सभी पाठकों को तुषार जोशी कि तरफ से नमस्कार। सब कि देखादेखी हम भी मराठी चिठ्ठों की चर्चा करने आज प्रस्तुत हो गए है। सब कि तरह बढ़िया लिख पाएंगे या नही इस बात पर शंका है, मगर कहीं से तो शुरुआत करनी ही होगी, और आप पाठक गण छोटी मोटी गलतियों को नज़र अंदाज कर देंगे इस बात का विश्वास है।
चिठ्ठा जगत डिस्कव्हरी चेनल से भी तेज है। हमें रोज़ नये नये तथ्यों से अवगत कराता है। एक ओर हँसाता है मनोरंजन तो करता ही है और दुसरी ओर ज्ञान वृद्धी भी करता है। कृष्णाकाठ अपने चिठ्ठे मे वो घाट दिखा रहे हैं जहा "स्वदेस" सिनेमा का चरणपुर फिल्माया गया था। वो बताते हैं उस गाँव का नाम "मेणवली" है और कृष्णा नदी वहाँ से बहती है।
या गावाचे खरे नाव “मेणवली”. वाई पासून धोम धरणाकडे जायला लागले की अवघ्या ४-५ कि. मी. वर मेणवली लागते, अगदी छोटेसे टुमदार गाव. नाना फडणीसांनी १८व्या शतकात इथे एक मोठा वाडा, घाट आणि मेणेश्वराचे व विष्णुचे मंदिर बांधले. एका बाजुला खंबीरपणे उभा असलेला पांडवगड तर दुसऱ्या बजुला पाचगणीला घेऊन जाणारा पासरणीच्या घाटाचा रस्ता, आणि त्या दोघांमधून वाहणारी कृष्णा नदी. कृष्णेवर बांधलेला हा घाट पाहिला की मेणवलीच्या प्रेमातच पडायला होते. त्यातच इथली शांतता आणि निवांतपणा मनाला अजुनच भावतो.
आप जितना वैयक्तिक सोचते जाते है वो उतना ही वैश्विक होता जाता है। पराग जी अपना समाचार पढ़ने पर व्यथित हुआ मन बता रहें है बर्निंग ट्रेन में| पुरानी यादों को ताज़ा कर रहे है अत्यानंद साहब अपने "ते रम्य दिवस" प्रविष्ठी में।
सुभाष डिके भाई कहते है कि कोई पढ़ने वाला हो तो चिठ्ठा लिखने का अपना ही मज़ा है। आज वो मंगेश पाडगाँवकर जी कि "चिउताई" कविता प्रस्तुत कर रहे हैं।
प्रत्येकाच्या आत एक
फुलणारं फुल असतं ;
प्रत्येकाच्या आत एक
खेळणारं मुल असतं !
निलेश गद्रे जी बारिष की यादें ताज़ा कर रहे हैं। प्रसाद शिरगाँवकर अपनी साईट पर सरलता से जिने के नुस्खे बता रहें हैं।
साधं सोपं आयुष्य
साधं सोपं जगायचं
हसावंसं वाटलं तर हसायचं
रडावंसं वाटलं तर रडायचं
कुनाल मराठी कि चुनिंदा कविताओं का संकलन करते हैं अपने माझी मराठी चिठ्ठे पर। आज एक विडंबन काव्य लेकर आये हैं मंगेश पाडगावकर जी की कविता का।
रबिन्द्रनाथ टेगोर जी का लेखन मराठी में अनुवाद कर प्रस्तुत कर रहीं है अर्चना जी। इटली का सफरनामा पेश कर रहीं हैं संगिता जी। पामर जी काफी नामक कहानी में बनते बिगडते रिश्तों की दासताँ बुन रहे हैं।
मराठी चिठ्ठा जगत इतना बड़ा और फैला हुआ है ये आज इस चर्चा के माध्यम से मुझे पता चला। हिंदी के नारद की तरह मराठी में भी नारद सदृष सेवा उपलब्ध है जिसकी बदौलत मैं कितने ही चिठ्ठों को देख आया। उन्हीं चिठ्ठों में से कुछ चिठ्ठों की चर्चा लेकर समय समय पर यहाँ उपस्थित होता रहुंगा।
जाते जाते स्वदेश के चरणपुर का चित्र कृष्णाकाठ चिठ्ठे से:
तुषार, आपका स्वागत है. कृपया नियमितता बनाए रखें. मराठी ब्लॉग एग्रीगेटर निसंदेह उच्च कोटि का है. नारद को भी उस रूप में जाना चाहिए, या फिर मराठी ब्लॉग.नेट को बढ़ा कर उसमें हिन्दी का भी खंड शामिल किया जाना चाहिए.
जवाब देंहटाएंमराठी चिट्ठों के बारे में जानकर सुखद लगा. :)
मराठी चिट्ठो की चर्चा देख काफी हर्ष हो रहा है. आपका स्वागत है, चर्चाकार.
जवाब देंहटाएंतुषार भाउ, खूप छान चर्चा केल्या बद्दल अभिनन्दन!! मराठी वाचायला खूप आवडते पण हिन्दी आणि इँग्रजीतच गुन्तल्या मुळे वाचण होत नाही.आज तुम्ही कवितांच्या इतक्या छान ओळी इथे दिल्यावर वाचण झाल.धन्यवाद.
जवाब देंहटाएं( मी मराठी बोलते,पण लिहण्याच प्रयत्न आज पहिलांदाच करत आहे, चूक झाली असेल तर माफ कर्.)
तुषारभाई,
जवाब देंहटाएंमराठी चिट्ठों की 'चिट्ठाचर्चा-शैली' में चर्चा देख कर अच्छा लगा . नियमित लिखिएगा,कामना है.साधु-साधु.
तुषार भाई, हमें बहुत अच्छा लगा कि हमारे अनुरोध पर आपने मराठी ब्लाग्स के बारे में लिखना शुरू किया। मराठा मुझे सिर्फ'पुढ़े रास्ता वलणम' आहे तक आती है जिसे मैंने अपनी साइकिल यात्रा के दौरान रास्तों में पढा़ था। अब आपके माध्यम से मराठा ब्लाग्स पढ़कर कुछ मराठी सीख भी जाउंगा क्योंकि लिपि देवनागरी ही है। आपसे अनुरोध है कि नियमित चर्चा करते रहें। नारद के बारे में रवि भाई के सुझाव पर जीतू, स्वामी जी आदि साथियों से अनुरोध हैं कि वे जिन सुझावों को ठीक समझते हैं उनको लागू करें। कई बातें तो योजना में हैं हीं!
जवाब देंहटाएंवाह तुषार भाई, बहुत बहुत बधाई इस ऐतिहासिक और अभिनव सफल प्रयास के लिये.
जवाब देंहटाएंआशा है आप इसे जारी रखेंगे और हम सबको मराठी चिट्ठा जगत की गतिविधियों से परिचित कराते रहेंगे.
पुन: बधाई।
तुषार भाउ
जवाब देंहटाएंखूपच छान! मी मराठी छान पने बोलु सकत नाही, पण मला मराठी येते, महण्जे मी मराठी समझते, मराठी वाचन ही आवडते।
मराठी वांगमय ही मला आवडते.....
मराठी चिठठाचर्चा बद्दल तुमचे अभिनंदन
सुंदर चर्चा! मराठी ब्लॉग्स बड़ा ही मनोहारी एग्रीगेटर है। इसके रचयिता पवन सोर्टे साधुवाद के पात्र हैं। पवन ने पिछली इंडिब्लॉगीज़ में मराठी श्रेणी के जूरी सदस्य के रूप में भी महत्वपूर्ण भुमिका अदा की थी। कितना ही अच्छा हो अगर अन्य भाषा के चिट्ठे भी चर्चित हों यहाँ।
जवाब देंहटाएंवास्तव में आप का लेखन बहुत प्रशंसायोग्य हैं ।
जवाब देंहटाएंशुभ शुरूआत के लिए शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंAapke dwara kiya gaya yeh shaandar aur behetareen prayaas hum jaise logon ke liye upyukt hai jo marathi sahitya ke bare mein gigyasa rakhate hai. Aage bhi aisi man mohak panktiyon ka intazaar rahega
जवाब देंहटाएंफार सुंदर आणि अभ्यासपुर्ण लिखाण। हिंदी मधये जितके " सिरियस रायटिंग " होते तितके मराठीतही व्हायला हवे। अशा प्रकारे चिटठा-चर्चा वरून त्यांना प्रोत्साहन दिल्यास मराठी blogs मुळ धरतील अशी आशा करू या।
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