धृतराष्ट्र : कहो संजय आज कौन-क्या-कहाँ लिख रहा है? और यह हाथ उठाये कौन खड़ा है?
संजय : महाराज, इन्ही से शुरू करते हैं, ये लाल्टूजी हैं जो एक खबर लाएं हैं की उच्चतम न्यायालय ने राय दी है कि नग्नता अपने आप में अश्लील नहीं है।
धृतराष्ट्र : सही फरमाया.
संजय : पर महाराज सिन्हाजी के साथ सही नहीं हो रहा है, अमेरीका से वतन लौटे सिन्हाजी को पग-पग पर अफसरशाही याद दिला रही है की यह भारत है, लगता है अपनी पत्नि तथा बेटे की बात मान लेते तो अच्छा था.
निराश न हो यहाँ भी समय के साथ बदलाव आ रहा है. सरकारी शिकंजे से मुक्ति मिल रही है. थोरियम यूग में छा जाएगा भारत ऐसा मानना है हिन्दी ब्लोगर का.
धृतराष्ट्र : यह तो खुशी की बात है.
संजय : खुशी तो शशि सिन्हजी भी मना रहे है. आठवीं सूची में भोजपुरी का शामिल होना तय जो लग रहा है. खुशी के मारे सोहर गीत सुना रहें हैं.
जागो ‘आन-बान-शान’ की हांकने वालो.
इधर अमित भी खुश लग रहे हैं. वर्डप्रेस का नया चहरा उन्हे भा गया है.
खुश तो आज बिग-बोस के ‘हिन्दी बोलते सैलिब्रिटी’ कैदी भी होने वाले हैं जब जॉन होंगे उनके मेहमान.
यह बात और है कि मीडिया अभी अंग्रेजी यूग से बाहर नहीं आ पाया है.
धृतराष्ट्र : तुम चुटकी ले रहे हो संजय, यह बताओ इन खुशीयों के बीच कवि कैसे मौन हैं?
संजय : नहीं महाराज, खुब कविताओं के पाठ हो रहे हैं. शादी-ब्याह का काल चल ही रहा है, ऐसे में गिरिराजजी ले कर आएं हैं दुल्हन हाईकु.
रंजूजी कह रही है तुझ से है मेरे जीवन का उजाला, फिर बात पलटते हुए कहती हैं, प्यार में बस आँसू और तनहाई आती है. दिल की मत सुना करो....
इधर मनिषजी डुबते सूर्य के साथ मरते आदमी की तुलना कर रहे हैं.
धृतराष्ट्र ने पहलु बदलते हुए कोफी का घूँट भरा.
संजय : कथासागर में आज कथा नहीं कुछ और हैं. क्या है? खुद ही देख ले.
और महाराज श्रीशजी के हरयाणवी चुटकुले पर हँसीये या फिर प्रभातजी से मुल्ला नसरूद्दीन का किस्सा सुन कर टहाका लगाईये. मैं होता हूँ लोग-आउट.
कौन ब्रांड की काफी चलती है यहां?
जवाब देंहटाएंमध्यान्हचर्चा प्रायोजित करवानी है क्या? :D
जवाब देंहटाएंकृपया इसे अन्यथा न लें लेकिन कोफी नहीं कॉफी तथा लोग आउट नहीं लॉग आउट लिखा जाना चाहिए।
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