झूला
यह बडी़ खुशी की बात है कि खुशी ने लिखना जारी रखा लेकिन परेशानी भी तो देखिये के उसके जो माडल बनाने का काम मिला उसमें उसके भैया कुछ सहायता ही नहीं कर रहे थे. लेकिन फ़िर खुशी ने ऐसा कुछ क्या किया कि एक नहीं दोनो भाई जुट गये सहायता के लिये यह जानिये खुशी से ही. खुशी की खुशी से भी बड़ी खुशी की बात है कि प्रस्तावित पुस्तकचर्चा की शुरुआत प्रत्यक्षा ने अपने ब्लाग पर कर दी है. कर ही नहीं दी है बहुत अच्छी तरह की है इसके लिये उनकी जितनी तारीफ़ की जाये क्योंकि तारीफ़ का वो उसका बुरा नहीं मानती. प्रख्यात कथाकार कुर्रतुलएन हैदर की की लिखी चाँदनी बेगम की समीक्षात्मक चर्चा करके उन्होंने बहुतों को उकसाया किताब पढ़ने के लिये और पुस्तक चर्चा करने के लिये भी कम लोगों को नहीं उत्साहित किया होगा. उत्साहित तो उन्होंने स्केचिंग के लिये भी किया होगा लोगों को जब अपनी नानी का स्केच दिखाया और उनके बारे में लिखा. पुस्तक समीक्षा में बस एक कमी यह है किताब की फोटो और हो तथा यह भी कि लेख वे विकिपीडिया में डाल दें.शिल्पा अग्रवाल को गणेश जी जिम में अपनी ऊर्जा जलाते हुये मिल गये और जब मिले तो बतियाये भी उधर अनुराग श्रीवास्तव को भी मालरोग लग गया और वे माल दर्शन को चल दिये.रास्ता कैसे खोजा आपौ देखि लेव:-
रास्ता ढ़ूंढ़ने में कोई ज़हमत नहीं करनी पड़ी, मालुम था जिधर सारे लोग जा रहे हैं वही रास्ता माँल को जाता होगा। ढ़ाई किलोमीटर की दूरी को करीब 30 मिनट में पूरा करते हुये, अंतत: हम माँल पहुंच ही गये। अनंत श्रद्धालुओं की ऐसी भीड़ कि अगर कुम्भ का मेला यह नज़ारा देख ले, तो शायद वह भी चुल्लू भर पानी तलाशने लगे। श्रद्धालुओं की आंखों में विस्मय तथा श्रद्धा का भाव देख कर ऐसा प्रतीत होता था, कि माँल- दर्शन के फलस्वरूप वो जीवन म्रित्यु के अनंत चक्र से मुक्त हो यहीं मोक्ष प्राप्त कर लेंगे।
गुब्बारे फोडो़
इधर जब अनुराग माल देखने जा रहे थे तो मानोशी को मेला खींच रहा था और उन्होंने मेले के खूबसूरत चित्र भी दिखाये. रविरतलामी भारत देश में मेरे पुनः पुनः जन्म लेने की इच्छा के पीछे कुछ पुख्ता कारण बता रहे हैं और जोरो के बारे में भी चर्चा करते हुये कैलाश बनवासी की कहानी दुबारा पढा रहे हैं. लेकिन इस सबसे बेखबर पंकज तिवारी जुदाई का मजा लेने में लगे हैं और रीतेश गुप्ता का मत है कि:-
"सोवे गोरी का यार बलम तरसे" देने वाले दादा साहब फ़ालके पाते हैं ।
और "मेरे देश की धरती सोना उगले" देने वाले मनोज कुमार भुला दिये जाते हैं ।
जब-जब हम बुराई को सम्मानित और अच्छाई की उपेक्षा करते रहेंगे ।
हमारे समाज के गाँधी बार-बार यूं ही मरते रहेंगे ।
रचना बजाज ने भगवान को पत्र लिखा है और उनको उलाहना देती हैं:-
थोडे-थोडे दिनो मे ये क्या हो जाता है आपको ? आप अजीब अजीब से चमत्कार दिखाने लगते हैं! कभी दूध पीने लगे, कभी किसी दीवार पर दिखने लगे तो कभी समुद्र का पानी मीठा बना दिया! अब ये सब करने की आपको क्या जरूरत आ पडती है? क्या आपको डर लगता है कि लोगों का आप पर से विश्वास उठ रहा है? अगर ये बात है तो आप मेरा यकीन मानिये कि ऐसा कुछ नही हो रहा.भारत मे शायद ही ऐसे लोग हैं,जो आपको नही मानते. अगर राज की बात बताऊँ तो जो लोग खुद को नास्तिक कहते नही थकते, वो भी अपने जन्मदिन के दिन मन्दिर जाते हैं!!,यदि वे शादी-शुदा हैं तो अपनी पत्नी की खुशी के बहाने से और अगर शादी-शुदा नही हैं तो अपनी माँ की खुशी के बहाने से!!
निर्मल वर्मा
नारद की बहाली में लगे जीतू को पाकिस्तान क्रिकेट के हालचाल लेने का मौका मिल ही गया.
लेकिन आप से यही कहना है कि आप चौपाल पर बैठकर महान स्वप्न देखिये.
राम-रावण के बीच युद्ध को संजय शक्ति पर साहस की जीत बताते हुये राम-रावण के बारे में संक्षेप में बताया है. शुभम लाहोटी दोहे एक के बाद एक पोस्ट करते हैं:-
कविराज जोशी जी को इतने दिन बाद याद आया कि कागज -कलम की भी वंदना करनी चाहिये:-
नारी का अपमान कर के, भले हीं मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये।
लेकिन अपने ही पुत्रों की नज़रों में, वह मानव गिर जाये।।
चींटी से मेरे साथी, सीखो इक छोटी सी बात।
मंजिल को पाने के लिये, करने होंगे अथक प्रयास।।
जब शुऐब ने खुदा से बातकी तो उनकी परेशानी समझ में आयी कि अफजल को फांसी लटकाये जाने -न जाने की बात उनके लिये कितनी अहम है:-
अत: हे लेखनी
और
घास-फूस के पूर्नउत्थान से बने
उसके हमसफ़र कागज़
आप दोनो को
"कविराज" का शत् शत् नमन!
खुदा ने अपनी बात जारी रखीः हर इनसान की ज़िन्दगी और मौत खुदा के हाथ मे है मगर आतंकवादीयों से खुदा खुद खौफ खाता है, क्योंकि वो यकीनन हमारे स्वर्ग तक मिज़ाइल से निशाना बना सकता है। हम ने मुजाहिदीन से जन्नत का वादा किया, मगर वो बेचारे हमेशा से दुनिया ही मे बुरी मौत मारे जाते हैं। माना कि किसी ज़िनदा इनसान को फांसी पर लटकाना अच्छी बात नही, करना तो ये था आतंकवादीयों को देखते ही गोली मार देते तो आज अफज़ल को लटकाने की ज़रूरत ही ना पडती। सुबह नाश्ते के बाद दुआ की मेहफिल सजाई जिसमे खुदा ने थाईलैंड के लिए दुआए खैर मांगी और पूरी दुआ थाई सेना पर छोडी फिर कहाः उम्मीद है थाईलैंड मे पाकिस्तान जैसी हालत ना बने। पीछे से टोनी बलैयर ने भी अपने लिए दुआए खैर मांगी तो खुदा ने जवाब दियाः अब कोई फाइदा नही क्योंकि तुमहारे लिए उलटी गिनती शुरू हो चुकी है।दीपक मोदी ने फिर से लिखना शुरू कर दिया. प्रतीक ने दिखाया और बताया कि सलमान खान के बालों की स्टाइल कहां से ली गयी है.घर से बाहर निकले हुये बहुत देर हो गयी लेकिन मालवा की लोककथा सुन लीजिये. प्रभाकर पांडेय भारतीय भाषा प्रतिरूपण एवं आंशिक पदच्छेदन पर प्रथम राष्ट्रीय परिसंवाद (बहुत कठिन है पांडेय जी) की जानकारी देते हैं.
कविराज गिरिराज जोशी औरत के बारे में लिखते हैं
पुस्तक मेला देखते हुये, वंदेमातरम बोलते हुये चलिये राकेश खंडेलवाले के पास जो लिखते हैं
इंसान ने
जब भी
ऊँचाईंयों को छूकर
निचे देखा
सहारा देकर
ऊपर चढ़ाते
किसी औरत के
हाथों को पाया...
धड़कनों में नाम बो कर साधना की लौ जलाईक्षितिज कुलश्रेष्ठ शब्द्कोष की तलाश में हैं तो सृजन शिल्पी निर्मल वर्मा के चिंतन में भारत और यूरोप का द्वन्द्व की विस्तार से पड़ताल करते हैं. कचराघर में क्या है ये आप खुद ही देखें लेकिन यह समझ में नहीं आया कि सिंह साहब को सब कुछ बास-बासी सा कैसे लगनेलगा!
साँस की सरगम सलौनी रागिनी में गुनगुनाई
वर्जना की पालकी में बैठती सारंगियों को
नाद के संदेश पत्रों की शपथ फिर से दिलाई
सूचना
अभी तक हम जन्मदिन और नये ब्लाग के बारे में सुखद सूचनायें देते रहे हैं. आज की सूचना दुखद है. निधि के नानाजी का कल दोपहर कानपुर के ब्रज नर्सिंग होम में कई दिनों के मौत से संघर्ष के बाद निधन हो गया. निधि के शुरुआती दिन अपनेनानाजी के पास ही बीते थे अत: उनका दुख: बहुत बड़ा है. हमारी तरफ से शोक संतप्त परिवार को इस दुख की घड़ी में शोक संवेदनायें.
आज की टिप्पणी
बरसों पहले पढ़ी हुई थी, किन्तु कहानी बिसराई थी
अच्छा किया आपने फिर से यादों पर दस्तक दे डाली
फिर जेहन में आईं उभर कर, अल्हड़पन की मादक स्मॄतियां
इसी बहाने से अंधियारे मन की झीलें गईं खंगाली
राकेश खंडेलवाल
आज की फोटो
पहली फोटो प्रत्यक्षा की पोस्ट से नानीजी | दूसरी फोटो वहीं सुनील दीपक के फोटो ब्लाग से यात्री |
हमारी तरफ से भी निधी जी के शोक संतप्त परिवार को इस दुख की घड़ी में शोक संवेदनायें.
जवाब देंहटाएं--समीर लाल
निधी जी, मैं हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त करता हूँ.
जवाब देंहटाएंकुछ दिन पहले निधि ने मुझसे बात की थी तब वे बहुत ही व्यथित लग रही थी। वे अपने नानाजी से बहुत ही प्यार करती हैं एवं उनके जाने का उनपर गहरा असर हुआ है। इस कठीन समय में ईश्वर उन्हे हिम्मत प्रदान करे।
जवाब देंहटाएंनिधी जी जल्द ही इस दुख की घड़ी से उबर सकें ऐसी उम्मीद है ।
जवाब देंहटाएंचिट्ठा चर्चा का यह नया रूप अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएं