यूं तो कहा जा सकता है, जैसा इधर की रचनाऒं, साक्षात्कारों और व्याख्यानों में रोज-रोज कहा जा सकता है कि हम बहुत हिंस्र या बहुत क्रूर या हत्यारे या कठिन समय में रह रहे हैं। अथवा इसी प्रकार के किसी अन्य विशेषण वाले समय में रह रहें हैं। लेकिन क्या सचमुच जघन्यतम समय आ गया है? घोर कलयुग! यदि ऐसा है तो क्यों एक बड़ा समुदाय कहता हुआ मिलता है कि यह बहुत अच्छा, अग्रगामी समय है। स्त्री से आप पूछिये कि कि क्या वह पुराने समय की स्त्री होना चाहेगी? दलितों से पूछिये कि क्या वे पुराने समय में वापस जाने या पुराने समय को वापस लाने की इच्छा करते हैं? बच्चे से पूछिये, यहां तक कि पुराने समय के किसी वयोव्रद्ध से ही पूछिये कि इस वृद्धावस्था में उन्हें पुराने जमाने के भूगोल में डाल दिया जाये ? बल्कि दिल्ली में रहकर दिल्ली को कोसने वाले कवियों से पूछिये कि वे आदिवासियों के किसी गांव में बसना पसन्द करेंगे? हर जगह नकारात्मक होगा।
यह लेख अखिलेश जी के लेख मनुष्य खत्म हो रहे हैं, वस्तुयें खिली हुई हैं का अंश है। इसके आगे के अंश भी जल्द ही पेश किये जायेंगे। अखिलेश जी की कहानी चिट्ठी हिंदी की चर्चित कहानी है।
ज्ञानजी ब्लागिंग के बहाने नित नये बने रहने का प्रयास करते हैं। एस्कलेटर दर्शन करते हैं टिप्पणी पर प्रति टिप्पणी करते हैं। एस्कलेटर के बहाने कहते हैं:
एक मोटी सी औरत एक पतले से हसबेण्ड (जाहिर है, उसी का है) का हाथ कस कर थामे एस्केलेटर में चढ़ती आती नजर आती है। विशुद्ध फिल्मी सीन है – रोमांटिक या कॉमिक – यह आप तय करें। औरत के भय और झिझक को देख कर मन होता है कि उनका फोटो ले लिया जाये। पर मैं महिला का कद्दावर शरीर देख अपने आपको कण्टोल करता हूं। उनके पीछे ढेरों चहकती बालिकायें हैं। किसी स्पोर्ट्स टीम की सदस्यायें। कुछ जीन्स में हैं, कुछ निक्कर छाप चीज में। कोई झिझक नहीं उनमें। गजब का आत्मविश्वास और फुर्ती है। मुझे फोटो खींचना याद ही नहीं रहता।
समीरलाल को छुट्टी में सरग सूझता है:
स्वर्ग तुम्हें मैं दिलवा दूँगा, मेरा तुम विश्वास करो
फर्ज तुम्हारा भूल गये हो, पूरा उसको आज करो.
समीरलाल का भरोसा करने से पहले ये जान लो कि ये कालेज में पालिटिक्स में रह चुके हैं।
पुण्य प्रसून बाजपेयी का माना है कि शीला दीक्षित का बयान सौम्या की हत्या से भी ज्यादा खतरनाक है।
तरुण गीत संगीत के नये ब्लाग की जानकारी दे रहे हैं-ब्लाग है गीत गाता चल।
अभिनव शुक्ल सूचित करते हैं:
भाषा के जादूगर, गीतों के राजकुमार, कविवर श्री राकेश खंडेलवाल जी का काव्य संग्रह "अँधेरी रात का सूरज" छप कर आ गया है. ११ अक्तूबर को सीहोर तथा वॉशिंगटन में उसका विमोचन होना निर्धारित हुआ है. इस संग्रह की एक कमाल की बात तो यह है की राकेशजी को भी नहीं पता है की इसमें कौन कौन सी कविताएं हैं. पंकज सुबीर जी नें चुन चुन कर गीत समेटे हैं और शिवना प्रकाशन द्वारा संकलन छप कर तैयार हुआ है.
राकेशजी को हमारी बधाई और मंगलकामनायें। राकेश जी हमारे चर्चाकार हैं। उनकी गीतमय चर्चा आशा है फ़िर देखने को
मिलेगी।
डा. राही मासूम रजा के बारे में जानकारी दे रहे हैं डा.फ़ीरोज अहमद।
फ़िलहाल इत्ता ही। आगे जल्द ही चर्चा के लिये फ़िर हाजिर होंगे।
आज की चर्चा आप ने चार वाक्यों में निपटा दी. सचमुच में जघन्यतम समय आ गया है!!
जवाब देंहटाएं-- शास्त्री जे सी फिलिप
-- बूंद बूंद से घट भरे. आज आपकी एक छोटी सी टिप्पणी, एक छोटा सा प्रोत्साहन, कल हिन्दीजगत को एक बडा सागर बना सकता है. आईये, आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!!
अरे इतनी छोटी ,अभी पढ़ना शुरू ही किया कि ख़त्म हो गई । खैर कभी-कभी चलता है । :)
जवाब देंहटाएंजी मेरा यह कहना है, कि...
जवाब देंहटाएं♪ ♪ ♫ ♫ ♫ ♪ ♫ ♪
कहना है... कहना है..आज ये आपसे यक ही बार
आप ही तो लाते, इस चर्चा में चिट्ठे अनेक अपार ♪ ♪ ♪
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चिट्ठाचर्चा में लगता है,
आज कीटाणुनाशक डी.डी.टी. का छिड़काव हुआ है
एक दिन में दो बार नहाने पर भी मक्खियाँ भिनभिना रहीं थीं
अउर हम्मैं देखो, कि बिना पोस्ट पढ़े ही टिप्पणी ठोंकिं रहे है
बायान जारी करना देश में आपने होने के लीये केतना ज़ारोरी हाय ओतना ज़ारोरी कुछ करना नाहिं हाय ना, भाय !
क्या मिनी का जमना आ गया है! मिनी चिच।
जवाब देंहटाएंज्ञानदत्त पाण्डेय उवाच
जवाब देंहटाएंक्या मिनी का जमना आ गया है! मिनी चिच।
नैनो के युग में ये तो होना ही था
शुक्ला जी आपका जवाब नहीं । बहुत बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंश्रद्धेय राकेश खंडेलवाल एवं पंकज सुबीर जी को धन्यवाद ! इस गीत संग्रह का इंतज़ार रहेगा !
जवाब देंहटाएंआदरणीय ज्ञान जी के नक्शे कदम पर माइक्रो चिठ्ठा चर्चा ! :) ब्लॉगर
जवाब देंहटाएंतो माइक्रो का प्रयोग करने ही लग पड़े हैं ! और आप जो धुन्वाधार
लिखते हो तो आपभी माइक्रो पर ? :)
ये चर्चा भी ठीक रही लेकिन ज्यादा ही छोटी हो गई।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर चर्चा ! अब लम्बी चर्चा पढ़ने की आदत पड़ गई है !
जवाब देंहटाएंअगली चर्चा के इंतजार में !
जघन्यतम समय आने में थोड़ा समय बाकी है.
जवाब देंहटाएंआप तो चुनाव हरवा दोगे..आपको अपने चुनाव कैम्प में नहीं रखेंगे. :)
बढ़िया चर्चा. बधाई.
इतने लोगों ने कहा, अब शेष क्या बचा कहने को।
जवाब देंहटाएंअनूप जी ये तो बहुत छोटी चर्चा हो गई अभी तो पढ़ ही रही थी कि आपकी लिखी लाईन आ गई-
जवाब देंहटाएं(फिलहाल इत्ता ही।)
यह क्या हुआ? स्क्रॊल करने की भी नौबत नहीं आने पाई।
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