रविवार, अक्तूबर 22, 2006

बाँध रोशनी की गठरी

सबसे पहले तो चिट्ठा चर्चा के सभी पाठकों और उनके परिवारजनों को दीपावली की बहुत बहुत बधाई।
तो जनाब शुरु करते है शनिवार के चिट्ठों की चर्चा।

दिनांक : २१ अक्टूबर, २००६ दिन शनिवार



आज का दिन ज्यादातर तो चिट्ठाकारों का एक दूसरे को बधाई देते निकल गया। फिर भी कुछ साथी चिट्ठाकारों ने कुछ लेख लिखे है जो आपके सामने प्रस्तुत है। डाकटर बाबू सबको दीपावली की बधाईयां दे रहे है। लपक लीजिए, इसके पहले कि वो होम्योपैथी की गोलियाँ भी साथ मे तत्थी करें, बधाई लेकर सरक लीजिए।
उधर आशीष गुप्ता बधाईयों के साथ साथ इस हफ़्ते की चुटकियों के बारे मे बताते हुए कहते है:
राजस्थान में एक गाँव में एक मादा कोबरा ने नर कोबरा के दाह संस्कार में कूद के अपनी जान दे दी तो आशानुरूप लोगों ने उसे सती मान लिया और शुरू हो गई पूजा। पर परेशानी यह है कि लोग अब वहाँ मंदिर बनवाना चाहते हैं और एक अकेली विधवा को बेघर करने के प्रयास जारी है। लो भाई, मृत साँपो के लिये मंदिर बनवाना जरूरी है, जीवित इंसानो के लिये घर बनवाना नही। कौन सी नही बात है?

आशीष भाई, हिन्दुस्तान की यही तो विडम्बना है, यहाँ मंदिर,गिरजे, गुरद्वारे बनते तो देर नही लगती, लेकिन घर बनने मे जमाना बीत जाता है।

हमारे इम्पोर्टेट आइटम, विजय वडनेरे सिंगापुरी नास्टलिजियाते हुए दीपावली की यादों का दर्द बयां करते हुए कहते है:

तो जनाब बात ये है कि (शादी के बाद) पहली पहली दिवाली है...तो सारे परिवार के साथ खुशियाँ मनाते, दोस्तों के बीच हुडदंग होता, मगर कहाँ?? घर से कोसों दूर...पड़े हैं अलग-थलग किसी और दुनियाँ में. अकेले-अकेले (हाँ यार..! मैडम तो है, पर मैं - हम दोनों अकेले-अकेले हैं - ऐसा कह रहा हूँ).वैसे, वीकेण्ड जोड़ कर चार दिन की छुट्टियाँ तो हैं - पर वो क्या है ना कि - नंगा नहायेगा क्या, निचोडेगा क्या.अमा यार आने जाने में ही चार दिन निकल जायेंगे हैं - हाँ कहने को जरुर सिंगापुर "पास" में है.

अरे विजय भाई, ऐसा नही कि सिंगापुर मे दीवाली नही मनाते, अमां जरा आसपास देखो, नही तो इस वीकेन्ड लिटिल इन्डिया निकल जाओ, और नही तो NUS के कैम्पस मे चले जाना, बेहतर होगा किसी इन्डियन एसोसियशन के सदस्य बन जाओ। फिर देखो, विदेशों की दीवाली, मजा ना आए, तो पैसे वापिस की गारंटी। (प्लीज रुपये पैसों का तगादा, चिट्ठा चर्चा के मालिकाना हक रखने वाले, अनूप शुक्ला से ही किया जाए, हम तो बौद्दिक श्रमिक है, मोह माया से दूर रहते है।)

रचनाकार मे दुर्गाप्रसाद अग्रवाल का दीपावली के ग्रीटिंग कार्ड के ऊपर का लेख तमसो मा ज्योतिर्गमय जरुर देखिएगा। लेख के बीच मे एक कविता है, उसकी कुछ पंक्तिया प्रस्तुत है :
सूरज से कह दो बेशक अपने घर आराम करे
चांद सितारे जी भर सोयें नहीं किसी का काम करें
आंख मूंद लो दीपक ! तुम भी, दियासलाई! जलो नहीं
अपना सोना अपनी चांदी गला-गला कर मलो नहीं
अगर अमावस से लड़ने की ज़िद कोई कर लेता है
तो, एक ज़रा-सा जुगनू सारा अंधकार हर लेता है!


जीके अवधिया जी श्रीकृष्ण के द्वारिका प्रस्थान का विस्तृत विवरण पेश करते हुए कहते है:
सभी लोगों को वापस जाने के लिये कह कर भगवान श्रीकृष्णचन्द्र ने केवल उद्धव और सात्यकी को अपने साथ रखा। वे विशाल सेना के साथ कुरुजांगल, पाञ्चाल, शूरसेन, यमुना के निकटवर्ती अनेक प्रदेश, ब्रह्मावर्त, कुरुक्षेत्र, मत्स्य, सारस्वत मरु प्रदेश आदि को लांघते हुये सौवीर और आभीर देशों के पश्चिमी भाग आनर्त्त देश में पहुँचे। थके हुये घोड़ों को रथ से खोल कर विश्राम दिया गया। जिस प्रान्त से भी भगवान श्रीकृष्णचन्द्र गुजरते थे वहाँ के राजा बड़े आदर के साथ अनेक प्रकार के उपहार दे कर उनका सत्कार करते थे।

मेरा पन्ना के जीतेन्द्र चौधरी भी दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए कहते है :
इस दीपावली विशेष ध्यान दें:

* पटाखों का कम से कम प्रयोग करके, पर्यावरण को वायु प्रदुषण से बचाएं।
* बच्चों को अपनी उपस्थिति मे ही आतिशबाजी जलाने दें।
* आतिशबाजी जलाते समय पानी की बाल्टी पास मे रखें।
* आतिशबाजी जलाते समय सूती कपड़े पहने।
* अपनी जरुरत के मुताबिक ही सामान खरीदें, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के बहकावे मे ना आएं।

मिर्जा बोले, अमाँ बरखुरदार जनता समझदार है खुद निर्णय करे ना, काहे सरकारी चैनल बने हुए हो। सबको इन्जॉय करने। तुम तो बस पत्ते बाँटो, काहे सरकारी मीडिया के पीआरओ बने हुए हो।

प्रतीक सवाल पूछते नही थकते, थके भी कैसे ये तो उनका टाइमपास है। एल्लो अब पूछने लगे
शोले में अमिताभ बच्चन बतौर गब्बर सिंह
कौन है बेहतर - नया गब्बर या पुराना गब्बर?

अमां अभी माल की डिलीवरी तो होने दो, रैपर देखकर कैसे बताएं कि स्वादिष्ट है कि नही।

दूसरी तरफ़ रवि रतलामी का दीवाला निकल गया। कैसे अरे बिल्लू के चक्कर में। आप खुद ही समझिए।
कवि गिरिराज जोशी भी दीपावली की शुभकामनाओं के साथ कविता पाठ कर रहे है:
चरण-कदम से पावन कर दो
खुशियों से तुम झोली भर दो
गरीबी का सर्वनाश कर दो
धन-कुबेर की वर्षा कर दो

उन्मुक्त के लिए कुछ भी असम्भव नही। मासिक राशिफल पढिए, पुनीत के साथ। डा. जगदीश व्योम कुछ हाइकू और अपना एक नवगीत प्रस्तुत करते है:
पूरी रात चले हम
लेकिन मंज़िल नहीं मिली
लौट-फेर आ गए वहीं
पगडंडी थी नकली
सफर गाँव का और
अंधेरे की चादर काली।
बाँध रोशनी की गठरी
फिर आई दीवाली।।


जगदीश भाटिया जी, दीपावली की शुभकामनाओं के साथ साथ, दिल्ली का ट्रेफिक और नास्डेक की दीवाली दिखा रहे है।साथ ही सूचना भी दे रहे है कि मुम्बई स्टाक एक्सचेंज की हिन्दी साइट शुरु हो रही है। अमां जगदीश भाई, इन लोगों से हिन्दी साइट की उम्मीद करना बेकार है, या तो ऐसे बनाएंगे कि जिसके फोन्ट डाउनलोड नही होंगे, या फिर ऐसी साइट बनाएंगे जिसमे चील बिल्लौवे दिखायी देंगे, हिन्दी तो दूर दूर तक नदारद रहेगी। वो क्या है ना अभी इनको पता नही कि यूनीकोड किस चिडिया का नाम है।
इधर बेजी हिन्ग्रेजी मे अपनी कविता लिख रहे है। हम समीक्षा नही करेंगे, पहले हिन्दी मे लिखकर लाओ, तब करेंगे।
मिर्ची सेठ सभी जन सुखी हों का शान्ति पाठ कर रहे है। (शायद आफिस वालों के लिए, विशेष प्रस्तुति है इनकी) कहते है:
सर्वेषां स्वस्ति भवतु । सर्वेषां शान्तिर्भवतु ।
सर्वेषां पूर्नं भवतु । सर्वेषां मड्गलं भवतु ॥

सभी के साथ अच्छा हो एवं सर्वस्व शांति हो। सभी सम्पूर्ण हों व हर तरफ मंगल हो

सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥

सभी जन सुखी व आरोग्य हों। हम सभी के साथ अच्छा हो व किसी को भी दुःख न देखना पड़े।


आज का चित्र : जगदीश भाटिया के ब्लॉग से:

पिछले वर्ष इसी सप्ताह:
योग ब्लॉग से एक बहुत सुन्दर कथा मेहनत की रोटी खाओ, जरुर पढिएगा। और साथ ही देखिएगा सुप्त ब्लॉगर शशि सिंह के भोजपुरिया ब्लॉग से छटी मईया के गीत

अच्छा है भई, सभी जन सुखी हो। आप सभी दीपावली की छुट्टियां मजे से मनाएं, हम भी आज ही निकल रहे है, शहर के पास बने एक रिसोर्ट की तरफ़। जिन लोगों के चिट्ठे छूट गएं हो वो भाई/बहन कमेन्ट मे लिख दे। लौट कर उनको भी शामिल कर लिया जाएगा।

Post Comment

Post Comment

2 टिप्‍पणियां:

  1. चिट्ठा-चर्चा के सभी पाठकों को दीवाली की शुभकामनाएँ!!!

    जीतु भाई आप "गरीब की दीवाली" की चर्चा करना तो भूल ही गये :(

    http://hykoo.blogspot.com/2006/10/blog-post_21.html

    माँ लक्ष्मी और प्रभू श्री गणेश के चरणों में "कविराज" का शत्-शत् नमन!!!

    आप सबको दीपावली की ढ़ेरों शुभकामनाएँ!!!

    जवाब देंहटाएं
  2. हमारा कहना यही है कि जीतेंद्र भी छुट्टी के बावजूद ये लिखे इससे बहुत खुशी हुई. भगवान तुम्हारी दिवाली मुबारक करें. तुम्हारे डुप्लीकेट को देवाली के पटाखों का सारा धुंआ मिले. काला वाला.

    जवाब देंहटाएं

चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

नोट- चर्चा में अक्सर स्पैम टिप्पणियों की अधिकता से मोडरेशन लगाया जा सकता है और टिपण्णी प्रकशित होने में विलम्ब भी हो सकता है।

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

Google Analytics Alternative