गुरुवार, अक्तूबर 02, 2008

हम बुलबुल मस्त बहारों की, हम बात तुम्हारी क्यों मानें ?

गांधी दिवस


आज गांधी-शास्त्री जयन्ती है। ईद भी। नवरात्र चल ही रहे हैं। आप सभी को मुबारकबाद।

दिन के हिसाब से आज की पोस्टों पर गांधीजी और ईद का प्रभाव है।

विजय गौड़ गांधीवादियों के किस्से सुनाते हैं|समीरलाल केला खाकर सो गये बोले भैया अब चर्चा करो। सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी कहते हैं-गान्धीजी नहीं हैं… अच्छा है। अविनाश वाचस्पति गांधीगिरी पर मोबाइलिया व्यंग्य लिखते हैं| अंबरीश कुमार गांधी के गांव में एक दिन गुजारते हैं। सतीश पंचम गांधी जयंती पर माइक्रो हो लेते हैं। कबाड़खाना पर सिद्धेश्वर ने गीत पेश किया चरखवा चालू रहे|इस पोस्ट में उनकी बिटिया हिमानी का बनाया स्केच भी है। देखियेगा। मास्टरजी गांधीजी पर पुनर्विचार करने को कह रहे हैं। राजेंद्र त्यागी के यहां तो गांधी जी ने आत्महत्या कर ली। कृष्ण कुमार यादव महात्मा गांधी को समग्र विश्वधारा में देखते हैं।
नीरज गांधीजी का पत्र जो उन्होंने लिखा था जवाहरलाल नेहरू को पेश करते हैं। डा. साहब को गांधीजी उदास दिखे। धीरू सिंह चित्रमय श्रद्दांजलि दे रहे हैं।
भूपेन्द्र का कहना है कि गांधीजी महान थे लेकिन सफ़ल नहीं! धरोहर युवा सत्याग्रही कि श्रद्धांजलि देते हैं।

गांधी जयन्ती के मौके पर तरकश टीम ने भी उनके ऊपर सामग्री प्रकाशित की है। इसमें गांधी जी का वंश वृक्ष है, उनके ऊपर डाक टिकट हैं और गांधीजी से जुड़ी रोचक जानकारियां हैं।

ईद पर मुबारकबाद देने वालों में शीर खुर्मा, दही बड़ा के साथचाणक्य है। मास्टर साहब हैं। सुरेश चंद्र गुप्त तो ऐसे ईद मुबारक, ईद मुबारक, ईद मुबारक कह रहे हैं जैसे तलाक,तलाक, तलाक कहता है ऊ कौन सी पिक्चर में हीरो? ईद के मौके पर प्रेमचंद की कहानी पढ़वा रहीं हैं डा.कविता वाचक्नवी। इस मौके पर नूर का दरिया बहा देते हैं। हैदराबादी मुबारकबाद देते हैं| युनुस इस मुबारक मौके पर साहिर का नगमा सुनवाते हैं।

दुर्गापूजा के मौके पर मानसी बंगला में दुर्गावंदना सुनवाती हैं।

सौम्या विश्वनाथन पत्रकार थी। खबर बनाती थी अब खुद खबर बन गयीं। सौदामिनी अपनी सहेली के बारे में लिखती हैं- वो बार-बार आती रही मेरे ख्यालों में...| इस मौके पर ॠषि कुमार सिंह सौम्या को सलाम करते हैं।

अगर आप डा.प्रवीन चोपड़ा का ब्लाग न पढ़ते हों तो फ़ौरन से पेशतर पढ़ने लगिये। कैसे रहें फ़िट श्रंखला के तहत आम बीमारियों की सहज सरल भाषा में जानकारी देते रह्ते हैं। आज उन्होंने बताया कैसे रहेंगे गुर्दे एक दम फिट !!:
गुर्दे की क्रानिक बीमारी के लगभग दस हज़ार मरीज़ों की एक स्टडी से पाया गया है कि लगभग इन में से 30 प्रतिशत केसों में डायबीटीज़ इस गुर्दे रोग का कारण होती है, अन्य 10 प्रतिशत केसों में हाई-ब्लड-प्रैशर की वजह से गुर्दे की बीमारी को देखा गया। इसी तरह से किडनी में पत्थरी की वजह से भी गुर्दे की बीमारी देखी गई है........सार के रूप में हमें वहां यही बताया गया कि गुर्दे की क्रॉनिक बीमारी के जितने भी कारण हैं उन में से लगभग 75प्रतिशत कारण ऐसे हैं जिन के बारे में हम कुछ न कुछ अवश्य कर सकते हैं ताकि गुर्दे की इस बीमारी से बचा जा सके।

कहने का भाव यह है कि अगर हम लोग मरीज के हाई-ब्लड-प्रैशर एवं उस की डायबीटीज़ को कंट्रोल में रखें तो हम गुर्दे की सेहत को काफ़ी हद तक बरकरार रख सकते हैं।


एक लाइना



  1. गांधी गांव में एक दिन : और एक रात किधर?


  2. सूटेड बूटेड गृहमंत्री जब गाँधीजी को फूल अर्पित करेंगे। :तब देखेंगे उनका दर्जी कौन है?


  3. चरखवा चालू रहै ! : आजादी का सूत कतत रहै


  4. गाँधी जी के पद चिन्हों पर चल:सबको धकिया के, पटकके आगे निकल


  5. दुखवा का से कहूं री ? : कह तो दिया अब भी कुछ बचा है क्या री?


  6. अफलातून का व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई : अरे, कामिक है भाई!


  7. एक कंदील की हो गई रहजनी :थाने में रपट लिखाये से कुछ बात बनी?


  8. देखिये तस्वीर क्या कहती है!!! : यही कि प्रेम-पोस्टर अंग्रेजी में है


  9. इच्छाएं तो अग्नि की तरह बढ़ती हैं: इसलिये हर मन को अपना फ़ायर ब्रिगेड रखना चाहिये


  10. आओ जाने सीखें ब्लोगर टेंपलेट - अंतिम भाग: वर्डप्रेस पर खड़े होकर ब्लागर की कहानी सुनाते हो निठल्ले!


  11. मेरे चमन को लगी ये किसकी नजर : आ मेरे प्यार चमन तेरी नजर उतार दूं


  12. मैं कहती आंखन देखी : सुन रहे हैं न!


  13. हिटलर की प्रेमिका ने भूतनाथ को सुनाई अपनी दास्ताँ !: भूतनी के भूतनाथ ने उसको भूतनी डार्लिंग कह कर राग फ़ैलाना शुरू किया


  14. भारत की परमाणु यात्रा : धमाकेदार है


  15. Adsense Earnings and चिट्ठाकारी का उत्साह: में तलाक


  16. गांधी ने आत्महत्या कर ली! :पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेश है


  17. गांधीजी का पत्र: जवाहरलाल के नाम


  18. समर्पण को समर्पण: जो है सो आपको अर्पण


  19. कुली के कुल की पहचान :कब से बोझा ढो रहे हैं


  20. डार्विन, मार्क्स और स्त्री मुक्ति:पर एक नजर मार लें


  21. डूबता संसेक्स, मरता निवेशक ? : दाह संस्कार की जिम्मेदारी जनता पर


  22. हिन्दी Blogging और इसका हाल: बेहाल है


  23. कविता से लेख तक का सफर : पूरा करके अब नायक फ़िर कविता पर हाथ साफ़ करेगा


  24. मेरी फोटोग्राफी : मनमोहक च सम्मोहक है

  25. जड़ी-बूटियों का गीत :गाओ,ताकत और यौवन पाओ


  26. मुझे कुछ नहीं कहना.... :लेकिन हम तो सुनके रहेंगे


  27. क्या होगा अतुल्य भारत का? :वही होगा जो मंजूरे बलात्कारी होगा


  28. कौन????? : बूझो तो जानें


  29. वक्त ने उनको मोहतरमा बना दिया : तो क्या वक्त पर मुकदमा ठोंक दें


  30. बेतकुल्लफ़ी का शहर :्नुक्ताचीनी नाम ऐसे ही थोड़े है


  31. एक और थुक्कम फ़जीहत :ेक और थूकदान रखवाओ


  32. पॉलिथीन के इस्तेमाल पर ५ साल तक की कैद संभव : मतलब पालीथीन अपनाइये , पांच साल मुफ़्त रहिये खाइये


  33. माय हिंडी इज रियली बैड : आय नो, आय नो बट यू कीप यूजिंग ईट


  34. जो गए थे देखने तेरा चेहरा:वो आंख भर के लौट आये


  35. बम-शम तो अब फटते रहते हैं : हम फ़टेंगे तब देखी जायेगी


  36. स्मृति-शून्यता के बीच जो याद रह पाया.. :वो यहां ठेल दिया


  37. देवल आशीष - एक सौम्य, प्रतिभावान और सशक्त कवि - देखिये, पढिये और सुनिए : आपको लगेगा कि आप तीन काम एक साथ कर सकते हैं


  38. आप भी अजीब हैं: क्यूँ मेरे करीब हैं? दूर हटिये कोई देख लेगा तो टिप्पणी कर देगा!


  39. हम बुलबुल मस्त बहारों की, हम बात तुम्हारी क्यों मानें ? : हम धूल उड़ा दें दुनिया की हम बात तुम्हारी क्यों मानें ?


  40. गांधी जी के कलयुगी बन्दर :ससुर पीछा नहीं छो़ड़ते


  41. खिड़की के पास वाला पेड़ : आज ब्लाग पर आ गया


  42. स्वास्थ्यवर्धक भोजन इधर है,आइए और पाइए:आप ग्रहण करें हमारा आज उपवास है


  43. सबकी समझ अपनी अपनी होती है : गौतम बुद्ध : लेकिन सब समझते हैं कि समझ केवल उनकी ही है


  44. शाहदत और मॉडलिंग के बीच फर्क : हां मेले और शापिंग माल का फ़र्क है।


  45. मंदिरों मे भगदढ जिम्मेदारी किसकी : क्या इसमें माया की भी कुछ साजिश है?


  46. तू कितनी अच्छी है: तू कितनी प्यारी है


  47. ले जाये किसको कब ये मुक़द्दर कहाँ-कहाँ ? : मोबाइल धर के साथ में बतियायें, रहें चाहे जहां


  48. जिन्हें चलना सिखाया, उन्हीं ने मारी ठोकर : यही हो रहा है आज , जोर से तो नहीं लगी?


  49. नुक्कड़ पर भाई चारा :आंगन में जूतालात


  50. भूत प्रेत और अलोकिक शक्तियां : ब्लाग पर कब्जे की फ़िराक में


  51. बधाई धूम्रपान निषेध पर:काश हम भी छोड़ पाते पीना


  52. अब रामदेव की संजीवनी पर सवाल: सवाल तो उठेंगे ही संजीवनी पर


  53. ज़िंदगी का पीछा करते हादसे : राह भूल जायेंगे कोई मेरे साथ चले तो सही


  54. बोतल में बन्द चिट्ठी .. :अरे ई त प्रत्यक्षा जी हैं


  55. गांधीजी महान थे लेकिन सफ़ल नहीं: मरने के बाद इम्तहान लोगे त कौन पास होगा?


  56. भगवान् का एड्रेस / आबादी के लिए रेल दोषी: सीटी बजाओ आबादी बढ़ाओ


  57. एक अलग से नौकर रख लो : जो ब्लागर भी हो


  58. एक दिन खुशी मुझसे बोली : तू घर मेरे क्यों नहीं आता है


  59. क्या इसी भारत पर गर्व है आपको?: गर्व करने के लिये दूसरा भारत कहां से लायें?


  60. यूँ ही कुछ लिख दिया है सड़क के विषय में. : हम भी तो यूं ही पढ़ ही रहे हैं


  61. बिल्लियों के गिरने के पीछे का विज्ञान : अगली पोस्ट में पढ़ाया जायेगा


  62. वनराज भाटिया के गीत , स्वाति के लिए : हमारे लिये भी पोस्ट करते भाई


  63. गुड गुड गोते खाती अर्थ-व्यवस्था : को ताऊ ने फ़ड़ फ़ड़ करके पेश कर दिया


  64. जाने वो पल कहाँ खो गए:खोजो वहीं कहीं मिलेगें


  65. आप अनोनामसली टिप्पणी क्यो करते थे? :ऐसे ही मन करता था तो करते थे। आपको कोई तकलीफ़?


  66. बेवकूफ जनता :आपसे ही कह रहे हैं जी


  67. बोतल में बन्द चिट्ठी .. : सदियों तक सुरक्षित रहती है


  68. बापू, कमीनों ने होर्डिंग की तरह चौक-चौराहों पर लटका दिया है आपको: हम सब देख के आये हैं। कुछ कर नहीं पाये सो ये पोस्ट लिख रहे हैं।


  69. कभी किताबों मैं फूल रखना कभी दरख्तों पे नाम लिखना, : अच्छा है इससे लिखने पढ़ने की आदत बनी रहती है



  70. ‘आप उसे फोन करें’: बद्री नारायण : बोलेगें हलू! बशर्ते फ़ोन खाली हो उनका


  71. ये दो कौड़ी का भारत....! - प्रीतीश नंदी :को कित्ती कौड़ी का चाहिये?


  72. आसपास : किताबें होंगी तो उनके पढ़ने का जतन भी निकलेगा।


  73. मयखाने में मारुती : नशे में टुन्न


  74. वक्त के साथ अक्षर गहरे हुए या फीके ....... ये वक्त जाने :हमें तो पोस्ट लिखने से मतलब


  75. सुनो!! हम अब जाग गये है!!: यहां यही कहकर सोते रहते हैं लोग


  76. बोरियत जो न कराये:ऐसी ऐसी बोर पोस्ट पढ़वाये



मेरी पसन्द


गांधी दिवस हिमानी की पेंटिंग

गांधी बाबा दुलहा बने हैं
दुलहिन बनी सरकार
चरखवा चालू रहै !

वीर जवाहर बने सहबाला
अर्विन बने नेवतार
चरखवा चालू रहै !

वालंटियर सब बने बराती
जेलर बने वाजंदार
चरखवा चालू रहै !

दुलहा गांधी जेवन बैठे
देजै में मांगें स्वराज
चरखवा चालू रहै !

लार्ड विलिंगटन दौरत आए
जीजा , गौने में दीबो स्वराज
चरखवा चालू रहै !


गीत नरेशचंद्र चतुर्वेदी द्वारा संपादित पुस्तक 'आजादी के तराने' से साभार कबाड़खाना’। यह स्केच कबाड़खाना के लेखक सिद्धेश्वरजी की बिटिया हिमानी ने बनाया है।

और अंत में



  • आज सबेरे ऐंड़ियाते हुये उठे। सोचा देखें कि समीरलाल ने क्या गुल खिलायें हैं। तो देखा कि उनकी छुट्टी की दरखास्त लगी थी। केला ज्यादा खा गये तो आलस्य ने गिरफ़्तार कर लिया होगा। बहाना पत्नी सेवा का बनाया। बताओ भला कहीं ऐसा होता है? आपको झेलाने के लिये फ़िर हमको आना पड़ा।


  • जिन साथियों ने कभी तद्भव पत्रिका न पढी हो उनको मेरी सलाह है कि वे इसके नियमित ग्राहक बन जायें। कथाकार अखिलेश के सम्पादन में इस निकलने वाली बेहतरीन पत्रिका है यह। इसके पिछले अंक में प्रत्यक्षा की कहानी छपी है- फूलपुर की फुलवरिया मिसराइन ।बांचिये। बम-बम कहानी है।

    नये अंक में प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह और कथाकार सम्पादक राजेंन्द्र यादव की सात घंटे हुई बातचीत के अंश दिये हैं। मजेदार है। नामवरजी एकदम मास्टरों की तरह राजेंन्द्र यादव की क्लास लेते हैं। पहले ये बताओ, पहले वो बताओ , ८० की बात करो, ६५ पर आओ , लम्बी छलांग न लगाओ। जिस चीज को राजेन्द्र यादव निराश होकर देखते हैं उसको नामवर कहते हैं यही तो उसका धनात्मक बिन्दु है कि संवेदना बची है।
    बातचीत का एक अंश यहां पेश है:
    राजेन्द्र यादव: प्रतिरोध के एलीमेंट कहां दिखाई पड़ते हैं? कौन लोग कर रहे हैं?
    नामवर सिंह: बिखरे हुये हैं, इकट्ठा थोड़े ही दिखाई पडेंगे।
    राजेन्द्र यादव: कौन जैसे?
    नामवर सिंह:जिस लोकेलटी में होता है वहां जबाब देने वाले खड़े हो जाते हैं। नेता नहीं है पर लीडरलेस असंतोष है, इसी के बीच से कुछ निकलेगा। ये प्रतिरोध , स्थान-स्थान पर, जहां ऐसी कोई घटना होती है वहां दिखाई पड़ता है। असंतोष बढ़ रहा है। ये विरोध का स्वर धीरे धीरे उम्मीद है कि जोर पकडे़गा।
    राजेन्द्र यादव: लेकिन रोशनी नहीं दिखाई देती।
    नामवर सिंह:रोशनी अपने ही अंदर से पैदा करनी चाहिये।


    और भी बहुत कुछ है इस किताब में जो आपको अच्छा लगेगा।


  • मनोहर श्याम जोशी का एक लेख है- ये में ले, ओ मे ले, ओ हू मे ले ज्ञानजी कीकल की पोस्ट ये एकदम फ़िट बैठता है। वे नैनो भी चलाना चाहते हैं, जंबो भी। छोटी पोस्ट भी उनका दिल चुराती है, फ़ुरसतिया पर भी मन आता है और इसी चहल-पहल में उनकी एक ठो पोस्ट बन जाती है। लगे रहें, हम तो हैं ही मौज लेने के लिये।


  • टीवी वालों को भी सगूफ़े छोड़ने की आदत होती है। सरकारी दफ़्तरों में भ्रष्टाचार बढ़ने की खबर बताकर सर्वे किया जा रहा है कि बताओ महात्मा गांधी की फ़ोटॊ सरकारी दफ़्तरों में लगनी चाहिये कि नहीं। पता नहीं टी.वी. वालों ने देखा कि नहीं कल मैंने एक सिनेमा हाल में देखा कि राष्ट्रगीत गाया जा रहा था लता जी और आशा भोसलेजी द्वारा उसे वे एक-दूसरे को देखते हुये मुस्कराते हुये हिलते-डुलते, कुछ -कुछ इठलाते हुये गा रहीं थीं। ये मेरी जानकारी में सही नहीं है। इन टीवी वालों को वो दिख जाये तो बड़ी बात नहीं ये राष्ट्रगीत जो ही बैन कराने के लिये सर्वे करने लगें।


  • फ़िलहाल इत्ता ही। आप सबको आजका दिन मुबारक। नये साथियों का जिक्र आज फ़िर छूट गया। लेकिन वो होगा। होता रहेगा।
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    16 टिप्‍पणियां:

    1. मेरा तो आज ज्यादा मूड नहीं है। इस लिए बस ये कहना है: (आज की ही बनायी हुई एक दम ताजी हैं)

      ले झाँक गि़रेबाँ ऐ कातिल, रमजान भी जाने वाला है।
      बापू शास्त्री का दिवस मना पड़ चुकी गले में माला है॥

      मज़हब को क्यूँ बदनाम करे, खेले क्यूँ खूनी खेल अरे।
      आँगन में मस्जिद एक ओर, तो दूजी ओर शिवाला है॥

      क्यों हाथ कटार लिया तूने,क्यों कर तेरे हाथ में भाला है?
      कहाँ पाक-कुरान को छोड़ दिया,कहाँ तेरी वो जाप की माला है?

      जब आज नमाज अता करना,या गंगाजी से जल भरना।
      तो ऊपर देख लिया करना, बस एक वही रखवाला है॥

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    2. क्या इसी भारत पर गर्व है आपको?: गर्व करने के लिये दूसरा भारत कहां से लायें?


      एक लाइना मस्त है.. पढ़के मज़ा आ गया.. धंसु चर्चाओ की कड़ी में एक और अध्याय जुड़ गया..

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    3. मस्त चर्चा ! शायद एक लाइना आज मेराथान हैं ! बधाई !

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    4. बेहतरीन रही आज की चिठ्ठा चर्चा ! शुभकामनाएं !

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    5. अनूप जी आपकी एक लाइना मुझे हर बार ही अच्छी लगती है।
      इस बार चिट्ठा चर्चा गांधी जी की थी शास्त्री जी की चर्चा नहीं हुई। जन्मदिन तो दोनो का है भई।

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    6. अनूप भाई ! बहुत अच्छा लगा ! धन्यवाद !

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    7. गांधी दिवस पर लोगों के पोस्ट पर अच्छा व्यंग्य किया है। एक लाईना भी बहुत अच्छा लगा ।

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    8. लगे हाथो हंस भी झाँक लेते जहाँ अपने राजेन्द्र यादव आठ पन्नो में सम्पादकीय लिख गये ओर अपनी सारी कसर निकाल गये ओर जहाँ वे लिखे ओर स्त्रियों का जिक्र न हो ओर भाजपा का ..ऐसा मुश्किल है ...


      एक लाइना सदा की तरह लाजवाब

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    9. चर्चा काफी विस्तार से और काफी बढ़िया भी रही। पूरी विस्तृत चर्चा थी। माना हर रोज ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती पर...। मेरा चमन तो हाजिर है हमेशा कि आप नजर उतार दें। एक शिकायत साथ में शास्त्री जी को भी एक लाइन में याद कर लेते तो अच्छा था।

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    10. वैष्णव जन तो ते ने कहिए....

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    11. शुभ दिवस की बधाई एवं शुभकामनाऐं.

      बहुत आभार इस चर्चा के लिए. आनन्द आ गया. जारी रहें अनूप जी!!

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    12. yesterday u took your heading from satish saxenas poem , a reply has been posted for this poem on naari kavita blog , and you should write in your next charcha about it and also try to balance the views of your charcha which always in tilt in favour of bloggers who make fun of wife and woman in general . keep in mind please that its high time we understood that bloging is not just a tool to make fun of woman on line and not just few indians but many other blogers read us . we are projecting a very bad image about our views on woman and on wife in general . you all want to promote hindi fine but what you are proijecting is just not charcha but ridiculing woman is a maater of enjoyment for bloggers .
      serving crude jokes woman in pretext of poems and "haasya" is very pathetic and if you iscuss those then discuss the blogs where such voices are questioned

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    13. बापू पर कल बहुत ठेला लोगों ने। यह अच्छा लगा। सभी उन्हें प्रासंगिक या पोस्ट ठेलने योग्य मानते हैं।
      बापू को नमन।

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