गुरुवार, अक्तूबर 16, 2008

करवाचौथ, अभिव्यक्ति की अदा और जबरदस्त पोस्ट

पिकासो पेंटिंग
कल करवा चौथ है। इस दिन तमाम महिलायें अपने पतियों की दीर्घायु के लिये व्रत रहती हैं। दिन भर निर्जला। इस व्रत के कारण तलाशते हुये नीलिमा लिखती हैं-
करवा चौथ की कथा मुझे हमेशा से बडी डरावनी लगती है ! जिसे सुनकर लगता है एकता कपूर के सारे सीरियलों में स्त्री पुरुष का आदिम संबंध बडी रिऎलिटी के साथ दिखाया गया है और एकता को गलियाने की बजाए उसके प्रति उदार भाव पैदा होने लगते हैं ! ये व्रत भारतीय बीवियों के मन में बैठे डरों का विरेचन करता है ! पति के मरने , पति के द्वारा प्यार न मिलने , उसे दूसरी औरत द्वारा रिझा लिए जाने ,गरीबी के हमले आदि आदि अनेक आपदाओं का ऑल इन वन इलाज !

ये आदिम औरत मर्द संबंध करवा चौथ के व्रत की हर कथा की केन्द्रीय संवेदना हैं ! ये हर औरत को डराकर उसे उसकी जगह पर रखने की साजिश है !

इस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाये हैं। घुघुतीजी जो स्वयं व्रत नहीं रहती कहती हैं-
मुझे खुशी हुई कि मैं यह व्रत नहीं रखती । यदि रख भी रही होती तो बंद कर देती ।
सभी त्यौहारों के साथ कई कथाएँ जुड़ी होती हैं, परन्तु यह कहानी तो takes the cake, along with the bakery.
वैसे जो मानती हैं व व्रत रखती हैं,उन्हें शुभकामनाएँ ।


तरुण का अपनी बात कहते हुये हिंदी ब्लागिंग के मिजाज को पेश करते हैं-
चोखेरबाली की पोस्ट ‘शर्मनाक हादसा’ पर जाकर देखा तब इस खबर का पता चला, खबर से ज्यादा ताज्जुब इस बात पर हुआ कि उस पर इतनी प्रतिक्रिया नही देखने को मिली जितनी होनी चाहिये थी। कई बार ना जाने मुझे ऐसा क्यों लगता है कि हिंदी ब्लोगरस को देखकर कहूँ, ‘जब रोम जल रहा था निरो चैन की बंसी बजा रहा था‘।


रचनाजी इस पर प्रतिक्रिया देती हैं-
आप बिल्कुल सही कह रहे हैं . हिन्दी ब्लोगिंग की अब यही छवि बनती जा रही हैं . हिन्दी ब्लोगिंग केवल और केवल एक स्‍माइली बन कर रह गयी हैं और सब महान ब्लोग्गेर्स खुश हैं इस रूप से तो बदलाव की उम्मीद बेकार हैं . केवल और केवल एक दुसरे की टांग खिचाई और हर सही मुद्दे को इग्नोर कर के जाने दो . आप की बात की पुष्टि इस ब्लॉग पोस्ट मे हो रही हैं .

स्‍माइली ही संदेश है

हिन्दी ब्लोगिंग मे लोग केवल अपने हास्य कहे तो हास्य वरना हास्यपद बातो की पोस्ट लिखते हैं . थीम ब्लोग्स को पुरी तरह इग्नोर किया जाता हैं .


इस पर अनूप शुक्ल की प्रतिक्रिया आयी-
किसी खबर को लोग किस तरह लेते हैं यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि उसे पेश कौन करता है! कैसे किया जाता है! प्रतिक्रिया में भी यही होता है। आदमी ब्लागर होकर बदल नहीं जाता है। यह केवल अभिव्यक्ति का माध्यम है भैये! कोई जादू की छ्ड़ी नहीं कि लोगों का स्वभाव बदल दे।


आगे भी कहते भये-
अपनी बात अगर आपको दूसरों तक पहुंचानी है तो उसका सलीका भी सीखना होगा। आपकी बात सही है केवल इतने मात्र से आपकी बात दूसरे के कलेजे में नहीं उतर जायेगी। आपकी प्रस्तुति , आपकी मंशा और आपका लोगों के साथ व्यवहार कैसा है इस पर आपकी बात की संप्रेषणीयता निर्भर करती है।


आगे भी क्रिया-प्रतिक्रिया है। आप खुद भी तो देखिये जी।
बुद्धिजीवी कहलाने के तरीके यदि जानना हो तो सुरेश चिपलूरकर के ब्लाग पर जाइये। २३ तरीके दिये हैं। इस तरह की जबरदस्त पोस्ट के पाठ्कों को यह एहसास न जाने क्यों रहता है जो हिमांशु ने व्यक्त किया-
जबरदस्त लिखा है आपने. पर कहीं आस पास ही होंगे 'तद्भव' कहने कहलाने वाले 'तत्सम' लोग. डर लग रहा है ब्लॉग का इतिहास लिखते वक्त कहीं आपकी ऐसी प्रविष्टियों को दफना न दिया जाय. सच - इस लिखावट के लिए कहूं -

"थरथराता है अब तलक खुर्शीद
सामने तेरे आ गया होगा ."


सतीश सक्सेनाजी की इस पोस्ट पर तमाम विचारोत्तेजक टिप्पणियां देखिये!

ऊपर की फ़ोटो इनर वायस की पोस्ट से

एक लाइना


  1. हैप्पी करवा चौथ टू आल द आइडियल वाइव्स : जैसे उनके दिन बहुरे वैसे सबके बहुरैं


  2. ब्लोगिंग में मेरे एक साल : हमने कायम करी मिशाल


  3. ग्राहक मेरा देवता अमेरिका बनाम भारत : दोनों के बीच कई महासागर हैं जी


  4. मुसलमान-हिन्दुस्तान का दूसरा बेटा :जो अपने आपको लेखक कहते हैं उन्हें सोच समझ कर लिखना चाहिए


  5. नाता, नातरा और लिव-इन-रिलेशनशिप: मामला अभी भी प्रतिशत पर अटका है


  6. क्या आपके पाठक कम हैं ? एक चेक लिस्ट ! : पर गौर फ़रमाइये, पाठक बढाइये


  7. भोला पन है या मति विभ्रम : जैसा आप कहें हम मान लेंगे


  8. सचमुच तिल का ताड़ बना दिया...:राई का पहाड़ बना दिया


  9. प्रेम करने वाली लड़की: आईना भी देखती है तो किसी दूसरे की नजर से परखती है स्वंय को


  10. हम तो सदियों से बेहोश हैं क्‍या बेहोशी दिवस मना रहे हो!: होश में आयें तब बतायेंगे, अभी होश की बातें न करो


  11. उसको जब नंगा कर दिवार पर लटकाया था : दीवार कोई खूंटी है क्या जी जिस पर लिटा दिया गया


  12. साजन सजनी का संवाद: बढ़िया चटपट इसका स्वाद


  13. बीच बजरिया खटमल काटे:कैसे निकालूं चोली से?


  14. दूसरी बकवास - अर्चना ऐ ईनो: ईनो बोले तो नैनो का अगला माडल


  15. धर्म परिवर्तन से बचने के उपाय: धर्म और परिवर्तन से बच के रहें


  16. "तुम यहीं तो हो" : हम न जाने कहां-कहां खोज आये


  17. कविता वह किन्तु न होती है : वैसे ये क्या है?


  18. तो बुरा मान गए : हम तो मजाक कर रहे थे


  19. मुझसे रिश्ता जोड़ोगे ?: जोड़ना तो चाहते हैं लेकिन तुम्हारे दोस्त बहुत हैं सन्नाटा, रेत,गम, नदी, नींद ...कैसे निभेगा?



और अंत में


कल कहा था तो आज फ़िर बैठ गये चर्चा करने। फ़िर बत्ती गुल। आधा घंटा बजा था रात के बारह बजने में। आधे घंटे में पहली पांच एक लाइना तक करके पोस्ट कर दिया। हम लोग जब पहले अनुगूंज लिखते थे तो ऐसा ही करते थे। आखिरी तारीख के पहले शीर्षक और दो लाइन लिखकर पोस्ट कर देते फ़िर अपडेट करते रहे। प्रशांत छटपटाने भी लगे और टिपिया दिये कि उनकी पोस्ट रह गयी। सच पूछा जाये तो इसीलिये उनकी पोस्ट एकलाइना में शामिल है।

इस तरह यह एक तरह की आनलाइन चर्चा है। एक-एक लाइन लिखी जा रही है अपडेट हो रही है।

पिछली पोस्टों में कुश की चर्चा में समीरलाल ने माना की घटती टिप्पणियों में उनका हाथ है। अपराध बोध में फ़ंसे बिना उनको काम में जुटना चाहिये।

शिवकुमार मिश्र ने कुश से सवाल वाला हिस्सा पेटेंट कराने को कहा है। अलग से मेल लिखकर उन्होंने कुश से वायदा किया है धुलाई से जो उनको आमदनी होगी उसका कुछ भाग वे पेटेंट कराने को देंगे।

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी कुश की नकल मारने की फ़िराक में हैं। नकल के लिये अकल का उन्होंने कोई जिक्र नहीं किया।

डा.अमर कुमार ने कुश से चर्चा को अनौपचारिक बनाने का अनुरोध है। कुश ने अनौपचारिकता के सोंटा गुरू से सोंटा मांगने का औपचारिक अनुरोध किया है। अगली चर्चा तक शायद बात बने।

जबरियन चर्चा में पाठक कहते हैं

गरिमा कहती हैं चर्चा का प्रमाण पत्र वो दे देंगी। क्या लिखेंगी ये नहीं बताया!

अनीता कुमार टिपियाने में पिछड़ गयीं तो बेकल उत्साही हो गयीं और कमेंट मिटा दिया।

समीर यादव कहते हैं- एक लाइना और प्रति टिप्पणी की TRP कई लोगों को ईर्ष्यालु बनाने के लिए काफी है. अब तो पाठन प्रतीक्षा सूची में यह ऊपर के सोपान पर है. हमारा कहना है ईर्ष्या करें लेकिन टिपियाते हुये।

डा.अमर कुमार फ़िरंट हो गये कि चर्चा चोरी-चोरी चुपके -चुपके कर गये। चर्चा का तो ऐसा है आप जब कहो तब कर दें। आप पोस्ट लिखो हम चर्चा करेंगे। अईसे सपरी?

विवेक सिंह को हम योग्य बताने पर जुटे हैं वो अपनी अयोग्यता के प्रमाणपत्र पेश करा रहे हैं गुरूजी से। बताइये भला ऐसे कहीं होता है?

दीपक भगवान को भी ब्लागिंग घसीट लाये। भगवान भला ब्लागिंग में क्या करेंगे?

शास्त्रीजी को चर्चा भ्रमण का अभ्यास लग गया- गयी भैंस पानी नहाने मौज से।

समीरलाल के उठे विश्वास से

समीरलाल को तमाम गलतफ़ैमिलियां हैं। उनमें से एक यह भी कि उनका विश्वास उनके मुकाबले हल्का है। जल्दी उठ जाता है। जबकि असलियत है उनका विश्वास एकदम सरदार है- सवा लाख के बराबर!

अरविन्द मिश्र को न जाने क्यों समीरलाल के सुंदर सुडौल शरीर से इत्ती स्पर्धा है। उनका विलोम इनका अनुलोम हो जाये!

विवेक कहते हैं- कुछ तो मजबूरियां रही होंगी यों ही विवेक सफ़ा नहीं होता!

तरुण खुश की समीर बच्चा क्लास में आ गया। उनको पता नहीं था कि ये बच्चा छुट्टी की दरख्वात लेकर आया है।

और तमाम सा्थियों ने समीरलाल की तारीफ़ की है। अब उनको हम ठोंक सकते नहीं न!

कुछ लोगों ने कहा भी अबकी बार अगर भारत आकर बिना मिले गये तो खैर नहीं- अगली बार फ़िर धमकी मिलेगी यही वाली!

कविता वाचक्नवी जी हमारे ब्लाग की फ़ालोवर हैं- हमारी नहीं जी! उनकी इसी पोस्ट में शिकायत है कि उनको तरसाया जा रहा है और उनके लेख की चर्चा नहीं होती। आज भी उन्होंने हंस के सम्पादक के नाम खुले पत्र का जिक्र किया है।
कविताजी ने राजकिशोर जी के कई बेहतरीन लेख पढ़वाये हैं। एक लेख उन्होंने अपनी मां के बारे में लिखा है कि कैसे अपने पढ़े-लिखे होने की ऐंठ में अपनी मां का ख्याल न रख सके। सो जिक्र होगा कविताजी! होगा। हम तो चाहते हैं आप भी चर्चाकार मंडली में आयें। महिलाओं की भागेदारी बढ़ायें।

फ़िलहाल इत्ता ही।

अब कल मिलियेगा मसिजीवी परिवार के सदस्य से।

अब सोते हैं। आप भी टिपिया-विपिया के सो जाइये।

अगर नींद न आ रही हो तो गाना गाइये और दूसरों को जगाइये- अभी सो नहीं जाना अभी मेरी कहानी चल रही है।

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19 टिप्‍पणियां:

  1. अरे.. पांच से पैंतिस तक कि एक लाईना कहां गई? हम तो हमेशा उसी में अपना नाम देखकर खुश हो लिया करते हैं.. आज वह भी नसीब नहीं हुआ.. :(

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  2. अनूप जी! हम भी खुश होने को तरस रहे हैं,किसी भी लाईन में कई दिन से तलाश जारी है। नदारद।

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  3. यह इवनिंग एडीशन ठीक है। काम अधिक हो तो शिफ्टें ठीक हैं।

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  4. अच्छा था, शार्ट ऐंड स्वीट :-) इस पर हँसे बिना नहीं रहा गया-

    रिश्ता जोड़ोगे- जोड़ना तो चाहते हैं लेकिन तुम्हारे दोस्त बहुत हैं सन्नाटा, रेत,गम, नदी, नींद ...कैसे निभेगा?

    हा हा

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  5. ख़ूब खोदते हैं अनूप भाई चिट्ठा जगत की सड़कों पर गड्ढे, कुछ तो बच के निकल जाते हैं और कुछ बेचारे फँस जाते हैं। क्या कहें?

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  6. हमेशा की तरह बहुत उम्दा...क्या लिखते हो भाई!!! चिट्ठा चर्चा आपका पर्सनल ब्लॉग होना चाहिये!!यह मेरी तहे दिल से इच्छा है.

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  7. समीरजी की छुट्टी का तो हमें पहले से ही पता था, लगे हाथ ये भी बता दें कि हम भी पूरा दिसम्बर गायब रहेंगे इसलिये शनिवार की कमान संभालने के लिये फिर से तैयार हो जायें। तब तक ३-४ हफ्ते की शनिवार की चाय को स्वाद ले ले कर पीजिये।

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  8. " अपनी बात अगर आपको दूसरों तक पहुंचानी है तो उसका सलीका भी सीखना होगा। आपकी बात सही है केवल इतने मात्र से आपकी बात दूसरे के कलेजे में नहीं उतर जायेगी। आपकी प्रस्तुति , आपकी मंशा और आपका लोगों के साथ व्यवहार कैसा है इस पर आपकी बात की संप्रेषणीयता निर्भर करती है।"
    बजा फरमाया अनूप जी आपने ,सौ फीसदी सहमति !

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  9. एक लाइना हमेशा की तरह बहुत बढ़िया लगी

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  10. समीरलाल जी की गलतफैमिलियाँ दूर करने का आभार ! (अब ये रिप्लाई मत पूछ लेना कि लडका पैदा हुआ शर्माजी के घर तो मिठाई वर्माजी क्यों बाँट रहे हैं ?) आज आपने अपनी कातिल अदा का राज इशारों में बता ही दिया . आप दर असल सभी ब्लॉगर भाइयों/भाभियों के कलेजे में उतरना चाहते हैं . आप तो पहले से ही उतरे हुए हैं .

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  11. दिन पर दिन शबाब पर है चिठ्ठा चर्चा ! शुभकामनाएं !

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  12. sameer ji se danke ki chot par sahmat.. chittha charcha ko aapka personal blog hona hi chhaiye..

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  13. झकास है भाई इन दिनों चिटठा चर्चा ,साल के अंत तक लगता है बेस्ट एंकर की तरह इस साल के पुरूस्कार की होड़ में अपने अनूप जी है ,सुबह सुबह उठकर उंघते उंघते चाय पीते हुए (ऐसा अंदाजा है )सब चिट्ठो को पढ़ना .....अक्षर दर अक्षर .देसी विदेसी ....कविता .भजन ...किस्म किस्म के फलसफे .....हिम्मत है भाई

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  14. करवा चौथ पर यह सत्य घटना सुनाए बिना नहीं रहा जाता.

    रेखा (मेरी बीवी) से उसकी एक सहकर्मी ने पूछा - तुम करवा चौथ का व्रत नहीं रखतीं?

    रेखा ने प्रत्युत्तर दिया - तुम लोग तो एक ही दिन व्रत रखती हो, मैं तो रोज करवा चौथ रखती हूं. रोज. बारों मास, तीसों दिन.

    क्या मतलब? सामने वाले ने आश्चर्य से पूछा.

    अरे, तुम लोग सिर्फ साल में एक दिन चांद देख कर व्रत तोड़ते और खाना खाते हो. मैं तो रोज, उठते बैठते, सुबह शाम चांद देखकर ही खाना पीना समेत तमाम काम करती हूं. रेखा ने बताया

    ऐसा कैसे बोल रही हो तुम? ऐसा हो ही नहीं सकता. सामने से प्रतिरोध हुआ.

    रेखा ने स्पष्ट किया : अरे, ऐसा कैसे नहीं हो सकता. मैं अपने पति के सिर के चांद की बात कर रही हूं. मेरे लिए वही असली चांद है. :)

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  15. धत तरे की रोज़ ही उल्टा हो रहा है... परसों इंग्लिश चैनल के पार की जगह हम यहाँ जग रहे थे और कल टिपियाने के पाहिले ही सो गए !

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  16. शाम तक की कुछ गुफ्तगू भेज रहा हूँ ....जो सुनाई दी ................


    सचिन ने तोडा लारा का रिकॉर्ड -सेंसेक्स का ओर टूटना बाकी
    हमारे देश में सबसे ज्यादा क्या पसंद किया जाता है -लाल बेलबोटम ओर सुकडू का ठुकडू
    मै इबादत करूँ या मोहब्बत करूँ =श्री लाल कृषण अडवानी का वक्तव्य
    अथ श्री बन्दर कथा =करवा चौथ पर विशेष
    रात को अलाव में काटा है =अब कहाँ से आएगी बिजली
    देखि है कही ऐसी मूंछे =उपहार जिसे अमेरिका लेने में हिचकता रहा
    हाँ जी इन दिनों हम प्यार में है =एक कवियेत्री की फितरत
    अब किराए पर ले पति की सेवाये =देख लो खवाब पर चर्चा न करो
    आज फ़िर ....रुपये की हालत ख़राब
    गिरते गिरते =करवा चौथ की बधाई
    हंस के संपादक राजेंदर यादव के नाम खुला पत्र=आख़िर क्यों हर महिला असुरक्षित सी है
    यदि आपको अपने कम्पूटर से दूर रहना हो तो =अपना ब्लॉग ,कम्पूटर ,वेब-पेज ,डेस्कटॉप सवाँरे

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  17. अब जब चर्चा का ईवनिंग एडीशन अलग से है तो टिप्पणी का भी ईवनिंग एडीशन -

    अनूप जी का आदेश सिर माथे। न्यौते की चिट्ठी आप ही लिखेंगे। पर समीर जी के सुझाव पर अमल की प्रक्रिया शुरु होनी चाहिए,हमारा भी वोट समीर जी के साथ।

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  18. साँझ ढल गयी, चाँद निकसि आवा,
    आपकी आरती भी उतारी जा चुकी होगी,
    आपके पति-परमेश्वर होने का लाइसेंस भी
    लिव-इन-रिलेशनशिप वाले चाँद ने रिन्यू
    कर दिया ! अब चर्चा तो ठेलो, चन्द्रमुखी
    से कबतक बिंधे रहोगे, शुक्ल अनूप जी ?

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  19. उडन तश्तरी से सहमति। यह अनूप शुक्ल का ब्लॉग होना चाहिये और कोई अन्य सदस्य नहीं!

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चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

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