शनिवार, अक्तूबर 14, 2006

मृत आत्मा की प्रशंसा

अपने फुरसतिया जी दे गये, फिर गजब आदेश
लिखें आज भी आपहि, भेजे छुट्टी का संदेश.
भेजे छुट्टी का संदेश शाम ही को मिल पाया
नारद बीटा बंद है, छुटपुट पर सन्नाटा छाया
कहे समीर जब हिन्दी-ब्लाग के आये सपने
मन से आशिर्वाद दिये, प्रतीक जी को अपने.


--समीर लाल 'समीर'


शाम को दफ्तर से लौटे और चाय पीते पीते जैसे ही ईमेल खोले, पूरी चाय का जायका ही जाता रहा. फुरसतिया जी मुस्करा रहे थे कि शनिवार हम छुट्टी पर रहेंगे, आप ही लिख दें. अब यहां कि शाम मतलब भारत का सबेरा तो अभी लिखो. खैर, आदेश टालना संभव नहीं है सो लिखने बैठ गये. अब देखते क्या हैं कि नारद जी टेस्ट साईट डाउन, उन्मुक्त जी का छुटपुट जुगाड़, अपने नाम की महिमा गा रहा था, खुला ही नहीं. हम तो फंसे परेशानी में कि अब क्या ३०० चिट्ठे खंगाले, इतने कम समय में. तब तक प्रतीक भाई का ख्याल आया, पहुँचे उनके इंतजाम पर. वाह भाई वाह, बच गये. अब वहीं मैदान में खड़े होकर आपको आज की चर्चा सुना रहे हैं.

शुऎब भाई वहाँ हवाई जहाज गिन रहे थे तब तक एक छोटा हवाई जहाज उनकी नजर से बचता हुआ न्यूयार्क की एक बिल्डिंग में घुस गया बिना घंटी बजाये और बकौल रत्ना जी शुऎब भाई मिलवाने लगे खुदा को खुदा(अमरिका) से.

रत्ना जी ने इस पर टिप्प्णी करते हुये कहा:

खुदा से खुदा(अमरीका) की हुई मुलाकात
काफी असरदार तरीके से शुरू हुई बात
लगता है दोनों में जम कर पटेगी
यह कहानी यूहीं आगे बढ़ती रहेगी।


तो कहानी यूहीं आगे बढ़ाते हैं और सुनते है सृजन शिल्पी जी से बड़े राज की बात: सेहत के लिये सिर्फ सोलह मिनट (पुस्तक चर्चा):

क्या आप भी ऐसे व्यक्तित्व के स्वामी बनना चाहते हैं जो काफी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद हमेशा तरोताजा दिखता हो और अपनी उपस्थिति मात्र से चारों ओर स्फूर्ति और स्निग्धता के वातावरण का सृजन कर देता हो?

वाह भाई, हमारे तो बड़ी काम की चीज लगती है.खैर, मनीष बाबू यात्रा पर निकलने से पहले गुलजार की नज्म सुनाने रुके: इक जरा छींक ही दो तुम. भईया, कहीं निकलने के पहले तो छींक अच्छी नहीं मानी जाती और आप उसी की गुहार लगा रहे हो.

अनुनाद जी जानकारी दे रहे हैं गुगल की तर्ज पर बन रहे एक भारतीय खोजक- गुरु जी के बारे में तो हिन्दू जागरण पर अफजल की फांसी पर और उत्तर कोरिया में परमाणु परीक्षण पर विचार दिये है.

आतंकियों को सजा दिलाने या उनके प्रति कठोरता से पेश आने के मामले में अमेरिका और यूरोप के देशों की अपेक्षा कहीं अधिक नरम देश की छवि बना चुका भारत यदि मो. अफजल जैसे आतंकवादियों की सजा इस्लामवादियों के दबाव में टालने या क्षमा करने की नई प्रवृत्ति का विकास करता है तो निश्चय ही यह देशवासियों की पराजय और भात पर शरियत और इस्लाम का शासन स्थापित करने की आकांक्षा रखने वाले इस्लामादियों की विजय होगी.


कविराज जी अपनी एक भावुक रचना लेकर आये दिवाली आने वाली है

माँ
ऐ माँ
देख
पिछली दिवाली पर
काँट-छाँट कर
मालिक की उतरन से
जो तुमने
पेन्ट सिलवाई थी
अब
घुटनें बाहर झांकने लगे है ॰॰॰


लखनऊ से अभिषेक सिन्हा ने शास्त्रीय संगीत के बारे मे जानकारी दी और फिर जो राग अलापी कि प्रतीक भाई के साथ साथ हमने भी दांतो तले ऊंगलियां दबा लीं. वो तो आगे चिट्ठा चर्चा न लिखना होती तो अभी भी दबाये ही बैठे रहते. आप भी जरुर उनके गायन का आन्नद उठाईये. अब हमें तो मजबूरी जो न करवा दे. तो निकल पड़े रवि भाई जी की शरण में. वो लगे सुनाने अपने अनोखे अंदाज में पहले तो मरफ़ी के वाणिज्य-व्यापार के नियम और फिर धुमिल की कुछ रचनायें.

• किसी भी परियोजना के प्रथम 90% चरण पूरे होने में उसका 90% समय लगता है तथा बाकी के 10% में अतिरिक्त 90% समय लगता है.
• यदि आप अपना काम 24 घंटों में भी नहीं कर पाते हैं तो रात में भी काम करें.


कविराज जी तो कई तरह से अवतरित होते हैं, सो फिर मिल गये. अबकी बार वही पुरानी वाली छुआछुत वाली बात लेकर गंगा में डुबकी लगाने लगे. आलोक भाई हमें बताये दस मेगा पिक्सेल कैमरे वाले मोबाईल के बारे में.

नीरज दीवान जी ने ब्लागर बंधु बालेन्दु जी को माईक्रो सोफ्ट से ‘मोस्ट वेल्यूएबल प्रोफ़ेशनल २००७‘ पुरस्कार से नवाजा गया है. बालेन्दु जी को हम सब की तरफ से बहुत बहुत बधाई.

भारतीय सिनेमा पर देखिये कि नूरज़हां कैसे फिल्मों में आईं

काशीराम के मृत्यु उपरांत हो रही प्रशंसा और जय जय गान से अपने जीतू भाई बिल्कुल दार्शनिक टाईप कुछ हो गये और लगे सुनाने ओशो के प्रवचन. आप भी सुनिये:

वाह री रंग रगीली दुनिया। जीते जी, घास नही डाली, गुजरने पर आँसू की गंगा बहायी। कांशी राम के केस को दर किनार करिए, हमारा समाज ऐसा क्यो करता है कि जीते जी, इन्सान को सीरीयसली नही लेते, या उलाहने देते रहते है, लेकिन जैसे ही वो राम बोलो हो जाता है तो घड़याली आंसू बहाते हुए, उसकी शान मे कसीदे पढते है। हम इतने विरोधाभासी क्यों है?


हमारे चलते चलते पुनीत पांडे जी धीरे से फुसफुसा गये:

आज शुक्रवार के दिन शेयर बाजार नें अपने उच्‍चतम बिन्‍दु को छू लिया। इस सबका आज रिलीज हुई फिल्‍म गफला से तो कोई लेना देना नहीं ;-) ?

और वन्दे मातरम ले आये नई श्रॄंखला: हमारी पहचान भाग १ थोडे़ शिकायती अंदाज में.

तो मित्रों, अब चलें और आप लोग पढ़ें ये सब चिट्ठे. नमस्कार.


आज की टिप्पणी:

नीरज दीवान मेरा पन्ना पर:

‘’तमाम उम्र ग़ुरबत मे गुज़रती है.. बाद मरने के यहां ताजमहल बनते हैं.'’
ओशो ने तो हास्य-व्यंग्य में समाज में मृत्योपरांत व्यक्ति की महिमागान का मर्म समझा दिया. किंतु कांशीराम जी के संदर्भ में कहूं तो यही कि वे जीवनभर आलोचना का केंद्र बने रहे. वे समाज के उस वर्ग की प्रतिक्रिया की आवाज़ थे जो अपने हक़ों के लिए लड़ रही थी. ये बात अलग है कि उन्होंने हक़ की इस लड़ाई में जातीय समरसता को भी जातीय संघर्ष की आग में झोंक दिया. राजनीति कुत्ती चीज़ है.. यहां उत्कृष्ट उद्देश्य भी निकृष्ट तरीक़ों से हथियाए जाने की कोशिश की जाती है. परिणाम उल्टा होता है. जनता को माया मिलती है ना राम.. यानी ना मायावती और ना ही काशीराम..


आज की तस्वीर:

रचनाकार से:

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4 टिप्‍पणियां:

  1. हिन्दी चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की नवीनतम प्रविष्टियां आप यहां से भी प्राप्त कर सकते हैं। इसमें मैने प्रयत्न कर हिन्दी के सारे चिट्ठों एवं पॉडकास्ट की नवीनतम प्रविष्टियां को जोड़ा है। यदि कोई छूट गया हो तो बताने कष्ट करें।

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  2. अब पढ़ुँगा मैं कुण्डलियाँ गुरूदेव सातों दिन
    चिट्ठा-चर्चा रसहीन है आपकी कुण्डली बिन
    आपकी कुण्डली बिन कैसे गुजारे दिन हम
    चिट्ठा-चर्चा दारू देशी आपकी कुण्डली रम
    मुकुट सुनहरा जो कुण्डली जान गये हैं सब
    सातों दिन लिखवायेंगे फुरसतिया जी अब

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  3. अब पढ़ुँगा मैं कुण्डलियाँ गुरूदेव सातों दिन
    चिट्ठा-चर्चा रसहीन है आपकी कुण्डली बिन
    आपकी कुण्डली बिन कैसे गुजारे दिन हम
    चिट्ठा-चर्चा दारू देशी आपकी कुण्डली रम
    मुकुट सुनहरा जो कुण्डली जान गये हैं सब
    सातों दिन लिखवायेंगे फुरसतिया जी अब

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  4. लिखते आये कुंडली हर इक बार समीर
    कभी हँसी की खान तो कभी लिखें गंभीर
    कभी लिखें गंभीर,सबक्स ब सीखें आकर
    एक शिष्य कविराज मिले चिट्ठे पर आकर
    किन्तु कुंडली में थोड़े से कच्चे दिखते
    हो लेंगे परिपक्व सात दिन लिखते लिखते

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