राकेश खंडेलवाल के गीतों का संकलन (अँधेरी रात का सूरज) का विमोचन ११ अक्टूबर को होने वाला है। इस मौके पर सुबीर संवाद सेवा की अपील में पूरे सप्ताह राकेश खंडेलवाल की ही चर्चा करने की इच्छा प्रकट की गयी थी ! इस मौके पर सतीश सक्सेना जी शब्द चित्रकार राकेश खंडेलवाल की काव्यप्रतिभा का संक्षिप्त परिचय देते हुये कहते हैं:
राकेश खंडेलवाल जैसा शब्द सामर्थ्य से धनी गीतकार विरले ही जन्मते हैं, अपनी अभिव्यक्तियों को शब्दों के मोतियों से सजाने व श्रृंगार करने की जो विधा राकेश जी के पास है, अन्यंत्र नही दिखाई देती ! और राकेश जी के व्यक्तित्व की सबसे बेहतरीन खासियत है उनका विनम्र स्वभाव, लगता ही नही कि यही व्यक्ति,काव्यपुरुष राकेश खंडेलवाल हैं !हम उम्मीद करते हैं कि राकेश बरसों तक हिन्दी भाषा को सशक्त आधार प्रदान करते रहेंगे !
एक आतंकवादी का घर देखिये शम्स ताहिर ख़ान के माध्यम से।
विजय ठाकुर मिशीगन में बच्चों कि हिन्दी का अभ्यास कराते हैं। आज के अभ्यास में RJ ने सूझ-बूझ दिखाई!
- दीपशिखा:निशि का ब्लाग
- हाय मैं शर्म से लाल हुआ आप अच्छे हैं ब्रजमोहन जी! लोग तो यहां गुस्से से लाल होते हैं।
- जेन कथायें सुनायें, नीलेशजी सुनायें!
- show must go on.... :टाइटिल भी हिन्दी में चले तो मजे आये
- IT's all about Manish : यह सब मनीष के बारे में है
- Geet Gaata Chal : हंसते हंसाते बीते हर घड़ी हर पल
- टिकट चेकिंग वेलफ़ेयर विंग: ब्लागिंग में टिकट चेक होगी?
- सुशील गिरधर का नया हिंदी ब्लाग :लिखिये देखते हैं
- हिंदू संवाद:चालू आहे
- अवधी क्यार पहिला ब्लॉग:लिखे रहौ
शहीद भगत सिंह के प्रसिद्ध लेख -मैं नास्तिक क्यों हूं पहला भाग पढ़वा रहे हैं आपको संदीप!
यह कविता से साहित्य के मुक्त होने का समय हैः राजेंद्र यादव/आपके पास क्षीण और दयनीय जानकारी हैः अशोक वाजपेयी ।दोनों की बतकही इधर बांचिये।
मास्टर मसिजीवी गये थे चौप्टा-तुंगनाथ-चंद्रशिला। लौट के आये घर तो बुद्धु फोटो दिखा रहे हैं। फ़िसलौआ दर्शन मतलब स्लाइड शो!
ग्रामीण महिलाएं ले रही हैं छोटे-छोटे ऋण और संवार रही हैं अपना हुनर। देखिये आप भी खबर!
तरकश समाचार:गूगल ने अपनी ब्लोगसर्च सुविधा का नया अवतार लॉंच किया है. अब गूगल ब्लोगसर्च पर एक नए प्रकार का होमपेज उपलब्ध है जो चिट्ठों पर प्रकाशित सामग्री को श्रेणियों मे विभाजित कर प्रदर्शित करता है.
बच्चों के कुपोषण से संबंधित एक रपट देखिये- मासूमों को निगल रहा है कुपोषण!
अपेक्षाओं का बोझ बच्चों पर क्या असर डालता है देखिये महेश परिमल का लेख।
गीताश्री इरा झा का लेख पेश करती हैं जो समाज में महिलाओं की स्थिति की झलक दिखलाता है:
फिलहाल, देश के बड़े हिंदी अखबार में ठीक-ठाक पद पर हूं पर अब भी यही लगता है कि औरत के लिए यहां भी गली तंग है. बस्तर की परवरिश की वजह से अब भी ठठाकर हंसती हूं, साथियों से ठिठोली करती हूं और जोर से नाराजगी दिखाती हूं. लेकिन इसमें बस्तर के दिनों की स्वच्छंदता नहीं है. मेरे पिता से विरासत में मिली आजादी नहीं है. काश कि मेरे पिता यह जान पाते की उनकी बेटी जिस दुनिया में गुजर कर रही है वहां औरतों की बेबाकी सिर्फ कंटेंट है.
यहां अरुंधति राय या किरण बेदी के सिर्फ इंटरव्यू छप सकते हैं वे खुद आ जाएं तो उनकी हालत पुलिस की नौकरी से कोई खास अलग न होगी. औरतों की बेबाकी यहां अब भी बड़बोलापन है.
एक लाइनां
- आविष्कार की मां का नाम आवश्यकता है : लेकिन अविष्कार के बाप का नाम क्या है?
- जो हलाल नहीं हुआ, वह दलाल हो जाता है: दलाली करता है, मालामाल हो जाता है
- हमारी कामना : खुश रहो आबाद रहो
- कलम की यात्रा : शुरू में ही थक गई कलम!
- छोर दी सारी दूनिया बस तुम्हारे लिये : बड़ी जल्दी छोर दी!
- कांग्रेसी दोहे :लेने जाए तेल
- उमड़ घुमड़ ख्याल : ये भी एक बबाल
- आम भक्त,विशिष्ट भक्त-लघु हास्य व्यंग्य :दीर्घ हास्य व्यंग्य
- क्योंकि भगवान बिजली पैदा नहीं करते :इसीलिये सरकार की बिजली देने में नानी मर रही है
- इंग्लैंड में हिंदी :क्यों बोलते हैं लोग?
- नैनो का नया ठिकाना :देखो कित्ते दिन रहता है!
- कुछ यूं ही गुजर रही है जिंदगी:सबकी ऐसे ही गुजरती है भैये
- हम कहाँ जा रहे हैं ?: वाह भैये, जाओ आप बतायें हम!
- स्कूटर में तेल डलाने के पैसे नहीं -सपने नैनो के : बोले तो- तन में नही लत्ता पान खायें अलबत्ता
- भूतनाथ ने माना की वो मर चुका है ! :लेकिन तय नहीं कर पा रहा है कि उसे दफ़नाया जाये या जलाया जाये
- उन्हें अपनी मंजिल साफ़ दिखती है: क्योंकि उनकी नजर साफ़ है
- वन, खनिज और पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन को छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया : अब इन कानूनों की खैर नहीं!
- ना पत्र ना आकार-फ़िर भी पत्रकार :तो इससे आप क्यों हलकान हैं सरकार?
- ईश्वर, सत्ता और कविता:में मिली भगत है
- कौम के ठेकेदार :दो चेहरे लिये घूम रहे हैं जरा बच के रहना
- नमस्तस्यै,नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमो नम: मीमांशा: यदि आप लंबी पोस्ट पढ़ने का धैर्य रखते हों तभी यह पोस्ट पढ़ें
- सांप्रदायिक एकता की मिशाल : मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग हर वर्ष रावण कुम्भकरण और मेघनाथ के विशाल पुतले बनाते है. : हिंदू लोग उनको जला देते हैं!
- ’नैनो’ हुई गुजरात की,टाटा ने मोदी से लड़ाये नैन : बुढौती मां नैन लड़ैहैं ये लोग?
- बताओ मोहनलाल की तरह शहीद होकर बेईज्जत होना अच्छा है या सेटिंग कर पोस्टिंग करवाना: कुछ भी चाहो दोनों की कीमत चुकानी पड़ती है!
- मैं नहीं मानती ३३ फीसद आरक्षण मिल जाने से स्त्री-सशक्तीकरण को मजबूती मिलेगी:३४ फ़ीसदी के लिये बात करी जाये क्या?
- मेरा कमरा :गुमसुम है यह पोस्ट पढ़कर
- दुर्गा मैया :हाऊ आर यू?
- तिरूपति बालाजी के नाम एक खुला पत्र: इसलिये भेजा जा रहा है क्योंकि लिफ़ाफ़े में गोंद नहीं लगा है
- शर्म नहीं आती तुम्हें..: ऐसी पोस्ट की चर्चा करते हुये?
- मुझे देख दर्शक हैरान हो जाएंगे: फरदीन खान : और हैरानी से बचने के लिये अगर दर्शकों ने देखा ही नहीं तब कौन हैरान होगा?
- कन्या भूर्ण :को कन्या भ्रूण में बदलना ब्लागर की चुनौती है!
- अब मै e-bay जैसा साईट बनाऊंगा(अपना डामेन खरीद कर) : न बनाया तो मेरा नाम कुन्नू सिंह नहीं!
- साइकिल पर:चलने के लिये शौक को चर्राना पड़ता है जी!
- पापी पार्टियों की परिपाटी :हमारा सुख-चैन लूट लेंगी!
- माँ पर नहीं लिख सकता कविता :तो बाप पर ट्राई करो!
- चाँद हम आ रहे हैं : भाग लो जल्दी से वर्ना तुम्हारी खैर नही!
- यादों की गलियों से गुजरता आज: कल की सड़क से मिल जायेगा
- एक आलसी कवि की डायरी: बाचते ही नींद ने हमला कर दिया
- इस पोस्ट को क्या नाम दूँ- आप लोग ख़ुद ही फैसला कीजिए. : पोस्ट को पोस्ट ही रहने दो कोई नाम न दो
- 100 सब्स्क्राईबर होने के उपलक्ष्य में नये-नवेले ब्लॉगरों से कुछ बातें… : यदि आपका लेखन अच्छा, तर्कपूर्ण, तथ्यपरक है तो आपको हिट होने से कोई रोक नहीं सकता
- जब मैं इंसान बन जाऊँगा: तब भी ब्लाग लिखता रहूंगा
- होशपूर्वक मरना क्या है? : हमें तो पता नहीं किसी अनुभवी से पूछो
- आंखों में है इंतजार : किसी पेइंग गेस्ट सा डटा हुआ
- जवानों का मनोबल गिराकर, राजनेता स्वयम की सुरक्षा को दाव पर लगा रहे हैं ! :ये कोई अच्छी बात तो नहीं है जी!
- सवाल राम के चरित्र पर भी उठ सकते हैं क्योंकि...:उठते रहे हैं!
- कहाँ खो गया संगीत ? : दिखता नहीं, रिपोर्ट करो
- जिम्मेदार कौन : हमें कुच्छ नहीं पता, हमें जिम्मेदारियों से क्या लेना-देना
विकट नतीजे लेकर आयी मेरी छुट्टी : कैंसिल काहे नहीं करा लेते?- गोवा मे गुजरात का गरबा और डांडिया: ममता के कब्जे में
- फिर वही शाम.. पियरायी.. :का करें दूसरी शाम कहां से आयी?
- मुझको आँखें बंद कर लेने दो:इसके बाद तुम टिपियाना
- स्त्री को भोग्या बनाने वाले पेशे!:शास्त्रीजी के ब्लाग पर
- खलनायकों के बगैर खाली है हमारी दुनिया: देवदत्त पटनायक: इसीलिये हम जिये जा रहे हैं
- पत्नी: पति के पीछे या उसके साथ : कहीं हो रहती तो आसपास ही है
- तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है:जहां भीं जाऊं तो दिखती तेरी ही किलबिल है!
- कुछ और विश्वनाथ, और आप मानो तर गये! : तारीफ़ सुनकर विश्वनाथजी गले तक भर गये, मेल कर गये
- कितनी लडाइयां लडेंगी लडकियां : कोई गिनती नहीं!
- .क्योंकि ये लड़की मिडिल क्लास की है !:इसलिये हर रोज मिलते हैं उन लड़कियों से।
- रजिया, हब्शी और अबीसीनिया :की मुलाकात शब्दों के सफ़र में
- अब तुम मुझे पसन्द नहीं :क्योंकि बूढ़ी हो गई मे्री सोच
- तुझमे और मुझमे क्या फर्क ? : 'तु’ और ’मु’ का फ़र्क है मग्गा बाबा। बाकी ’झमें’ तो दोनों में है!
- ब्लॉग की दुनिया में पुनरागमन : क्या सोच के आये हो? दोस्त पढ़ेंगे, टिप्पणी करेंगे?
- तो, आखिर क्या हैं असली साहस की बातें? : न तू जाने न मैं
- ये देश है बस अवकाशों का ....इस देश का यारों क्या कहना:इत्ता कह दिया ये देश बेचारा सह गया कोई गरम ब्लागर होता तो पता चलता
- दहेज़ क्या होता है: दूल्हा खरीदने में चुकाई रकम
- बहुत, मतलब बहुत...: न इससे कम न ज्यादा
- भौजाई के बाउंसर पर साधु महोदय काट एंड बोल्ड: और वो अपना बल्ला थामकर पवेलियन रवाना
- नभ आए हमारे द्वार :कह रहे हैं कुछ नयी ताजी सुनाओ यार!
- खुला ख़त: अज्ञातानंद जी के नाम : पढ़ के इसे बंद कर देना भाई
- हर २०वाँ है यौन शोषित ................................अमेरिका में: का करें? कहां तक समझायें?
- अब इस साल मुझे कौन कौन आयेगा जलाने : रावण: जिसके पास तेल के पैसे होंगे
- वक्त के पास है हर चोट का मरहम :वक्त चोट के साथ मरहम मुफ़्त देता है
- सुधर जाओ अमर सिंह : हमें अपने ऊपर और पोस्टें लिखने के लिये मजबूर मत करो
- शहर की बदनाम गलियो में कोई दरवाजा खटखटा रहा है.. :कहता है लड़कियां लेने आया है
- जिन्दगी बहुत से इम्तहान लेती है....... : और सबमें पास करने की फ़ीस लेती है
- चाँद की बातें करो : आज चांदनी पे कमीशन का ऐरियर लेने गयी है
- पछताओगे: फ़िर पोस्ट में झेलाओगे
- बातें कैसी कैसी : सुनिये और कहते रहिये वाह राजा साहब वाह!
- अपना दोष सरकार के सर… :क्योंकि सर बड़ा सरकार, दोष यहिमा (इसमें) हमार का?
- सारे त्योहारों की ज़िम्मेदारी हमारे ही जिम्मे क्यों? : जिम्मेदार लोगों पर ही जिम्मेदारी डाली जाती है न!
- मुफ़त की रोटियाँ तोड़ो ससुर जी माल वाले हैं,: कोई मौका नहीं छोड़ो ससुर जी माल वाले हैं!
- देश विकट 'मौसमीय' दिनों से गुजर रहा है....: ....और भाईसाहब को बसन्त की सूझ रही है!
आंसू मोती कैसे?
आंसू कीमती क्योंकर?
कहती है मां
संभाल कर रखो इनको
विदाई पे काम आएंगे।
कह कर मुस्कुराती हैं वो
और रूला जाती हैं वों। पूजा प्रसाद
आंसू कीमती क्योंकर?
कहती है मां
संभाल कर रखो इनको
विदाई पे काम आएंगे।
कह कर मुस्कुराती हैं वो
और रूला जाती हैं वों। पूजा प्रसाद
'जब कोई भी माँ छिलके उतार कर
चने, मूंग फली या मटर के दाने
नन्ही हथेलियों पर रख देती है
तब मेरे हाथ अपनी जगह पर
.थरथराने लगते हैं.
माँ ने हर चीज़ के छिलके उतारे मेरे लिए
देह, आत्मा ,आग और पानी तक के छिलके उतारे
और मुझे कभी भूखा नहीं सोने दिया.
मैंने धरती पर कविता लिखी है
चन्द्रमा को गिटार में बदला है
समुद्र को शेर की तरह
आकाश के पिंजरे में खड़ा कर दिया .
सूरज पर कभी भी कविता लिख दूँगा ,
माँ पर नहीं लिख सकता कविता.''चंद्रकान्त देवताले
चने, मूंग फली या मटर के दाने
नन्ही हथेलियों पर रख देती है
तब मेरे हाथ अपनी जगह पर
.थरथराने लगते हैं.
माँ ने हर चीज़ के छिलके उतारे मेरे लिए
देह, आत्मा ,आग और पानी तक के छिलके उतारे
और मुझे कभी भूखा नहीं सोने दिया.
मैंने धरती पर कविता लिखी है
चन्द्रमा को गिटार में बदला है
समुद्र को शेर की तरह
आकाश के पिंजरे में खड़ा कर दिया .
सूरज पर कभी भी कविता लिख दूँगा ,
माँ पर नहीं लिख सकता कविता.''चंद्रकान्त देवताले
रद्दी में पड़ी अपनी पुरानी,
उन दिनों की लिखी
डायरियों के पन्ने सहलाते हुए
पलटना अच्छा लगता है।गौरव कुमार
उन दिनों की लिखी
डायरियों के पन्ने सहलाते हुए
पलटना अच्छा लगता है।गौरव कुमार
जगत जननी, जगत अम्बे
तू है मां वर दायनी,
सृष्टी की रचना में तू मां,
तू ही सृष्टी नाशनी।प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
तू है मां वर दायनी,
सृष्टी की रचना में तू मां,
तू ही सृष्टी नाशनी।प्रीती बङथ्वाल "तारिका"
मेरी पसन्द
ज़ख्म अपनों ने दिया जो, वो नहीं भर पायेगा
जब कुरेदोगे उसे, तो फ़िर हरा हो जाएगा
वक्त को पहचान कर जो शख्स चलता है नहीं
वक्त ठोकर की जुबां में ही उसे समझायेगा
शहर अंधों का अगर हो तो भला बतलाइये
चाँद की बातें करो तो, कौन सुनने आयेगा
जिस्म की पुरपेच गलियों में, भटकना छोड़ दो
प्यार की मंजिल को रस्ता, यार दिल से जायेगा
बन गया इंसान वहशी, साथ में जो भीड़ के
जब कभी होगा अकेला, देखना पछतायेगा
बैठ कर आंसू बहाने में, बड़ी क्या बात है
बात होगी तब अगर तकलीफ में मुस्कायेगा
फूल हों या खार हों हमने फरक समझा नहीं
जो अता कर दे खुदा, हमको हमेशा भायेगा
नाखुदा ही खौफ लहरों से अगर खाने लगा
कौन तूफानों से फिर कश्ती बचा कर लायेगा
ये तुम्हारे भोग छप्पन सब धरे रह जायेंगें
वो तो झूठे बेर शबरी के ही केवल खायेगा
गीत गर दिल से लिखा "नीरज" कभी तो देखना
फ़िर उसे सारा जमाना, झूम कर के गायेगा
नीरज गोस्वामी
और अंत में:
परसों की पोस्ट पर आई टिप्पणियों के जबाब:
टिप्पणी:आज की चर्चा आप ने चार वाक्यों में निपटा दी. सचमुच में जघन्यतम समय आ गया है!! शास्त्रीजी
प्रति टिप्पणी: हां शास्त्रीजी, जब आप जैसे , बूंद-बूंद से घड़ा भरकर हिंदीजगत को सागर बनाने वाले ज्ञानी विद्वान, पैराग्राफ़ को वाक्य बतायेंगे तो यह हिंदी के जघन्यतम समय की आहट होगी। (हम मुस्करा के कह रहे हैं) :)
प्रति टिप्पणी: आज कसर पूरी हुई क्या?
चिट्ठाचर्चा में लगता है,
आज कीटाणुनाशक डी.डी.टी. का छिड़काव हुआ है
एक दिन में दो बार नहाने पर भी मक्खियाँ भिनभिना रहीं थीं
अउर हम्मैं देखो, कि बिना पोस्ट पढ़े ही टिप्पणी ठोंकिं रहे है डा.अमर कुमार
प्रतिटिप्पणी: आज फ़िर ठोंकिय! पहिले मत्था फ़िर टिप्पणी!
आदरणीय ज्ञान जी के नक्शे कदम पर माइक्रो चिठ्ठा चर्चा ! :) ब्लॉगर
तो माइक्रो का प्रयोग करने ही लग पड़े हैं ! और आप जो धुन्वाधार
लिखते हो तो आपभी माइक्रो पर ? :) ताऊ रामपुरिया
प्रतिटिप्पणी: वो तो एकदिनी अदा थी। आज फ़िर आ गये न औकात पर!
प्रतिटिप्पणी: अब बराबर हो गया न! और आप जो पूछ रहे थे न कि अमर सिंह तुम पागल हो गये हो : अधूरी जानकारी के आधार पर कभी बयान नहीं देना चाहिये का मतलब क्या है? तो नीतीश जी ये जो अधूरी जानकारी वाली बात है वह मैंने आपकी ही पोस्ट से ली थी। आप कैसे कह सकते हैं कि अमरसिंह जी पागल हो गये हैं। पागल कहीं ऐसे होते हैं। ऐसे कहने से कोई भी नाराज हो सकता है न! इसीलिये हमने कहने की हिम्मत की कि अधूरी जानकारी के आधार पर कभी बयान नहीं देना चाहिये
प्रतिटिप्पणी: आप सच सुनते ही उखड़ काहे जाते हैं समीरलाल जी? चुनाव में हम न होंगे तो आपका झूठा प्रचार कौन करेगा? हार भी तो सम्मानजनक होनी चाहिये न!
प्रतिटिप्पणी: फ़िर हाजिर हुये न आपकी सेवा में फ़िलहाल!
प्रतिटिप्पणी:इस बार हुआ न! स्क्रौल!
लोग न जाने आपको क्यों बदनाम किये हैं कि आप विविधता वाली पोस्ट लिखते हैं। हम तो ये देखते हैं कि जैसे लोग देश की सारी गड़बड़ी का ठीकरा फ़ोड़ने के लिये नेता का सर तलाशते हैं वैसे ही आजकल आप इधर-उधर न जाने किधर-किधर से तार जोड़कर ब्लागिंग के मेन स्विच में घुसा दे रहे हैं।
प्रति टिप्पणी – ब्लॉगिंग के मेन स्विच का फ्यूज तो नहीं उड़ रहा न उससे! जब फ्यूज इण्टैक्ट है तो क्या फिक्र कि लोड कितना और कैसा है। यह कहां से तय हुआ कि पारम्परिक, प्री-डिफाइण्ड लोड ही डाला जायेगा ब्लॉगिंग सरक्यूट पर? ज्ञानदत्त पाण्डेय
प्रति-प्रतिटिप्पणी: फ़्यूज चाहे जित्ता इन्टैक्ट हो लेकिन जब हर पोस्ट की कटिया आप मेन स्विच में घुसायेंगे तो फ़्यूज उड़ ही जायेगा। कटिया में बड़ी जान है। फ़्यूज पहले कुनमुनायेगा, फ़िर सरसरायेगा और फ़िर भड़ से उड़ जायेगा। फ़िर न कहियेगा बताया नहीं!
चलिये अच्छा है कि आपने बता दिया कि बेनामी टिप्पणी किसने की थी। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबढ़िया है,अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंअनूप भाई
जवाब देंहटाएंउखड़ा कहाँ?? विनोदवश मय स्माईली ही तो लिखा है...हमारे चुनाव का संग्राम तो आपके बिना डगमगा ही जायेगा... :) आप हो तो ही एक उम्मीद है कि पार्षद का चुनाव तो जीत ही लेंगे.
बेहतरीन चर्चा किये हो हमेशा की तरह...बहुत बधाई एवं साधुवाद!!
सतीश जी का लेख पठनीय है.
जवाब देंहटाएंस्लाइड शो का बहुत बढियां मतलब निकाले हैं { फ़िस्लौआ दर्शन }
तरकश समाचार तो बहुत ही बढ़िया ख़बर लाया है.
कुन्नू सिंह कि अच्छी खिंचाई की है पर 33 फीसदी का 34 फीसदी करना खतरनाक भी हो सकता है. भूकंप और बाढ़ सब एक साथ आएगा क्या !!
बाकी सारे एक लेना बहुते मस्त . :)
जैसे गंगा नहा लिए, आइसा लग रहा है.
अविष्कार के बाप का नाम खुराफ़ात है, जी !
जवाब देंहटाएंएक लाइना अपने पूरे फ़ार्म पर है, जी
लेकिन...
.
लगता है,कि..
.
आप पर सचिन तेंदुलकर इफ़ेक्ट आगया है,जी
18 और कवर कर लेते,तो 100 पूरे हो जाते.
82 पर ही आउट हो गये,जी !
वइसे फ़ार्म व क्रीज़ बरोबर है,जी !
आज के राशिफल के अनुसार बहुतायत मित्रों को 'सुप्रभात' नसीब होगी,जी !
स्टैटकाउण्ट से स्पष्ट है - चिच के हिट होने के लिये फुरसतिया का की बोर्ड और दुरुस्त इण्टरनेट कनेक्शन भर चाहिये!:)
जवाब देंहटाएंहलकान कैसे ना हो अनुप जी जब देखो तब नेता ये नेता वो और बाद मे नेता जी के साथ चाय की चुस्कीया भी यही लेते है!अपनी बात भी करनी जरुरी है ना !!
जवाब देंहटाएंचर्चा बहुत अच्छी रही एक लाईना हमेशा की तरह धांसु है!!
charcha main kuch naya bhi mila hai
जवाब देंहटाएंअनूप जी चिट्ठा चर्चा पढ़कर आनंद आ गया । आपकी एक लाइना उसी तरह का अनंद देती हैं जैसी कभी सुरेंद्र शर्मा की चार लाइना देती थीं
जवाब देंहटाएंयह चिट्ठाचर्चा......है! आपको प्रणाम करता हूँ, लम्बा लिखने और समय प्रबन्धन के लिए. कमाल किया है...
जवाब देंहटाएं"स्त्री को भोग्या बनाने वाले पेशे!:शास्त्रीजी के ब्लाग पर "
जवाब देंहटाएंगजब है अनूपजी, आपका हर एकलाईना अपने आप में एक अजूबा है!! मान गये आप को.
हां, आप इन मेराथन चर्चाओं के लिये कितना समय लगाते हैं इसका अनुमान मुझे एक बार और हो गया जब मैं माँ चिट्ठे पर लिखे गये लेखों के की चर्चा कर रहा था.
अपन तो छ: आलेखों की चर्चा करते ही पस्त हो गये, अत: आप की दाद देते हैं. ईश्वर से प्रार्थना है कि आपको शतायु करें क्योंकि यह कार्य और किसी के बस का नहीं है!!!
-- शास्त्री
स्क्रॉल करते ही जा रहे है... बढ़िया चर्चा है ज़ी.. हालाँकि कहने वाले ये भी कह सकते है की इतनी लंबी चर्चा ना किया करिए हमारे माउस में स्क्रॉल बटन नही है.. फिर आपको छोटी लिखनी पड़ेगी.. परवाह ना कीजिए ज़ी कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना..
जवाब देंहटाएंवैसे चर्चा आज वाकई लंबी थी.. छोटी करिए ना... (आख़िर मैं भी तो लोग हू.. मैं भी कहूँगा :))
८२ एक लाइना !
जवाब देंहटाएंकितनी मेहनत की होगी आपने ,दो दिन का कोटा दे दिया .
आपका चिटठा चर्चा अंदाज हिट है शुक्ल जी......सच में .......पर आज कुछ ब्लॉग के कंटेंट को मिस किया ....कुछ ब्लॉग पे जो आपकी पैनी नजर रहती है लगता है वक़्त की कमी आडे हाथो आयी है .
अनूप जी
जवाब देंहटाएंमेरी ग़ज़ल को इतना पसंद करने का शुक्रिया...इसका सारा श्री गुरु पंकज सुबीर जी को जाता है...मैं तो सिर्फ़ कलम हाथ में पकड़ता हूँ लिखवाते वो ही हैं...आप ने अपनी चिट्टाचर्चा में मुझे विशेष स्थान देकर जो मेरा मान बढाया है उसे देख भाव विभोर हूँ.....
नीरज
एक लाईना ! कमाल की लाईना !!
जवाब देंहटाएंमजा आगया ! आज तो एक लाईना पर आपकी
कमाल की टिपणिया हैं ! शुभकामनाएं !
नीरज जी की गजल बहुत बड़िया है। मास्साब बड़िया काम कर रहे हैं। एक बार फ़िर आप की ब्लोग ऊर्जा को नमन करने को मन कर रहा है। हमें बिना लिंक खोले भी पढ़ने में इत्ता वक्त लगा तो आप को लिखने में कित्ता वक्त और ऊर्जा देना होता होगा। ग्रेट हो जी। वन लाइना तो कमाल है हीं, नये ब्लोगर्स का परिचय देना भी अपने आप में प्रशंसनीय है।
जवाब देंहटाएंआप अपने नाम को वाकई में सार्थक कर रहे हैं, इतनी लंबी चर्चा लगता है आपको चर्चा का Addiction हो गया है। जरा ध्यान रखियेगा।
जवाब देंहटाएंइसे कहतें हैं चिठ्ठा चर्चा ..काफी मेहनत की है .. ( पता है मेरे पास माउस का स्क्रोल बटन है :-) )
जवाब देंहटाएं