विकलांगता मात करने की है जितेन्द्र ने ठानी ॥
कल डॉक्टर अनुराग फँस गए थे अजीब उलझन में ।
कहाँ उठाकर रखें अचानक चाँद गिरा आँगन में ॥
सीमा जी की यह सौगात पढें प्रेमी कविता के ।
मार्मिक हैं संवाद यहाँ कुछ पुत्री और पिता के ॥
आज छिडी है बहस आप भी अपना मत दे आएं ।
यहाँ टिप्पणीकार बडा या ब्लॉगर जल्द बताएं ॥
दो कलमों का भेद ये कैसा विवेक सिंह चकराए ।
रंजू की विश्राम माँगती कुश की चलती जाए ॥
बीस रुपए में शायर बनना हो तो यहाँ पधारें ।
क क किरण बहादुर बाला की भी बहादुरी स्वीकारें ॥
पागल नहीं देशद्रोही हैं राज ठाकरे जानें ।
कहती हैं फिरदौस स्वयं पढ लें मेरी क्यों मानें ॥
बचपन और बडे होने के बीच हुआ क्या ऐसा ।
पढें चेतना कविता प्रेमी नहीं लगेगा पैसा ॥
ब्लॉगिंग के आजमाए नुस्खे ब्लॉगर अवश्य पढना ।
नुस्खे सीख सीखकर ही ब्लॉगिंग में आगे बढना ..
टाइमखोटीकार कहें यों टैम नहीं शिव भाई ।
इनको भी टाइम का टोटा कैसी मुश्किल आई ॥
समय नहीं जब कहे निठल्ला तो क्या तुम मानोगे ?
बोलो बच्चो ! झूठ सत्य फिर कैसे पहचानोगे ?
नॉर्मलत्व की ओर चले आलोक पुराणिक भाया ।
जेब कटाकर घर आ बैठे हाथ कुछ नहीं आया ॥
हिन्दी ब्लॉगिंग में आयी है कविता ये आसामी ।
कोई बात नहीं जो इसमें हो थोडी सी खामी ॥
चलता फिरता ए टी एम देख कर खुश हो जाओ ।
बैंक नहीं जाना पैसे अब घर बैठे ही पाओ ॥
बाहर फैले पतझड तो बेखबर कभी मत होना ।
हरियाली खबरें पहुँचाता रोज़ हरा यह कोना ॥
शिवकुमार मिश्रा जी ने दुहरी सेन्च्युरी लगाई ।
अविश्वास है कुछ लोगों की टिप्पणियाँ ये आयीं
ज्ञानदत्त पाण्डेय जी ने भी माँगा आधा हिस्सा ।
कौए और गिलहरी का भी था ऐसा ही किस्सा ॥
भारत का इस्लामीकरण: होरही इसमें तेजी ।
कुछ ब्लॉगर को चिंता है ये टिप्पणियाँ भी भेजीं ॥
श्री गुरु ग्रन्थ साहिब की यह संक्षिप्त जानकारी है ।
बाल उद्यान बधाई हो यह कार्य सदाचारी है ॥
यह शब्दों का सफर अजित वडनेरकर खडे हुए हैं ।
कातिबे तकदीर बता दे कुछ यूँ जिद पर अडे हुए हैं ॥
सरकार देर से क्यों जागी ये पूछें सचिन आपसे ।
टेस्ट मोहाली में जीते हम धोनी के प्रताप से ॥
पढें पुलिस पर लेख भ्रान्ति अब दूर करें यदि हो तो ।
सदा नहीं दे सकते हम हर दोष पुलिस बल को तो ॥
फुरसतिया के दीवाने के को पत्थर से ना मारें ।
एक बार फिर हम तुम आओ जय टिप्पणी पुकारें ॥
जिसने पहले टिप्पणियाँ की धन्यवाद उन सबका ।
जो न कर सके पहले उनके लिए दूसरा मौका ॥
लोकतन्त्र में राय आपकी ही मायने रखती है ।
बिन ग्राहक के दुकानदार की बोलो क्या हस्ती है ॥
अत: भाइयो बुरा भला जैसा भी हो टिपियाएं ।
हिन्दी के विकास को चिट्ठा चर्चा से आशाएं ॥
Bahut khub.
जवाब देंहटाएंसही जा रहे हो..
जवाब देंहटाएंक्रीज़ फ़ार्म और निराली लेंग्थ तुम्हारी दूर बहुत ले जायेगी
समझाऊँ अब तुम्हें कैसे, क्या यह बात समझ आयेगी
सत्य यहाँ का तुम निरख ठेलते वो कविता ही अब छायेगी
टाइमखोटीकार की कटु लेखनी भला किसी को कैसे भायेगी
यह आशु काव्य क्षमता तो पुराने दिनों के समस्या पूर्ति काव्य प्रतिस्पर्धाओं की याद दिला रही है !
जवाब देंहटाएंये भी खूब रही...फट फट कविता..मगर बैठी इतनी सटीक है कि आनन्द ही आ गया.लगे रहिये. बेहतरीन चर्चा.
जवाब देंहटाएंबहुत ही रोचक चिठ्ठाचर्चा-काव्य-मेखला।
जवाब देंहटाएंनये अंदाज में शुरू की है चर्चा, पहले वाली भी और ये भी दोनों बढ़िया रही। पहले राकेश खंडेलवाल जी यों चर्चा किया करते थे, अब आप हो।
जवाब देंहटाएंशानदार है जी। जमाये रहो!
जवाब देंहटाएंबहुत ही रोचक . निराली और बेहतरीन चर्चा.
जवाब देंहटाएंक्या केने क्या केने
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया।
जवाब देंहटाएंAAP SAARTHAK BAAT LIKHATEN HAIN
जवाब देंहटाएंAABHAAR ACHCHHEE CHARCHA KE LIE
बेहद सुंदर काव्य मयी चर्चा ! धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंनिश्चय ही बहुत मेहनत और दिल लग्गी ...माने दिल लगा कर की है चिटठाचर्चा !
जवाब देंहटाएंबढिया !
तुक्कम तुक्का मिला मिला कर कविता खूब बनाई।
जवाब देंहटाएंचन्द्र प्रक्षेपण की अब तो ले लो खूब बधाई।
Charcha ho to aisi. achha andaz hai. maine pahli bar aapka blog dekha, abtak miss kar gaya aisa lagta hai.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन लिखा है
जवाब देंहटाएंबेहतरीन.....खूब मिलाए हैं काफिये...
जवाब देंहटाएंशाब्बाशी देने का मन है......ले लीजिए....
छा गए भाई...छा गए.
जवाब देंहटाएंचिट्ठाचर्चा को बहुत रोचक बना दिया है.
बहुत-बहुत बधाई.
चर्चा भी देखो अब कविता कहने लगती है
जवाब देंहटाएंएक लाइना की कमी पर हमें अखरती है
बहुत अच्छा विवेक्! लगे रहो!!
जवाब देंहटाएंbahut badhiya.. vivek bhai
जवाब देंहटाएंएक लाइना का विकल्प इस तरह भी ढूंढा जा सकता है क्या...?
जवाब देंहटाएंलेकिन दोनों का महात्म्य पृथक पृथक है...अतुलनीय बंधुओं...