रहे थे वरन ये भी बता देता है कि कुल जमा कितने घंटे हमने इस बेहूदा मशीन को अर्पित कर डाले हैं। इसी तरह और भी कई चीजें तकलीफ देती हैं पर सबसे ज्यादा तकलीफ देती हैं मसलन नीचे दाहिने कोने पर ये-
जी ।। इसे घड़ी कहा जाता है और 8:58 थे जब चर्चा शुरू की थी और दस बजेंगे जब काम पर निकलना होगा..कामसा भी कोई काम नहीं बच्चें की परीक्षा है और हमें चौकीदारी करना है- इन्विजीलेशन। इसलिए चर्चा पुन: देखी सुनी रहेगी। यदि आपको लगता है कि देखने सुनने में चर्चा का पूरा जायका नहीं आता तो प्रत्यक्षा के इस जायकेदार दिन से अनुमान लगाए हैं तस्वीरें कितनी चुगली करती हैं-
सिद्धेश्वर बाबू हम (भूतपूर्व) रिसर्च स्कालरों के बेवजह बदनाम किए फिर रहे हैं एक तो इतना सुंदर गुलाब लगा दिया अपने सखी उवाच में
तिसपर आरोप-
सँभल - सँभल के कदम अपने बढ़ाना प्यारी
अगर वो रिसर्च स्कालर है तो और भी चौकन्नी रह
उनका तो काम है बस दिल ही लगाना प्यारी !
थोडा़ टाईम कम है वरना इसका जमकर खंडन करते।
प्रेम कोई फुटनोट लगाना थेड़े ही है कि केवल रिसर्च स्कालर भर के मतलब की चीज हो। ये तो आम बीमारी है किसी को भी हो सकती है मसलन चित्रगीत पर देखें
Mere Pyar Ki Umar Ho Itni Sanam - video powered by Metacafe
जब बीमारी की बात चल ही रही है तो बेजी का इतने दिनों की छुट्टी के बाद पुन: स्वागत किया जाए वे एक जानकारी से भरी पोस्ट में रोटावायरस के विषय में बता रही हैं
नारदमुनि कंपलीट पत्रकार कमल नागपाल को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
देखने सुनाने को और भी बहुत कुछ है लेकिन अगर कुछ छूट जाए तो दिनभर के सारे वीडियो आप यहॉं देख सकते हैं।
तस्वीरों की अगली कथा या कहें कि कथा का अगला संस्करण जबलपुर से हैं जहॉं लगता है कि लाल पर हक का लेकर खासा वबाल हो रहा है। लाल बवाल पिंटू-टुन्नू हें कि नहीं वे जानें पर चिट्ठाजगत की दुनिया में तो अब वे पिंटू टुन्नू हो गए हैं। बकौल फुरसतिया
टुन्नू (बबाल) की समझ पर तो भरोसा है लेकिन पिंटू(समीरलाल) के हाल न पूछो। कोई भरोसा नहीं। अब बताओ हमने अपने मोबाइल कैमरे से उनकी इत्ती फ़ोटॊ खैंच दी क्यूट सी लेकिन पिंटू ने हमारे साथ क्या किया? केवल नेचुरल सी फोटो खींच के धर दी। जरको स्मार्टनेस का ख्याल नहीं रखा। उनके कैमरे से अच्छा तो हमारे यहां के फ़टाफ़ट स्टूडियो का फोटो होता है। अच्छा न लगे तो कह तो सकते हो कि ये हमारा नहीं, समीरलाल का फोटो है, लेकिन अच्छा आया है।
स्मार्टनेस पर कोनो टिप्पणी हम करेंगे नहीं पर दे दनादन भोजन का परताप मोंटे कार्लो के नीचे छिपा है पर इतना छिपा भी नहीं है :)
पर हम टिप्पणी नहीं करेंगे का मतलब ये थोडे ही है कि कोई नहीं करेगा। वबाल करेगा-
वैसे मैं इन फ़ुरसतिया जी को पहचान चुका था बात करते वक्त ही के “दीर्घ दन्ता क्वचित मूर्खा” सो मैंने जानबूझकर बातें भी की थीं और कहावत पटकी थी। हमारी नानी जी सही कहा करती थीं। कानपुरिया कान का कच्चा होता है।
कुमांऊ के त्यौहार काले कौवे दो शानदार पोस्ट एक घुघुत (शक्कर पारा कि पक्षी पढ़कर तय करें) ई जी ने दी है
दूसरी दी है अशोकपांडेजी ने। माताजी के दर्शन कराने के लिए भी उनका आभार-
आप जानते ही हैं कि चर्चा घड़ी से दौड़ लगा रही है लेकिन अब घड़ी जीतती सी लग रही है
इसलिए चलते चलते थोडी नजर बेतस्वीर
नीलिमा सुखीजा बुल्लेशाह से परिचय करा रही हैं। बच्ची के साथ घूमना प्रमोद के यहॉं उस बच्ची के साथ जो बच्ची थी। प्रभात गोपाल बिदके हुए हैं कि बिहार की कीमत चवन्नी क्यों लग रही है, उनके हिसाब से भाव कया हो ये वो बता नही पाए। ये अंजलि की इन आपबीती पर उनकी टिप्पणी है। रेडलाइट पर एक शानदार ब्लागराना कोलाज देखें कुश का। एक मार्मिक प्रस्तुति शाश्वत शेखर की।
आप बांचें हम चले चौकीदारी के लिए।
अभी हम आपकी चर्चा के बारे में अनूप जी से पूछ ही रहे थे.. और आप यहा हाज़िर.. चर्चा काफ़ी फोटोजेनिक रही..
जवाब देंहटाएंfoTojenik charchaaa ke liye aabhaar.
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जवाब देंहटाएंचलते चलत्ते..
एक नज़र आते हुये लोगों पर भी डाल लेते, श्रीमान मसिजीवी जी !
सुन्दर चर्चा, फ़ोटो-विडियो के साथ.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
अरे ब्राउजर हिस्ट्री के लिए क्रोम में सुविधा है कभी ट्राई करिए: ctrl+shift+N
जवाब देंहटाएंहम तो हिस्ट्री में ऐसा सेटिंग किए हैं की ब्राउजर बंद करते ही हिस्ट्री छु मंतर!! :) चित्रमय चर्चा अच्छी रही|
जवाब देंहटाएंchitrmay charcha..sirf ek ghantey mein poori gayi..bahut badiya !
जवाब देंहटाएंachchee chrcha rahi rozana se hat kar.
इन दो घड़ियों से साफ़ हो गया की चर्चा में कितनी मेहनत लगती है
जवाब देंहटाएंबहुत खूब! एक चर्चा कैलेंडर से दौड़ लगाते हुये करो तब और मजा आये।
जवाब देंहटाएंचर्चा अच्छी है,एक फ़िर समीर जी के लड़के की शादी की याद तरोताजा हो गई.. कडाके की ठण्ड,सुलगती अंगीठियाँ,खोवे की जलेबियाँ, रसगुल्ले से समीर जी,सितारों से बाराती और चाँद सी दुल्हन,वाह भाई वाह,मज़ा आ गया.
जवाब देंहटाएं-डॉ विजय तिवारी "किसलय "
बहुत इफीशियेण्ट हैं - घण्टे भर में इतना ठेल लेते हैं। :-)
जवाब देंहटाएंझांकने झांकने की बात है वरना कुमाँऊ०गढ़वाल के घुघुत (मकर संक्रान्ति, काले कौवा) पर कुछ जानकारी यहाँ भी दी थी, जानकारी के इच्छुक संपर्क कर सकते हैं, अगर अभी तक नही किया है तो।
जवाब देंहटाएंबकिया चर्चा तो टनाटान रही, बड़े सुपर फॉस्ट हो, हमें तो कोई ३ से ४ घंटे लगते हैं समेटने में।
जाओ जी हम रूठ गये घुघुत पर हमारी इतनी जानकारी भरी पोस्ट का जिक्र तक नही किया, हम भी शनिवारी चर्चा नही करेंगे। ;)
हॄदय से आभारी हूँ हिन्दी ब्लाग की इस दैनिक पहचान और पड़ताल करने वाली टीम का. इस पर रोज ही आना होता है, इसलिए नहीं कि उद्धव शतकीय शब्दावली में कहूँ तो 'हमें लिख्यौ है कहाँ - 'हमें लिख्यौ है कहाँ कहन सबै लगीं' मात्र देखने के लिए . इसके पटल पर आकर ठीक वैसा ही लगता है जैसे पुस्तक -फिल्म समीक्षा के पटल पर जाना.हाँ, अगर कभी कहीं अपनी लगाई पोस्ट कर जिक्र दिख जाय तो यह मेरे जैसे नौसिखिये के लिए बहुत बड़ा प्रोत्साहन होता है.भाई मसिजीवी के साथ 'चिठ्ठा चर्चा' की पूरी टीम के प्रति आभार !
जवाब देंहटाएंयहाँ रेखांकित 'कबाड़खाना' पर 'सखी संवाद' के साथ लगा गुलाब का चित्र परिचय यह है कि यह इस नाच्रीज की छत पर गमले में अभी खिला हुआ है.
@ तरुण न जी रूठो नहीं क्योंकि आपको तो शायद रूठना भले से आता होगा पर हम मनाने में खूब कच्चे हैं।
जवाब देंहटाएंहम तो दरअसल डर गए थे कि 14 तारीख की पोस्ट का जिक्र किया तो भी कहीं दूसरे (चर्चाकार) का माल उड़ाने का आरोप न लग जाए। :)
@ तरुण न जी रूठो नहीं क्योंकि आपको तो शायद रूठना भले से आता होगा पर हम मनाने में खूब कच्चे हैं।
जवाब देंहटाएंचिंता ना करें हमें सिर्फ ये शब्द पता है इसका मतलब नही ;)
हम तो दरअसल डर गए थे कि 14 तारीख की पोस्ट का जिक्र किया तो भी कहीं दूसरे (चर्चाकार) का माल उड़ाने का आरोप न लग जाए। :)
हम्म बासी भोजन का आनंद ही यही है, एक तो उसका स्वाद बढ़ जाता है दूसरा उस पर कोई अधिकार भी नही जताता फ्रेश माल के चक्कर में। हाँ आज का ताजा माल ले उड़ते तो इल्जाम जरूर आता ;)
चिट्ठाचित्र चर्चा हुई यह, सभी को चित्र लगाने की प्रेरणा् देती।
जवाब देंहटाएंघडी जीत गई !
जवाब देंहटाएंबस दो ही जगह दिखी . शुरू में और अंत में ! इसकी स्पीड कमाल है !