होनी तो थी प्रात:कालीन चर्चा पर हो रही है सांध्यकालीन। सो भी संक्षिप्त। कुल मिलाकर एक ही केंद्रीय पोस्ट पर। पोस्ट हल्की-फुल्की नहीं, बिग बी की पोस्ट।
कल रविजी ने सूचना दी कि अमिताभ अंतत: हिन्दी ब्लॉगर बन गए हैं। उन्होंने ये पोस्ट डाली थी।
वाकई प्रसन्नता कि बात थी कि अमिताभ बच्चन हिन्दी ब्लॉगर हो गए भले ही इंक ब्लॉगिंग से। पर आशीष को ये नहीं जमा।
उनका कहना था-
दरअसल रवि जी ने अमिताभ की जिस पोस्ट का जिक्र किया है, वैसी ही एक पोस्ट अमिताभ बच्चन ने इस साल 3 जुलाई को थी। इस पोस्ट को पढ़कर बिग बी के हिन्दी प्रेम पर मुझे काफी खुशी हुई थी और इसे मैंने अपने ब्लॉग नेटशाला पर कुछ इस तरह पेश किया था।
बात सही ही थी। अमिताभ पहले ही इंक ब्लॉगिंग में हाथ आजमा चुके थे-
किंतु इस सब का असर खूब हुआ खुद अमिताभ पर भी। आज का दिन आते न आते अमिताभ बिना किंतु परंतु के हिन्दी ब्लॉगर बन गए इस पोस्ट के साथ
तो अब जितने सज्जन व्यक्ति निराश थे कि मैं हिंदी मे क्यूँ नहीं लिख रहा , आशा करता हूँ थोड़े से अब वो शांत होंगे I खुशी इस बात कि सब से ज्यादा है कि बाबूजी के लिखे शब्द सही रूप मे आप सभी के सामने प्रस्तुत कर सकूँ गा I आज एक छोटी शुरुआत कर रहा हूँ , आगे और अवसर मिलेगा जब मै विस्तार से लिखने का प्रयत्न करूँगा I आशा करता हूँ कि मेरी यह पहली कोशिश आप सभी को भाएगी I
अरे भाएगी क्यों नहीं। जरूर भाएगी। भा रही है। पर हम ठहरे मास्टर हमें तो जिस बात से सबसे ज्यादा खुशी हुई वह है अमिताभ का अ। ये जो अ 'अ' आप देख रहे हैं वह नहीं वरन वह जो आप अमिताभ की इंक ब्लॉगिंग में उनके हस्तलेख का अ है। कितना खूबसूरत
अ है। आजकल तो दिखना भी बंद हो गया है इस आकृति में लिखा हुआ। नहीं... तो आज की चर्चा अमिताभ के इस अ के नाम जो शायद खुद हरिवंश राय बच्चन ने अपने हाथ से सिखाया होगा।
ऐसा अ मेरे नानाजी लिखते हैं... उनकी पुरानी चिट्ठियों में देखा है... छोटी ही सही पारखी नजर से की गई चर्चा है.
जवाब देंहटाएंgooooooooood............
जवाब देंहटाएंआपने संक्षिप्त किंतु अमिताभ बच्चन साहब के ब्लॉग के बारे में बताया , वहाँ की सैर की ! अच्छा लगा ! वैसे आज पोस्ट और टिपनियों का सब जगह टोटा है सिर्फ़ बच्चन साहब के ब्लॉग को छोड़ कर ! :) आपको दीपावली की शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंयह तो टाइम टाइम की बात है, जानी..
जवाब देंहटाएंइस अ में भी सार्थक सौन्दर्य देखा जा रहा है !
वक़्त का हर शै सौदाई ...
क्षमा करें यदि यह टिप्पणी न देता, तो एक अनाम सी कचोट सालती रहती !
क्योंकि.. बने के तो सभी हैं, बिगड़ों का भी काश कोई ख़बर ले पाता ?
अरे यह अ तो यहाँ गूगल पर भी गायब हो गया है पर हिन्दी प्रेमी अभी भूले नहीं हैं -मैं तो कभी भी नहीं -मेरे बाबा जी मेरा नाम इसी अ से ही लिखते थे !
जवाब देंहटाएंथोड़ा पुराना लगेगा पर हम भी अ ऐसे ही लिखते हैं.
जवाब देंहटाएंअच्छी खबर सुनाये तुमने और इस तरह से अ लिखते हैं, हमें तो पहली बार पता चला
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंये वाला अ तो हम अब भी लिखते हैं!
जवाब देंहटाएंजब मैने लिखना सिखा था, तब अ और झ दोनो हाल वाले से भिन्न थे. हमारी आदत बदल गई और साहब अभी उसी पर अटके हैं, हिन्दी लिखने से कम पाला पड़ता होगा. :) वैसे बधाई के पात्र है, आम जनता पीछे चलने वाली होती है, महारथी लिखेगा तो वे भी लिखेंगे.
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