लेपटोप पर संजाल का संचार हो रहा था, धृतराष्ट्र की निजी सचिव ने कक्ष में प्रवेश किया तथा उन्हे कोफि का मग दिया और संजय के आगे दुसरा मग पटक कर चलती बनी. संजय अविचलीत स्क्रिन पर नजरें गडाये रहे.
संजय : महाराज लगता है हमें दिपावली पर होने वाली छूट्टीयों का नाम बदलना पड़ेगा.
धृतराष्ट्र : क्यों भला?
संजय : क्षितिज कुलश्रेष्ठ के अनुसार यह पोलिटिकली करेक्सन का मामला है, जब सब जगह यह हो रहा है, तो हम कब तक इस कथित धार्मिक-सद्भावना के संक्रमण से बच सकते हैं?
पोलिटिकल संक्रमण से दूर सुनिलजी जो कह ना सके ऐसे रोग के संक्रमण के बारे में बता रहे हैं. ये थोड़े असमंजस्य में है, क्या कोई संक्रमित व्यक्ति नींद में यौन-सम्बन्ध स्थापित कर सकता है या यह दवा विक्रेताओं द्वारा फैलाया जा रहा कोई वहमनुमा रोग है?
धृतराष्ट्र : नई-नई बाते जानने को मिल रही हैं.
संजय : नई चीजे लुभाती भी तो हैं, महाराज. अब देखिये पंकजभाई को ट्वेंटी-20 क्रिकेट भा गया तो एयरटेल पर नई-नई शुरू हुई गूगल सेवा से कौलजी रोमांचीत हैं. इधर तरकश पर ई-शिक्षक एक और नया उपयोगी पाठ लेकर हाजिर हुए हैं. तो अच्छी चीजों के बारे में बताते बताते मनिषाजी बता रहीं हैं शहरों को नया रंग-रूप देने की नई योजनाओं के बारे में. वहीं भूवनेशजी ने शवयात्राओं और तेरहवियों के अब तक के अनुभव के बाद एक नया विचार क्या रखा, पण्डित लोग लाठीयाँ लिए उन्हे खोज रहे हैं.
महाराज आज आपकी कोफी भी नए कप में आई है.
धृतराष्ट्र : (हँसते हुए) सही कहा, मैने तो ध्यान ही नहीं दिया था. और भी कुछ नया है क्या?
संजय : है ना महाराज, नाकामी का नया बहाना देसी टून्ज़ वालो ने खोज लिया है.
और भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के कारणो में एक नया कारण सामने ला रहे हैं जोगलिखी.
ऐसे में रा.च.मिश्राजी भला कैसे पीछे रहते, वे बता रहें हैं परदेश के देश में दो और देश की नई जानकारी. वहीं एक और नई कथा पढ़ सकते हैं सुखसागर में.
धृतराष्ट्र : हे प्रभू, और भी कुछ नया शेष है क्या?
संजय : है ना महाराज. आपके लिए कोफी भरा एक और नया कप तथा ब्लोग को लोकप्रिय बनाने के नए नुस्खे.
आप इन्हे आजमाईये. मैं होता हूँ लोग-आउट.
आपको जब भी बीमार पड़ना है, रहिये बस बुधवार को छुट्टी न मांगे!! :)
जवाब देंहटाएंहमारी कोशिश रहेगी कि दरबार में हाजर होते रहें. कम से कम एक टिप्पणी मिलती रहेगी तो नियमीतता भी बनी रहेगी. :)
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