ज्ञानी लोग हमेशा आपके लिये परेशानी के कारण बनते रहेंगे। अब बताओ दीपावली के बाद ज्ञानजी को यह बताने की क्या जरूरत थी कि जो दीपावली के दिन सूरन (जिमीकन्द) नहीं खाता वह अगले जन्म में छछूंदर पैदा होता है! ये भी कोई बात हुयी भला! ये कैसी सफ़लता की अचूक नीति हुई जी।
ज्ञानजी की इस सफ़लता की अचूक नीति के जवाब में मानसी ने अपने ब्लाग पर मधुर-मधुर रजनीगन्धा गीत के साथ यह भी लिखा है-बाज़ी जीत जाने की आदत क़ातिलाना होती है।
आज समीरलाल को चर्चा करनी थी। उसके लिये उनको समय नहीं मिलता है। कैसे मिले? वो कन्याओं का बायोग्राफ़िया लिखने में मशगूल हैं।
प्रश्न पूछना भी एक कला है।मग्गा बाबाबताते हैं कि ईश्वर का ध्यान करते समय सिगरेट नहीं पी सकते लेकिन सिगरेट पीते समय ईश्वर का ध्यान कर सकते हैं। ये हुआ उस्ताद आचरण!
इस जुयें में दांव पर स्वयं हम हैं इस लेख में पढ़िये कि आज की अर्थव्यवस्था में कैसे हमारी कीमत तय होती है।
तकनीकी चीजें तो उसी दिन पुरानी हो जाती हैं जिस दिन खरीदी जाती हैं। यह सच जो नहीं स्वीकारता है वह रविरतलामीजी की गति को प्राप्त होता है और कहता है:नई, लेटेस्ट तकनॉलाज़ी : क्या खाक!
लेकिन तकनीक हमेशा नये-नये रूप में अवतरित होती रहती है। देखिये अमित ने अपने मोबाइल से इंकब्लागिंग का नमूना पेश किया है। है न मजेदार। जानदार च शानदार! वैसे सच पूछा जाये तो इंकब्लागिंग की बात ही कुछ और है !
एक लाइना
फ़िलहाल इत्ता ही। बाकी फ़िर समय मिलने पर। ओके। मस्त रहें। ज्यादा परेशान न हों। व्यस्त रहें, मस्त रहें।
sab hi kuch hai......wonderful
जवाब देंहटाएंइत्ती छोटी पोस्ट,:-) मज़ा नही आया !
जवाब देंहटाएंअब टिपियाने की आदत हो चली है, और कुछ भी आसान नहीं लगता। बाकी चीजें शौकिया हो सकती हैं।
जवाब देंहटाएंआज इती सी पोस्ट देख कर निराशा हो रही थी और सोचा था आज शुक्ल जी को धन्यवाद की जगह उलाहनावाद देंगे ! पर आपने तो छठी लाइन में ही राज खोल दिया की म्हारे गुरु समीर जी यहाँ का काम धंधा छोड़ कर सुदर्शनाओ के पीछे लग कर उनके मेक-अप और जाने क्या २ उनकी निजी बातें आईपोड की आड़ में सुन रहे हैं ! वैसे उन्होंने आज लेडिज कलर वाला फंडा बिल्कुल सही दिया ! हम उनके ब्लॉग पर तो गुरुगृह होने की वजह से ज्यादा कुछ टिपिया नही पाते आख़िर मान मर्यादा का भी ख्याल रखना पङता है ! पर अब गुरु जी को हम क्या बोल सकते हैं ! :) जब गुरु ही ऐसा कर रहे हैं तो हम भी उनके पीछे २ अनुसरण को निकल रहे हैं ! :) हमको तो अब गुरुजी से लाईसेंस मिल गया है ! :)
जवाब देंहटाएंआज की माईक्रो चर्चा भी जम रही है ! आपने आपकी इतनी व्यस्तता के बीच भी समय निकाल कर क्रम बरकरार रखा इसके लिए आपको बहुत २ धन्यवाद और शुभकामनाएं !
समीरलाल जी को इस सरूप में देख कर उनके ही शहर की कवयत्री स्व. सुभद्रा जी की लाइन याद आ गई
जवाब देंहटाएं"चमक उठी सन संतावन में ....................."
अनूप जी चर्चा की सार्थकता पर कोई सवाल उठाने की मुझमें हिम्मत कहाँ है जी
सादर
जो भी है.. सब ठीक है,जी !
जवाब देंहटाएंइंक-ब्लॉगिंग तो अच्छी तकनीक साबित होगी, मगर टिप्पणी करने के लिए 'इंक-ब्लॉगिंग'शब्द कॉपी करना मेरे लिए मुश्किल हो गया, यानी कॉपी राइट की समस्या का एक यह भी निदान बन सकता है।
जवाब देंहटाएं(अच्छी चर्चा रही।)
टेक्नोलोजी का ज़माना है भाई !
जवाब देंहटाएंअमित जी की ब्लॉगिंग तो मस्त/जबरदस्त है। ये वाला मोबाइल कित्ते का आता है। जरा वे प्रकाश डालें!
जवाब देंहटाएं३ दिन बाद आज ही एक साथ चिट्ठाचर्चा पूरा (छूटा हुआ) देखना हुआ है. आप तो निरन्तर जुटे हैं। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंअब क्या कहें..आज तो बहुत दिल था चर्चा करने का पर नहीं ही कर पाये. अच्छा हुआ, आपकी बेहतरीन चर्चा पढ़्ने मिली.
जवाब देंहटाएंऐसा ही कभी ऑरकुट में देखा था .....पर अच्छा लगा यहाँ भी देखकर .एक लाइना आज सुस्त है...छुट्टी का असर है
जवाब देंहटाएंअनूप जी, धीरे धीरे यह सामान्य हो जाएगा तब आपकी यह चिठ्ठा चर्चा याद आएगी. आज रंग-रोशनी साथ नहीं लाये...चर्चा में. क्या....समीर जी की बारी थी....!!!
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