सोमवार, जनवरी 19, 2009

तुम्हें शुभकामना मेरी!!

मैराथन रास्ता
समझदार समझे जाने वालो लोग सुबह की शुरुआत पूजा-अर्चना से करते हैं। डा.अमर कुमार भी गूगल देवता की आरती पढ़कर दिन शुरू करते हैं। उनकी प्रार्थना आप उनके यहां ही जाकर पढ़ लीजिये। प्रार्थना चोरी न हो जाये इसलिये ताला लगा है उस पर!
मैराथन रास्ता
कल मुंबई में हुई फ़ुलमैराथन में केन्या के धावक हाफ़ मैराथन में भारत के धावक अव्वल रहे। इसके बाद अब नीरज रोहिल्ला आज ह्यूस्टन में सुबह सात बजे से मैराथन दौड़ में भाग ले रहे हॊंगे। इस धावक ब्लागर की हौसला आफ़जाई के लिये जगह-जगह लोग लगे हैं। हम भी उसके साथ हैं। दौड़ पूरी होने के बाद नीरज इसके बारे में लिखेंगे। तब तक आप दौड़ का रास्ता देख लीजिये। उधर खबर यह भी है कि रोहतक में बसंत पंचमी को मैराथन दौड़ होगी।

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी दफ़्तरों में काम के अंदाज की बानगी देते हुये बताते हैं कि आगे काम में अड़चन न आये इसके लिये कैसे लोग अनुरोध करते हैं काम को अपनी रफ़्तार से ही चलने दिया जाये। यह बड़ी उदास तस्वीर है दफ़्तरों की जिसमें आम आदमी कहता है:
“...असल में आज तो आप डाँट-डपटकर मेरा काम करा देंगे लेकिन भविष्य में हमेशा तो उन्हीं से काम पड़ेगा। ...अगर बाबू जी बिदक गये तो कभी न कभी परेशान करने का मौका पा ही जाएंगे। ...फिर तो मेरी बुजुर्ग भाभी जी को लेने के देने पड़ जाएंगे। ...इसलिए पूरे आदर और सम्मान के साथ मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि इसे ऐसे ही चलने दें।”

प्रीति बड़थ्वाल
प्रीति बड़थ्वाल काफ़ी दिन बाद अपनी कविता के साथ दिखीं:
इतने करीब थी जिसके,
फिर भी ये दूरियां थी,
कहीं न कहीं कुछ तो,
ये भी मजबूरिया थी,

क्या मैं भी उन खुशियों को अपना,
आशियां बना पांऊगी,
कहीं छूते ही उन ख्वाबों को,
बिखर तो नहीं जाऊंगी,


मेहताजी

मेहताजी शुभकामनायें देते हैं:
तुम्हें शुभकामना मेरी
कहीं पर भी न आँसू हो
यही है प्रार्थना मेरी।

खुशी से भी कहीं ज़्यादा
अभी तक ग़म दिए सबने
किए साकार भी कुछ तो
मगर तोड़े कई सपने
कहीं आहत न हो जाए
सुनो फिर भावना मेरी।
तुम्हें शुभकामना मेरी!!


कल ब्लागवाणी में संभवत: कुछ सुधार कार्यक्रम चल रहे थे इसलिये कुछ लोगों के ब्लाग पर दूसरे लोगों की तस्वीर लग गयी। अब तक शायद सबकी तस्वीरें ठीक हो गयीं होंगी।

और अंत में


आज की चर्चा का दिन कविताजी का होता है और लोग उत्सुकता से इसका इंतजार करते हैं। देर रात तक अतिव्यस्त रहने के कारण वे इसे कर न सकीं अत: यह दफ़्तर प्रयाण से पूर्व अति संक्षिप्त चर्चा पेश की गयी। शाम को समय मिला तो आगे कुछ चर्चा और एकलाइना पश किये जायेंगे।

कल की चर्चा विवेक पेश करेंगे जि्नकी कल हड़काई हो गयी।

उधर आज शाम को जबलपुर में ब्लागर मीट होने वाली है खान-पान के साथ। इसकी रपट का इंतजार रहेगा।

तब तक के लिये विदा। आपके सप्ताह की शुरुआत चकाचक हो। शुभकामनायें।

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16 टिप्‍पणियां:

  1. शाम को एक लाइना पेश करिए , अवश्य ! पर देर शाम को नहीं :)

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  2. हुकुम की तामील की जायेगी विवेक।

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  3. डा अमर कुमार की आरती पर ताला? धार्मिक रीतियों की पोंगापंथी आप को भी निभाने खूब आती है। धर्म की इसी तालेबंदी ने तो धर्म का आचरण ही बदल दिया।
    घबरायें नहीं तालाबंदी करने वाले धर्मगुरु - एक पुनर्जागरण उनकी भी बाट जोह रहा है।

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  4. हंम जान गए ये हाजरी और ऐवजी चर्चा है।

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  5. शाम को एक काम और बढा दिया।

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  6. बिना एक लाईना अधूरी सी लगती है आपकी चर्चा .शाम का इंतज़ार रहेगा .
    हाजरी और ऐवजी चर्चा yah kya hai

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  7. बहुचर्चित ताला प्रकरण संज्ञान में लिया गया, श्रीमान फ़ुरसतिया जी !
    इसपर कई स्पष्टीकरण आख्यायें जारी की जा चुकी हैं..
    कृपया पुनःअवलोकन करें..
    टेम्प्लेट सुरक्षा के दृष्टिगत ताला है,
    जबकि सामग्री सर्वाधिकार मुक्त है, यह सूचना ब्लागस्थल पर टँकित है..
    पाठकों के सुविधार्थ चर्चित सामग्री अविकल यहाँ प्रस्तुत है..
    मूलस्थल पर केवल चित्रों में कुछ फेर-बदल किया गया है

    ॐ जय गूगल हरे, स्वामी जय गूगल हरे
    फ़्रस्ट (एटेड ) जनों के संकट, त्रस्त जनों के संकट
    एक क्लिक में दूर करे
    ॐ जय गूगल हरे…

    जो ध्यावै सो पावै
    दूर होवै शंका, स्वामी दूर होवै शंका
    सब इन्फ़ो घर आवै, सब इन्फ़ो घर आवै
    कष्ट मिटै मन का
    ॐ जय गूगल हरे…

    नेट पिता तुम मेरे
    शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं किसकी
    तुम बिन और न दूजा, तेरे बिन और न दूजा
    होप करूं किसकी
    ॐ जय गूगल हरे…

    तुम पूरन हो खोजक
    तुम वेबसाइटयामी, स्वामी तुम वेबसाइटयामी
    पार नेट परमेश्वर, पार नेट परमेश्वर
    तुम सबके स्वामी
    ॐ जय गूगल हरे…

    तुम ब्लागर. के फ़ादर
    तुम ही इक सर्चा, स्वामी तुम ही इक सर्चा
    मैं मूरख हूं सर्चर, मैं मूरख हूं सर्चर
    कृपा करो भरता
    ॐ जय गूगल हरे…

    तुम सर्वर के सर्वर
    सबके डाटापति, स्वामी सबके डाटापति
    किस विधि एन्टर मारूं, किस विधि एन्टर मारूं
    तुममें मैं कुमति
    ॐ जय गूगल हरे…

    दीनबंधु दु:खहर्ता
    खोजक तुम मेरे, स्वामी शोधक तुम मेरे
    अपने फ़ण्डे दिखाओ, कुछ तो टिप्पणी दिलाओ
    साइट खड़ा तेरे
    ॐ जय गूगल हरे…

    बोरियत तुम मिटाओ
    टेंशन हरो देवा, स्वामी टेंशन हरो देवा
    गूगल अकाउण्ट बनाया गूगल अकाउण्ट बनाया
    पाया ब्लागिंग मेवा स्वामी पाया ब्लागिंग मेवा
    जो नर ब्लागिंग धावैं करैं निजभाखा सेवा
    ॐ जय गूगल हरे

    मेरा हार्दिक चर्चा-आभार स्वीकार करें

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  8. आड़े वक्त चर्चा-सहयोग हेतु आभार!
    आपने सिद्धार्थ जी का फ़ोटू लगाकर हमारी पार्टी पर अपनी मोहर लगा दी, अभाल जाना होगा इलाहाबाद, रचना त्रिपाठी जी के हाथों बनी केवांच की फली की सब्जी सहित पार्टी खाने।
    चर्चा अलमस्त है।

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  9. ओहो, तो अनूप जी ने कविता जी की प्राक्सी मारी है! प्वाइंट टू बी नोटॆड।

    एक लाइना तो अभी तक नहीं आई? जल्दी करिये।

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  10. कितने हुकुम बजाने वाले सज्जन हैं ब्लॉगजगत में!
    नीरज रोहिल्ला को सदैव शुभकामनायें।

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  11. नेट सम्पर्क की खराबी के कारण दफ़्तर से लौटने के बाद चार घण्टे की ‘जालस्थलीय बेकारी’ पत्नी और बच्चों के साथ बीती। एक अलग खुशी के साथ। जल्दी सोने का कार्यक्रम अचानक बदल गया जब कम्प्यूटर महराज ने मेरे आखिरी प्रयास पर हरी झण्डी दिखा दी।

    पहले सत्यार्थमित्र पर टिप्पणियाँ और फिर यहाँ इस नाचीज की फोटो देखकर मन बल्लियों उछल रहा है। केंवाच की पहेली सस्ते में ही बूझ जाने से तसलीम पर भी विजेता के रूप में मेरे नाम की चर्चा हो गयी। वाह!

    सोच रहा हूँ आज सुबह उठकर मैने किसका मुँह देखा था...। जय हो ब्लॉग जगत की।

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  12. चिट्ठाचर्चा में हमारा एक्सक्लूसिव फ़ोटो, हम तो धन्य हो गये।
    दौड भी खत्म हो गयी, :-)

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  13. अनूप जी नमस्कार, चर्चा छोटी थी पर अच्छी है।
    तबियत ठीक न होने की वजह से काफी दिनों के बाद मैंने ब्लॉग पर नये साल की शुरूवात की, जिसे आपने अपनी चर्चा में शामिल भी किया। बहुत बहुत धन्यवाद ।

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